JPSC सिविल जज नियुक्ति परीक्षा: नेहा का पूरा हुआ सपना, शैलेंद्र पर माता-पिता को नाज
नेहा ने बताया कि जज बनना उनका शुरू से ही सपना रहा है। अपने नाम के आगे जस्टिस लगाना था इसीलिए जेपीएससी की तैयारी की। प्रारंभिक शिक्षा डिनोबिली स्कूल सीएमआरआइ से की।
धनबाद, जेएनएन। झारखंड पब्लिक सर्विस कमीशन (जेपीएससी) ने ज्यूडिशरी सर्विसेज का परिणाम जारी कर दिया है। धनबाद से कई छात्र सफल होने में कामयाब रहे हैं। जेसी मल्लिक रोड निवासी नेहा झा ने इस परीक्षा में सफलता हासिल की है। चार भाई-बहन में सबसे छोटी नेहा ने अपने पहले ही प्रयास में जज बनने का गौरव हासिल किया है।
नेहा ने बताया कि जज बनना उनका शुरू से ही सपना रहा है। अपने नाम के आगे जस्टिस लगाना था, इसीलिए जेपीएससी की तैयारी की। प्रारंभिक शिक्षा डिनोबिली स्कूल सीएमआरआइ से की। यहीं से 2009 में दसवीं और 2011 में 12वीं की परीक्षा पास की। इसके बाद सेंट जेवियर्स रांची से स्नातक किया। 2017 में उत्तरांचल विश्वविद्यालय से लॉ की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद जेपीएससी की तैयारी शुरू कर दी। पहले ही प्रयास में सफलता हासिल हो गई। नेहा के पिता बीरेंद्र कुमार झा स्टोन कटिंग का बिजनेस करते हैं और मां मीना झा गृहिणी हैं। बड़ी बहन रूमा झा इस समय बोकारो कोऑपरेटिव में असिस्टेंट रजिस्ट्रार हैं। रूमा ने भी जेपीएससी से चयनित हुई थीं।
पेंडिंग केसों को कम करना है
नेहा कहती हैं कि भारतीय न्यायिक सेवा में पेंडिंग केसों की भरमार है। जहां भी और जिस भी पोजिशन पर रहूंगी, प्राथमिकता होगी कि अधिक से अधिक केस हल कर सकूं। निष्पक्ष और निस्वार्थ भाव से लोगों की सेवा करनी है। वैसे तो झारखंड के किसी भी जिले में ज्वाइनिंग चलेगी, लेकिन होम टाउन मिले तो ज्यादा खुशी होगी। अपनी पढ़ाई के समय सोशल साइट्स से हमेशा दूरी बनाए रखी। इंटरनेट का प्रयोग सिर्फ कुछ चीजें समझने के लिए ही करती थी।
राजगंज के लुसाडीह गांव के शैलेंद्र कुमार नापित भी सिविल जज यूनियर डिवीजन परीक्षा में सफल रहे हैं। बेटे की सफलता पर माता-पिता को नाज है।