जोड़ापोखर पीएचसी में राशि गबन करने में 10 नहीं 25 लोग थे शामिल
जोड़ापोखर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन की तरफ से मिली राशि के गबन के मामले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो यानी एसीबी रेस हो गई है। मामले की जांच में यह तथ्य सामने आया है कि स्वास्थ्य केंद्र के खाते से दस लोगों को नहीं बल्कि 25 लोगों के व्यक्तिगत और संस्थागत बैंक खाते में राशि का स्थानांतरण किया गया है।
जागरण संवाददाता, धनबाद : जोड़ापोखर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन की तरफ से मिली राशि के गबन के मामले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो यानी एसीबी रेस हो गई है। मामले की जांच में यह तथ्य सामने आया है कि स्वास्थ्य केंद्र के खाते से दस लोगों को नहीं बल्कि 25 लोगों के व्यक्तिगत और संस्थागत बैंक खाते में राशि का स्थानांतरण किया गया है। इतना ही नहीं अब तक तीन लेवल पर राशि का स्थानांतरण किया गया है। ऐसे में एसीबी मुख्य अभियुक्त प्रमोद सिंह को एक बार फिर पूछताछ के लिए बुलाने की तैयारी कर रही है। दूसरी ओर पीएमओ के आदेश पर जांच कर रही भूली ओपी पुलिस ने आरोपित प्रमोद सिंह के भूली आवास और सरायढेला के सहयोगी नगर स्थित आवास पर जाकर छानबीन की है। एसीबी ने इस मामले को लेकर वर्ष 2019 में 10 लोगों को प्राथमिक अभियुक्त बनाते हुए 10 करोड़ रुपये की सरकारी राशि का गबन करने की प्राथमिकी दर्ज की थी। इसमें प्रमोद समेत तत्कालीन सिविल सर्जन को भी अभियुक्त बनाया गया था। इससे पहले वर्ष 2016 में केवल प्रमोद सिंह को आरोपित बनाते हुए आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का मामला दर्ज किया था। गबन के मामले की जांच में यह तथ्य सामने आया है कि केंद्र सरकार की ओर से दस अलग-अलग सरकारी खातों में करोड़ों की राशि भेजी गई, लेकिन अभियुक्तों ने केवल दो खातों से राशि की निकासी की। यहां से राशि निकासी कर प्रमोद ने अपने खाता के साथ अन्य नौ लोगों के खाते में राशि स्थानांतरित की थी। एसीबी की जांच में यह पता चला है कि इन दस खातों से अन्य 15 खातों में राशि भेजी गई। इनमें मार्बल दुकान, सैनिटरी दुकान, सीमेंट, बालू वाले भी शामिल हैं। एसीबी धनबाद ने अपने जांच का दायरा बढ़ाते हुए इन खातों की भी जांच की। माना जा रहा है कि इतनी बड़ी राशि खपाने के लिए कई अन्य बैंक खातों में भी राशि भेजी गई है। मैंने कोई गलत काम नहीं किया : प्रमोद
आरोपित प्रमोद सिंह ने कहा कि उसने कोई गलत काम नहीं किया है। एनआरएचएम की राशि का भुगतान वाउचर के माध्यम से होता था। वाउचर हस्ताक्षर करा कर वह अपने पैकेट से पैसे दे देता था, बाद में उसने वही राशि विभाग से ली है, लेकिन प्रमोद सिंह यह बताने में नाकाम है कि उसने मार्बल और सैनिटरी वाले को विभागीय खाते से राशि क्यों दी। इधर, एसीबी एक बार फिर से प्रमोद सिंह से पूछताछ करने की तैयारी कर रही है।