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कमजोर हो रही पाैने तीन लाख कोयला मजदूरों के बुढ़ापे की लाठी, जानिए

कोल सेक्टर में आउटसोर्सिंग मजदूरों को मिलने वाले लाभ में हो रही गड़बड़ी का मामला इसी महीने होने वाली स्टैंडिंग कमेटी ऑफ सेफ्टी की बैठक में उठेगा।

By mritunjayEdited By: Published: Tue, 12 Feb 2019 10:08 AM (IST)Updated: Tue, 12 Feb 2019 10:08 AM (IST)
कमजोर हो रही पाैने तीन लाख कोयला मजदूरों के बुढ़ापे की लाठी, जानिए
कमजोर हो रही पाैने तीन लाख कोयला मजदूरों के बुढ़ापे की लाठी, जानिए

धनबाद, आशीष अंबष्ठ। कोल इंडिया में 75 फीसदी से अधिक कोयला उत्पादन आउटसोर्सिंग कंपनी द्वारा किया जा रहा है। हाई पॉवर कमेटी की बैठक व कोल इंडिया की संयुक्त सलाहाकार समिति के सदस्यों द्वारा जो आंकड़े आउटसोर्सिंग (ठेका मजदूर) में काम करने वाले मजदूरों की दी जाती है, उसकी संख्या 3.65 लाख तक बतायी जाती है। हाई पॉवर कमेटी के समझौता के तहत कोयला खदानों में काम करने वाले ठेका मजदूरों को सीएमपीएफ के दायरे में लाना है, पर एक चौथाई मजदूरों को ही इस दायरे में रखा गया है। जो आंकड़े सीएमपीएफ के पास 31 जुलाई 2018 तक जारी किए गए हैं, उसमें 88686 मजदूरों का ही सीएमपीएफ राशि कट रही है, जबकि 276314 मजदूर इसके दायरे से वंचित हैं। 

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बड़े घोटाले की ओर इशारा : जांच से बचने के लिए आउटसोर्सिंग कंपनियां अपने रजिस्टर में ठेका मजदूरों का नाम के साथ सीएमपीएफ कटौती का कॉलम बना कर रखती है, ताकि जांच में दिखाया जा सके। राशि सीएमपीएफ में जमा होती ही नहीं। सीएमपीएफ नंबर भी मजदूरों को नहीं दिया जाता है। कोल इंडिया की सात इकाइयों से कोयला उत्पादन होता है। जो देश के सात राज्यों में फैली है। इसमें बीसीसीएल, ईसीएल, डब्ल्यूसीएल, एमसीएल, एनसीएल, सीसीएल, एसईसीएल शामिल है। 

बायोमेट्रिक हाजिरी से ही खुल जाएगा भेद : श्रम व कोयला मंत्रालय द्वारा यह स्पष्ट निर्देश दिया गया है कि ठेका मजदूरों को भी बायोमेट्रिक हाजरी के दायरे में लाया जाए, ताकि उनकी संख्या की सही आकलन के बाद उसे सारी सुविधा मिल सके। रजिस्ट्रर में हाजरी होने से कई तरह की गड़बड़ी अधिकारियों के साथ मिली भगत कर आउटसोर्सिंग कंपनियां करती हैं। 

स्टैंडिंग कमेटी ऑफ सेफ्टी की बैठक में उठेगा मामला : कोल सेक्टर में आउटसोर्सिंग मजदूरों को मिलने वाले लाभ में हो रही गड़बड़ी का मामला इसी महीने होने वाली स्टैंडिंग कमेटी ऑफ सेफ्टी की बैठक में उठेगा। इस बात के संकेत स्टैंडिंग कमेटी के सदस्यों ने दिया। कहा कि जो बैठक में तय होता है उसका पालन कोल व आउटसोर्सिंग कंपनियां नहीं कर रही है। बोर्ड मीटिंग मार्च में होना है, ऐसा संकेत आयुक्त ने दिया है।

ठेका मजदूरों का इन कार्यालय में कटती है राशि  

धनबाद - 5882

आसनसोल - 4122

बिलासपुर -16907

छिंदवाड़ा - 1552

देवघर - 741

गोदावरीखनी - 7970

जबलपुर - 10947

कोलकाता 542

काठगोदाम 4436

मैरागेटा 204

नागपुर 2757

रांची 5734

संबलपुर 6439

सिंगरौली 11533

तालचर 8920 

ठेका मजदूरों को मिलेगा लाभ  

- वेतन स्लिप के साथ सीएमपीएफ का कार्ड दिया जाए। 

 - हाई पॉवर कमेटी द्वारा तय वेतन दिया बैंक एकाउंट में भेजा जाना चाहिए। 

 - बायोमेट्रिक से हाजिरी बने। 

- मैनअुल हाजरी में भी डीजीएमएस की गाइड लाइन के तहत फार्म बी व सी,डी, ई में दर्ज होना चाहिए। 

- हेल्थ कार्ड मिले आदि।

कोल सेक्टर में करीब 3.7 लाख ठेका मजदूर काम करते हैं। इसकी संख्या लगातार बढ़ रही है। कोल इंडिया में नौ लाख से मजदूर घट कर तीन लाख तक पहुंच गया है। कोयला उत्पादन कई गुना बढ़ा है। ठेका मजदूरों के सहारे ही सारे कोयला उत्पादन किया जा रहा है। उन्हें जो सुविधा मिलना चाहिए नहीं मिल रही है। 

- नाथूलाल पांडेय, जेबीसीसीआइ सदस्य 

 कोयला सेक्टर में ठेका मजदूरों की संख्या काफी है। उन्हें सीएमपीएफ के दायरे में लाने के कोल इंडिया डीपी सहित सारे उत्पादन करने वाले इकाईयों को पत्राचार किया गया है। जल्द ही कार्यस्थल पर औचक निरीक्षण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। 

- अनिमेष भारती, प्रभारी आयुक्त व कोल मंत्रालय के आर्थिक सलाहकार 


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