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अब इस तरह उपजेगा धान, जानें-क्या है नई तकनीक

संपूर्ण भारत वर्ष में यह रबी की फसल के तौर पर उपजाया जाता है।

By Edited By: Published: Thu, 08 Feb 2018 03:00 AM (IST)Updated: Thu, 08 Feb 2018 02:23 PM (IST)
अब इस तरह उपजेगा धान, जानें-क्या है नई तकनीक
अब इस तरह उपजेगा धान, जानें-क्या है नई तकनीक

धनबाद, जेएनएन। अब धान और गेहूं समेत ज्यादा पानी मे उपजने वाली फसलो को कम पानी वाली बलुई और उसर मिट्टी पर भी आसानी से उगाया जा सकेगा। यह संभव हो पाया है मड़ुए की फसल मे पाए जाने वाले एक विशेष प्रकार के जीन की खोज से। इस जीन के माध्यम से इसके गुणो को धान व अन्य फसलो मे ट्रांसफर कर मड़ुए की फसल जैसी आबोहवा मे कम पानी मे भी धान समेत अन्य फसलो को आसानी से उगाया जा सकेगा। इस जीन को ढूंढ़ निकाला है, उलाराखंड स्थित जीबी पंत विश्वविद्यालय मे रिसर्च कर रहे धनबाद के बरमसिया इलाके मे रहने वाले छात्र आकाश सिन्हा ने।

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मड़ुए की सौ से ज्यादा प्रजातियों पर किया गया शोध

जीबी पंत विवि से माडुलर बायोलॉजी व बायोटेक्नोलॉजी मे एमएससी के बाद रिसर्च कर रहे आकाश ने बताया कि, उन्होंने मड़ुए की कई प्रजातियो पर कई महीने तक शोध किया। इनमे से कुछ मड़ुए की प्रजाति मे ऐसे गुण पाए गए है, जिनके जीन को अन्य फसलो मे ट्रांसफर कर उनमे मड़ुए जैसी प्रकृति मे फलने-फूलने के गुण विकसित किए जा सकते है। इनके जीन को सफलतापूर्वक ट्रांसफर कर कम पानी वाली जमीन पर भी धान समेत अन्य फसले उगाई जा सकेगी। इतना ही नही इस संबंध मे अभी मड़ुए की और भी कई प्रजातियो पर रिसर्च जारी है।

झारखंड समेत अन्य पहाड़ी इलाके वाली जमीनों के लिए वरदान

आकाश ने बताया कि, मड़ुए के इस जीन को अन्य फसलो मे ट्रांसफर कर देने से झारखंड जैसे पठारी भूमि वाले प्रदेश मे कृषि को और भी बढ़ावा मिलेगा। चूंकि, मड़ुए की फसलो की ही तरह इसके जीन ट्रांसफर हो जाने से अन्य फसलो मे भी ऐसे ही गुण विकसित हो जाएंगे, इसलिए बंजर और उसर जमीन पर इसे आसानी से उगाया जा सकेगा। झारखंड, छलाीसगढ़, गुजरात व राजस्थान समेत ऐसे राज्य जहां बंजर व उसर भूमि वाले इलाके है, वहां भी इस जीन की मदद से विकसित की गई अन्य फसलो को आसानी से उगाया जा सकेगा।

जानें, क्या है नई तकनीक

जीबी पंत की प्रोफेसर और आकाश की रिसर्च सलाहकार पुष्पा लोहानी के अनुसार, मड़ुए समेत कई फसलो के जीन पर शोध किया जा रहा है। ताकि, उनके जीन को अन्य फसलो मे ट्रांसफर कर फसलो की नई किस्म विकसित की जा सके। इस तरीके से विकसित की गई फसल को आसानी से कम पानी वाले क्षेत्र मे भी उगाया जा सकेगा। इससे किसानो को तो फायदा होगा ही बंजर और उसर पड़ी जमीन को भी उपयोग मे लाया जा सकेगा।

समुद्र तल से 2000 मी. से अधिक ऊंचाई पर भी उग पाने में है सक्षम

मड़ुए इथियोपियन और युगाडा के हाइलैड्स की मूल फसल है। यह अफ्रीका और एशिया मे शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रो मे मोटे अनाज के रूप मे बहुतायत मे उगाया जाता है। संपूर्ण भारत वर्ष मे यह रबी की फसल के तौर पर उपजाया जाता है। प्रकृति से बेहतर सामंजस्य बनाने की अपनी विशिष्ट क्षमता की वजह से ही यह समुद्र तल से 2000 मीटर से अधिक ऊचाई पर भी यह आसानी से उग पाने मे सक्षम है। दुनियाभर मे इसकी खेती मुख्य रूप से अफ्रीकी देशो युगाडा, केन्या, जिम्बाब्वे, जाम्बिया, सूडान, तजानिया, मलावी और मोज़ाम्बिक और दक्षिणी एशिया मे मुख्य रूप से भारत और नेपाल मे होती है।

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