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गर कोई परेशानी है तो मिलिए 'ऑनलाइन दीदी' से, अब तक लॉकडाउन में खत्म किए 185 विवाद Dhanbad News

शुभांगी मोर अशोक नगर बैंक मोड़ में रहती हैं। मोंटफोर्ट कॉलेज बेंगलुरु से मास्टर इन काउंसलिंग साइकोलॉजी विषय लेकर परास्नातक कर रही हैं।

By MritunjayEdited By: Published: Wed, 06 May 2020 09:30 PM (IST)Updated: Wed, 06 May 2020 09:30 PM (IST)
गर कोई परेशानी है तो मिलिए 'ऑनलाइन दीदी' से, अब तक लॉकडाउन में खत्म किए 185 विवाद Dhanbad News
गर कोई परेशानी है तो मिलिए 'ऑनलाइन दीदी' से, अब तक लॉकडाउन में खत्म किए 185 विवाद Dhanbad News

धनबाद [आशीष सिंह ]। लॉकडाउन में सभी घरों में कैद हैं। ऐसे में किसी न किसी बात को लेकर पति-पत्नी में बहस हो जा रही है। बच्चे भी पढ़ाई को लेकर तनाव में हैं। अशोक नगर की शुभांगी ऐसे सभी मामलों का ऑनलाइन काउंसलिंग निपटारा कर रही हैं। वह भी निश्शुल्क। शुभांगी ने 30 दिन के लॉकडाउन में 185 विवादों का निश्शुल्क निपटारा किया। इसमें पति-पत्नी एवं घरेलू विवाद, करियर व पढ़ाई को लेकर अवसाद में चले गए बच्चों की ऑनलाइन काउंसिलिंग शामिल है। हर दिन 10 से 12 बच्चों, युवाओं एवं बुजुर्गों की ऑनलाइन काउंसलिंग कर रही हैं। दस चिकित्सक भी शुभांगी की काउंसलिंग में शामिल हो रहे हैं। शुभांगी को अब सभी ऑनलाइन काउंसलिंग दीदी कहने लगे हैं।

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  • केस स्टडी - एक

बैंक मोड़ की नीतू देवी (परिवर्तित नाम) की हाल में शादी टूटने वाली थी। पति से रोज झगड़ा होता था। कई बार आत्महत्या करने तक की सोची। तभी एक दिन सोशल साइट्स से काउंसलर शुभांगी के बारे में पता चला। शुभांगी ने दोनों पति-पत्नी का अलग-अलग फिर एक साथ काउंसलिंग की। एक चार से पांच दिन यह चला। आज सब ठीक है।

  • केस स्टडी - दो

स्टील गेट के चिकित्सक डॉ. अनिल बचपन की एक घटना की वजह से हर दिन सपने में देखते थे कि लड़कों के साथ समाज के कुछ लोग शोषण कर रहे हैं। गुड टच बैड टच की इस प्रक्रिया का डॉ. अनिल पर गहरा प्रभाव पड़ा। ऑनलाइन दीदी ने काउंसलिंग कर चिकित्सक को पूरी तरह से ठीक होने में मदद की।

  • केस स्टडी - तीन

शहर के एक बड़े स्कूल के सातवीं का छात्र पिछले कई दिनों से ऑनलाइन पढ़ाई कर रहा है। शिक्षक के होमवर्क और घर में मम्मी के प्रेशर की वजह से चिड़चिड़ा हो गया। एक दिन मां पर ही चिल्लाने लगा। शुभांगी ने एक सप्ताह तक लगातार बच्चे और परिजनों की काउंसिलिंग कर बच्चों को पढ़ाने का तरीका बताया है। 

इस तरह के केसों की काउंसलिंग

- बच्चों का चिड़चिड़ा होना, जिद्दी और बात-बात पर बहस करना।

- युवतियों में शारीरिक बनावट, रंग और घर से बाहर न निकलने पर तनाव।

- बुजुर्ग माता-पिता घर में अकेले। बच्चे शहर से बाहर।

- पति-पत्नी दिनभर घर में, काम में सहयोग करने को लेकर मनमुटाव।

- करियर की चिंता।

- पारिवारिक झगड़ा।

- सेक्शुअल तनाव।

- अपने कर रहे यौन शोषण, लड़की हो या लड़का।

ऐसे हो रही काउंसलिंग

शुभांगी मोर अशोक नगर बैंक मोड़ में रहती हैं। मोंटफोर्ट कॉलेज बेंगलुरु से मास्टर इन काउंसलिंग साइकोलॉजी विषय लेकर परास्नातक कर रही हैं। कार्मल स्कूल स्कूल 10वीं, 12वी मोदी यूनिवर्सिटी राजस्थान से की। इसके बाद स्नातक जैन यूनिवर्सिटी बेंगलुरु से बैचलर ऑफ काउंसिलिंग साइकोलॉजी की पढ़ाई पूरी की। फरवरी माह में धनबाद आईं, मार्च में लॉकडाउन हो गया तो यहीं रुक गईं। इसके बाद लोगों की समस्या का समाधान करने का बीड़ा उठाया। इसके लिए वाट्सएप ग्रुप, इंस्टाग्राम, टेलीग्राम, ईमेल और मोबाइल नंबर की मदद से लोगों से जुडऩा शुरू किया। जो ठीक होते गए, उनकी माउथ पब्लिसिटी से और भी लोग जुड़े। बहुत इमरजेंसी होने पर घर पर काउंसलिंग करती हैं।

जब से लॉकडाउन हुआ है, तब से हर दिन 10 से 12 लोग काउंसलिंग में शामिल हो रहे हैं। समस्या के अनुसार सेशन चलता है। कोई-कोई सेशन एक घंटे का तो कुछ तीन घंटे तक चल जाता है। हर दिन एक सेशन होता है। चार से पांच सेशन में लोगों की समस्या हल हो जाती है। कुछ केस ऐसे होते हैं, जिन्हें एक सप्ताह का समय लग जाता है। काउंसलिंग करने का एक पैटर्न होता है, जो हर वर्ग के लिए अलग-अलग है। शहर के कई नामचीन डॉक्टर्स भी काउंसलिंग करवा रहे हैं। काउंसलिंग में क्लाइंट का सब कुछ गुप्त रखा जाता है।

- शुभांगी मोर, ऑनलाइन काउंसलिंग दीदी


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