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सतर्क रहें, TDS के नाम पर पानी के तमाम खनिज छीन रहा है आपके घर में लगा आरओ Dhanbad News

प्रकृति ने शरीर की जरूरत के अनुसार पानी दिया है। प्राकृतिक जल में आयरन मैग्नीशियम कोबाल्ट समेत अन्य कई खनिज हैं जो शरीर के लिए जरूरी हैं।

By Deepak Kumar PandeyEdited By: Published: Fri, 16 Aug 2019 12:21 PM (IST)Updated: Fri, 16 Aug 2019 12:21 PM (IST)
सतर्क रहें, TDS के नाम पर पानी के तमाम खनिज छीन रहा है आपके घर में लगा आरओ Dhanbad News
सतर्क रहें, TDS के नाम पर पानी के तमाम खनिज छीन रहा है आपके घर में लगा आरओ Dhanbad News

जागरण संवाददाता, धनबाद: प्रकृति ने शरीर की जरूरत के अनुसार पानी दिया है। प्राकृतिक जल में आयरन, मैग्नीशियम, कोबाल्ट समेत अन्य कई खनिज हैं, जो शरीर के लिए जरूरी हैं। पर टीडीएस (टोटल डिजॉल्व्ड सॉलिड) के डर से स्वच्छ पानी के नाम पर ज्यादातर लोग आरओ का पानी पी रहे हैं।

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टीडीएस की 250 तक की मात्रा शरीर के लिए बिल्कुल हानिकारक नहीं: आपको यह जानकर हैरत होगी कि आरओ न सिर्फ टीडीएस कम करता है, बल्कि पानी में मौजूद तमाम खनिज भी छीन लेता है। इससे शरीर में इन खनिजों की कमी हो सकती है। यह कहना है केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान सिंफर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. डीबी सिंह का। वह बुधवार को दैनिक जागरण के कार्यक्रम प्रश्न पहर में पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि जिस टीडीएस को कम करने के लिए लोग परेशान हैं, उसकी 250 तक की मात्रा शरीर के लिए बिल्कुल हानिकारक नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जो ड्रिंकिंग वाटर स्टैंडर्ड तय किया है, उस रिपोर्ट में भी यह स्पष्ट है। इंटरनेट पर आइएस 10500 : 2012 क्लिक पर इसे देखा जा सकता है।

सड़कों का विस्‍तार जरूरी, लेकिन दोनों किनारे विकसित किए जाएं ग्रीन बेल्‍ट: शहर में हाईवे निर्माण के लिए काटे जा रहे पेड़ों से प्रकृति पर पड़ रहे दुष्प्रभाव के बारे में डॉ. सिंह ने कहा कि सड़कों का विस्तार जरूरी है। पर इसके लिए सड़क के दोनों किनारे ग्रीन बेल्ट विकसित की जाए। ऐसे पेड़ लगाए जाएं जिनकी लड़कियां मूल्यवान या इमारती इस्तेमाल योग्य न हो। इससे भविष्य में उनकी तस्करी की संभावना भी नहीं रहेगी। इस दौरान धनबाद और झारखंड के शहर ही नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों से भी कई लोगों ने उनसे जल और पर्यावरण संरक्षण से जुड़े सवाल पूछे।

मिट्टी की कच्ची गलियां और द्वार अब पक्के, कैसे होगा वाटर रिचार्ज: सिंफर वैज्ञानिक से सवाल पूछने वालों में गांव के भी कई लोग थे। उनका सवाल था कि गांवों में भूमिगत जल में कमी क्यों हो रही है। उन्हें बताया कि गांव की गलियां और घरों के द्वार पहले मिट्टी के थे। बरसात में वहां पानी इकट्ठा होते थे और आहिस्ता-आहिस्ता जमीन के अंदर चले जाते थे। अब ज्यादातर गलियां और द्वार पक्के हो गए हैं। इस वजह से वाटर रिचार्ज कम हो गए हैं।इन्होंने पूछे सवाल: सुरेंद्र ठाकुर बरवाअड्डा, चंचल कुमार महुदा, रुपक महतो बलियापुर, गौरव सिंह स्टीलगेट, अन्नपूर्णा देवी झरिया, रोहित सिंह मिर्जापुर उत्तर प्रदेश, संदर्भ सिंह वाराणसी, विभूति नारायण तोपचांची, पूरन महतो गोविंदपुर व अन्य।


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