जानें-मॉडल थाने में गंदी हाजत के पीछे की कहानी
दरअसल पुलिस वैसे लोगों को हाजत में बंद करती है जिस पर अपराधी होने का संदेह रहता और उसे सबक सिखाने के लिए ही पुलिस यह फंडा अपनाती है।
धनबाद, जेएनएन। शहर के ज्यादातर थाने कॉरपोरेट ऑफिस की तरह दिखने लगे हैं। थानों का भवन मॉडल थाने में तबदील कर दिया गया है। थाना भवन किसी थ्री स्टार होटल से कम नहीं दिखता है। टाइल्स लगे थाने में कई खासियत हैं, पर थाने की हाजत वही पुराने 70 के दशक की तरह आज भी हैं, जहां साफ सफाई गाहे बगाहे होती है। यह पुलिसिया थर्ड डिग्री टॉर्चर की रणनीति का एक हिस्सा है।
दरअसल, पुलिस वैसे लोगों को हाजत में बंद करती है, जिस पर अपराधी होने का संदेह रहता और उसे सबक सिखाने के लिए ही पुलिस यह फंडा अपनाती है। थाना हाजत किसी भी अपराधियों को यह एहसास दिलाने के लिए काफी होता है कि वह कानूनी चंगुल में फंसने जा रहा है और अब उसका बुरा दिन शुरू होनेवाला है। पुलिस की यही रणनीति अपराधियों के हौसले को पस्त कर देती है। ऐसे भी किसी भी थाने का हाजत एक काल कोठरी से कम नहीं होती है, जहां बंद लोगों से रोशनी कोसों दूर चली जाती है। हाजत में बंद अपराधियों को इस बात का एहसास होने लगता है कि वह गलती कर चुका है।
धनबाद जिले में करोड़ों रुपये खर्च कर धनबाद, धनसार, बैंकमोड़, निरसा, समेत कुछ थाने को मॉडल थाना बनाया गया है, पर थाने की हाजत की दशा पुराने थाने जैसे ही है। यहां हर रोज साफ सफाई के नाम पर झाडू तक नहीं लगती है। हाजत में सुरक्षा की लिहाज से भी कई उपाय किए जाते हैं, जैसे पंखा नहीं लगाना, बिजली की व्यवस्था नहीं करना, ताकि उसमें बंद संदिग्ध कभी खुदकशी की कोशिश नहीं कर सके।