इंदौर की तर्ज पर सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट की नसीहत, नीति आयोग ने धनबाद नगर निगम को भेजा पत्र Dhanbad News
सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट का सही तरीके से निस्तारण कर इंदौर देशभर में पहले रैंक पर है। अब इंदौर का मॉडल अपनाने के लिए नीति आयोग ने धनबाद नगर निगम समेत देशभर के निकायों को पत्र लिखा है।
धनबाद, जेएनएन। सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट का सही तरीके से निस्तारण कर इंदौर देशभर में पहले रैंक पर है। अब इंदौर का मॉडल अपनाने के लिए नीति आयोग ने धनबाद नगर निगम समेत देशभर के निकायों को पत्र लिखा है। आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत ने धनबाद नगर निगम को भजे पत्र में कहा है कि साॅलिड वेस्ट मैनेजमेंट (एसडब्ल्यूएम) आज समय की मांग है। इसीलिए नीति आयोग ने इंदौर से सीख लेते हुए एसडब्ल्यूएम को प्रभावी बनाने के लिए स्थानीय नगर निकायों में लागू करने का निर्णय लिया है।
इसमें डोर टू डोर कचरा कलेक्शन, कचरा उत्सर्जन स्थल पर सेगरिगेशन, उठाव, प्रोसेसिंग, री-साइकलिंग और बायो रेमिडिएशन पद्धति के जरिए सफाई करना शामिल है। इंदौर शहर ने ऐसा करते हुए कामयाबी हासिल की है। इंदौर देश का पहला ऐसा शहर है, जिसने ट्रेंचिंग ग्राउंड पर पड़े बरसों पुराने कचरे को बायो रेमिडिएशन पद्धति के जरिये साफ किया है। वहां करीब 40 साल पुराने कचरे के पहाड़ गायब हो चुके हैं। ट्रेंचिंग ग्राउंड को साफ-सुथरा और सुंदर बनाने का कार्य जारी है। इसका लाभ इंदौर को स्वच्छता सर्वे में मिला। ट्रेंचिंग ग्राउंड की सफाई के चलते उसने सर्वे में पहला स्थान हासिल किया। इस पद्धति के जरिए बनियाहीर में डंप लगभग 23 हजार टन वेस्ट का निस्तारण किया जा सकेगा।
क्या है बायो रेमिडिएशन पद्धति : बायो रेमिडिएशन पद्धति के तहत मौजूद कूड़े को प्रोसेस किया जाता है। इसके लिए एक से दो ट्रॉमल लगाए जाते हैं। जिसके जरिये आरडीएफ (रिफ्यूज ड्राई फ्यूल) और कंपोस्ट को कूड़े में से अलग किया जाता है। शेष का एचडीपीई लाइनर, जियो सिंथेटिक क्लेलाइनर आदि प्रोसेस के जरिये वैज्ञानिक तरीके से उसकी कैपिंग कर दी जाती है। बायो रेमिडिएशन पद्धति के जरिए कूड़े का निस्तारण करने के बाद जो कंपोस्ट और आरडीएफ (रिफ्यूज ड्राई फ्यूल) निकलेगा। उसके जरिये निगम की कमाई होगी। कंपोस्ट का प्रयोग जहां खेतों में किया जा सकेगा, वहीं ज्वलनशील होने के चलते आरडीएफ का इस्तेमाल वेस्ट टू इनर्जी प्लांट में किया जा सकेगा।
इंदौर शहर : एक नजर
आबादी : 35 लाख
कुल वार्ड : 85
रोजाना शहर से निकलता है कचरा : 700 मीट्रिक टन से ज्यादा।
सफाईकर्मी : 6 हजार
मैकेनिकल स्वीपिंग मशीन : 10
धनबाद शहर : एक नजर
आबादी : 12 लाख
कुल वार्ड : 55
रोजाना शहर से निकलता है कचरा : 400 मीट्रिक टन।
सफाईकर्मी : 1200
रोड स्वीपिंग मशीन : 05
इंदौर में वेस्ट पॉलीथिन से बनती है सड़कें : इंदौर नगर निगम सूखे कचरे से 16 तरह के कंपानेंट को अलग करता है। इसमें 50 माइक्रोग्राम तक की वेस्ट पॉलीथिन बैग को सीमेंट फैक्ट्रियों को बेच दिया जाता है। इससे मोटी वेस्ट पॉलीथिन का उपयोग तारकोल में पिघलाकर सड़कें बनाने में किया जा रहा है। इसके अलावा अमेरिका और स्वीडेन की आधुनिक मैकेनिकल स्वीपिंग मशीनों से सड़कों की सफाई होती है। इन मशीनों की खासियत यह है कि इनमें सफाई के दौरान साथ-साथ पानी का छिड़काव होता है, जिससे सफाई के दौरान सड़कों पर धूल नहीं उड़ती है।
इसलिए इंदौर की तर्ज पर बनाया प्लान :
- इंदौर देश का पहला शहर है, जहां ट्रंचिंग ग्राउंड को पूरी तरह खत्म कर दिया गया है। उसके स्थान पर लगातार नए प्रयोग किए जा रहे हैं।
- कचरे की 100 प्रतिशत प्रोसेसिंग, बिल्डिंग मैटेरियल और खराब निर्माण सामग्री का कलेक्शन तथा उसका निपटान।
- कचरा उठाने में लगे वाहनों की मॉनिटरिंग के लिए जीपीएस तथा कंट्रोल रूम, हर जोन के लिए अलग-अलग टीवी स्क्रीन
- 29 हजार से अधिक घरों में गीले कचरे से होम कंपोस्टिंग का कार्य
- देश के पहले डिस्पोजल फ्री मार्केट
- पहला शहर जहां लाखों लोगों की मौजूदगी के दो जीरो वेस्ट इवेंट का हुआ आयोजन
- डस्टबिन फ्री शहर।