Weekly News Roundup Dhanbad: देते डंडी मारने की गारंटी पर भरते अपनी पूरी जेब, पढ़ें मापताैल साहब की कारस्तानी
सीनियर का फरमान जारी हुआ- योग करते हुए सभी पुलिस पदाधिकारी अपनी तस्वीर वाट्सएप पर शेयर करें। अब तो ऐसा करना जरूरी हो गया। नहीं करते तो अनदेखी होती।
धनबाद [ नीरज दुबे ]। नापतौल विभाग के एक अधिकारी पिछले कुछ दिनों से काफी चर्चा में हैं। वह भी काम के लिए कम, कारगुजारियों के लिए ज्यादा। अधिकारी का काम बाट माप और तराजू चेक करना है। कहीं कोई कमी मिली तो समझिए उनकी चांदी हो जाती है, क्योंकि हिसाब के जरा वह पक्के हैं। बाट का वजन 25 ग्राम कम हो या क्विंटल, मगर जेब पूरी भरते हैं। उच्चाधिकारियों की मेहरबानी है, इसलिए बेखौफ भी हैं। यही वजह है कि ऊपरी कमाई के लिए शिद्दत के साथ मेहनत करते हैं। आलम यह है कि उनका एक पैर धनबाद तो दूसरा बोकारो में होता है। दुकानदार इसलिए भी चुप्पी साधे रहते हैं, क्योंकि ज्वेलरी की दुकान हो या फिर लोहा और कोयला-कबाड़ वजन करने का कांटा, सभी का लाइसेंस इन्हीं साहब के हाथों नवीकरण होता है। ऐसे में उन्हें नाराज करना पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा ही है।
नई टाट पर बेईमानी का प्लास्टर
आप ने कभी सुना है कि नई टाट पर बेईमानी का प्लास्टर कैसे चढ़ता है। नहीं सुना है, तो पुलिस लाइन में हुए इस खेल को हम बताते हैं। नक्सलियों से लोहा लेने वाले जवानों के लिए 34 लाख की लागत से वार रूम बन रहा है। नाम के हिसाब से इमारत भी फौलादी होनी चाहिए थी, लेकिन उसकी बुनियाद ही खराब हो चुकी पुरानी ईंटों से रख दी गई। गड़बड़ी को छिपाने के लिए छत की ढलाई से पहले प्लास्टर का मुलम्मा चढ़ाना शुरू कर दिया। निर्माण का जिम्मा एक सीनियर पुलिस अधिकारी के नजदीकी ठेकेदार को मिला है। ठेकेदार ने पुलिस लाइन में जर्जर क्वार्टर से निकली ईंटों को वार रूम में लगा दिया है। सीनियर के खास होने का लाभ उन्हें जरूर मिला, लेकिन अब बड़े साहब आ गए हैैं। उनसे बचने को नई टाट पर बेईमानी का प्लास्टर चढ़ा दिया।
फरमान ने गायब कर दी हंसी
धनबाद में जब से नए साहब ने पदभार संभाला है, कुछ पुलिसकर्मियों की हंसी गायब हो चुकी है। बात योग दिवस की है। जीटी रोड के एक थानेदार का हाल ऐसा था कि दो सिपाही मिलकर उनका शरीर झुकाने की कोशिश कर रहे थे। आइए, मामला समझाते हैं। असल में हुआ ये था कि सीनियर का फरमान जारी हुआ- योग करते हुए सभी पुलिस पदाधिकारी अपनी तस्वीर वाट्सएप पर शेयर करें। अब तो ऐसा करना जरूरी हो गया। नहीं करते तो अनदेखी होती। इसलिए थानेदार योग मुद्रा में आ गए, लेकिन ये हो कैसे? शरीर तो रातभर की ड्यूटी की थकान से टूट चुका था। दरअसल, रात में एक बैल चोरी की शिकायत लेकर लोग आ गए थे। बस, थानेदार को उसकी तलाश में टॉर्च लेकर निकलना पड़ा। खेत बहियार का चक्कर लगाया। इस कारण शरीर की बैंड बज गई। योग हो तो कैसे?
अब गिरफ्तारी पड़ रही भारी
कोरोना काल में पुलिसकर्मियों का जीवन अस्त-व्यस्त है। उस पर से आरोपितों को जेल भेजना हो तो मुश्किल और बढ़ जाती है। यही वजह है कि कुछ थाना के पुलिसकर्मी आरोपित को गिरफ्तार करने से परहेज करने लगे हैैं। वजह भी साफ है। एक आरोपित को जेल भेजने में पुलिसकर्मियों को 12 से 14 घंटे तक वक्त लग रहा है। जब से कोविड-19 जांच के लिए ट्रूनेट टेस्ट शुरू हुआ है, किसी भी आरोपित को जेल भेजने से पहले पुलिसकर्मियों को घंटों पीएमसीएच का चक्कर लगाना पड़ रहा है, क्योंकि उनका भी कोरोना टेस्ट अनिवार्य है। इसके लिए पहले तो लंबी लाइन में लगिए, बारी आई तो टेस्ट करवाइए, उसके बाद रिपोर्ट का इंतजार। तब तक आरोपित को थाने में रखिए। प्रक्रिया लंबी है। कौन इतना झमेला करे। लिहाजा बेहतर यही है कि छोटे-छोटे मामले थाना से ही निपटा दिया जाए। आरोपित मस्त, पुलिसवाले खुश।