गांव के श्मशान घाट पर नहीं मिली इजाजत, 3 किमी दूर हुआ ज्योति का अंतिम संस्कार
ज्योति के शव का आधा किलोमीटर दूर निधुआ गडिय़ा श्मशान की जगह 3 किलोमीटर दूर श्मशान घाट पर ले जाया गया। शमशान घाट तक ज्योति का शव को ले जाने के लिए कोई वाहन नहीं मिल रहा था।
धनबाद, जेएनएन। पीएमसीएच में खून के अभाव में मंगलवार को बीस वर्षीय गर्भवती ज्योति देवी की मृत्यु हो गई थी। मृत्यु के बाद श्मशान घाट विवाद के कारण ज्योति का शव उसके गांव गोविंदपुर प्रखंड के छोटा पिछड़ी में पड़ा रहा। गांव वालों की मदद से बुधवार को दूसरे दिन अंतिम संस्कार हुआ। वह भी गांव के विवादित श्मशान घाट से तीन किलोमीटर दूर दूसरे स्थान पर।
धनबाद शहर से सटा छोटा पिछरी ग्रामीण इलाका है। यहां के लोग वर्षों से बगल के निधुआ गडिय़ा श्मशान में शवों का अंतिम संस्कार करते रहे हैं। लेकिन, अब जमीन मालिक ने श्मशान घाट की घेराबंदी कर निजी संपत्ति घोषित कर दी है। साथ ही शवों के अंतिम संस्कार पर रोक लगा दी है। 22 मई को टेपा दास नामक व्यक्ति का भी शव दबंगों ने जलाने नहीं दिया था। इस मामले को लेकर ग्रामीणों ने उपायुक्त को आवेदन देकर पहल की मांग की है। फिलहाल मामला प्रशासन के पास है। इस बीच ज्योति की भी मौत हो गई। श्मशान घाट पर ज्योति का अंतिम संस्कार न होने देने पर जमीन मालिक अडिग थे। इस कारण दो दिन तक शव घर में पड़ा रहा।
ज्योति के शव का आधा किलोमीटर दूर निधुआ गडिय़ा श्मशान की जगह 3 किलोमीटर दूर श्मशान घाट पर ले जाया गया। शमशान घाट तक ज्योति के शव को ले जाने का कोई वाहन नहीं मिल रहा था। परिजनों के पास इतने पैसे भी नहीं थे। इसके बाद झारखंड विकास युवा मोर्चा के जिला अध्यक्ष दिलीप चौधरी ने ट्रैक्टर उपलब्ध कराया। ट्रैक्टर से ज्योति के शव को 3 किलोमीटर दूर पंचभरवा पुल ले जाया गया।
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