सिस्टम के शिकंजे में जकड़ी मरीजों की सांस
भागा निवासी सईद आरिफ शम्स को तत्काल ऑपरेशन की आवश्यकता है, लेकिन मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी सहायता निधि का खजाना खाली होने के कारण उसका इलाज नहीं हो पा रहा है।
जासं, धनबाद: सिस्टम के शिकंजे में हृदय रोग से पीड़ित एक युवा मरीज की जान अटक गई है। भागा निवासी सईद आरिफ शम्स को तत्काल ऑपरेशन की आवश्यकता है, लेकिन मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी सहायता निधि का खजाना खाली होने के कारण उसका इलाज नहीं हो पा रहा है। स्वास्थ्य विभाग की स्वीकृति मिलने के बाद आरिफ को इलाज के लिए रांची के एक बड़े अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन वहां बिना पैसा दिए इलाज से इन्कार कर दिया गया।
अब उसे रांची के ही एक दूसरे अस्पताल में भर्ती तो करा दिया गया है, पर तकनीकी पेच के कारण वहां भी उसका उपचार नहीं हो पा रहा है। इसके कारण परिवार के लोग परेशान हैं।
परिजनों ने बताया कि करीब तीन माह पहले आरिफ को फोलोट्स टेट्रोलॉजी बीमारी का पता चला। इसके इलाज में करीब पौने दो लाख रुपये का खर्च था। रांची के एक बड़े अस्पताल में उसका उपचार कराया जा रहा था। परिजनों के पास ऑपरेशन के लिए इतने पैसे नहीं थे, तब उन्होंने मुख्यमंत्री गंभीर रोग सहायता निधि से उपचार के लिए आवेदन किया। मेडिकल बोर्ड ने आरिफ के इलाज की स्वीकृति दे दी। इस बाबत स्वास्थ्य विभाग की ओर से संबंधित अस्पताल को पत्र भी निर्गत कर दिया गया, लेकिन अस्पताल ने राशि नहीं मिलने के कारण इलाज से इन्कार कर दिया। दरअसल अभी धनबाद में मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी सहायता निधि में राशि उपलब्ध नहीं है। इस कारण सिविल सर्जन की ओर से संबंधित अस्पताल को पत्र लिखकर इलाज करने को कहा गया था। यह भरोसा दिया गया था कि राशि का आवंटन होने पर भुगतान कर दिया जाएगा लेकिन अस्पताल इसके लिए तैयार नहीं हुआ। इसके बाद परिजन आरिफ को लेकर एक दूसरे बड़े अस्पताल में गए। वह अस्पताल ऑपरेशन को तैयार है लेकिन अब तकनीकी पेच फंस गया है। दरअसल स्वास्थ्य विभाग ने आरिफ को इलाज की स्वीकृति पहलेवाले अस्पताल के ली दी थी। अब दूसरे अस्पताल में उसे ले जाने पर फिर से उसका मेडिकल बोर्ड कराना होगा वहीं परिजन कह रहे हैं कि आरिफ की स्थिति ऐसी नहीं है। वह काफी गंभीर अवस्था में है। उसका तत्काल ऑपरेशन किया जाना आवश्यक है।
सोमवार को आरिफ की बहन नाइला शम्स ने सिविल सर्जन डॉ. आशा एक्का से मुलाकात कर मामले की जानकारी दी। हालांकि सिविल सर्जन ने इस बाबत तकनीकी दिक्कतों का हवाला देते हुए उसे फिर से आवेदन करने को कहा। इससे मरीज और उसके परिजनों की मुश्किल बढ़ी हुई है।
कई अन्य मरीजों की जान पर आफत: मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी सहायता योजना का कोष खाली रहने के कारण कई अन्य मरीजों की सांस भी अधर भी अटकी हुई है। हालांकि सभी गंभीर मरीजों के उपचार के लिए स्वास्थ्य विभाग ने पत्र जारी कर दिया है, पर कई अस्पताल बिना राशि मिले इलाज को तैयार नहीं हैं। ऐसे मरीजों के परिजन भी सहायता के लिए दौड़ रहे हैं।