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CM को ट्वीट के बाद भी नहीं मिली प्रवासी मजदूरों को मदद; कहा- 1.6 लाख देखा नहीं तो किराया कैसे दें Dhanbad News

ओडिशा तेलंगाना महाराष्ट्र कर्नाटक में फंसे मजदूरों का कहना है कि झारखंड सरकार द्वारा जारी हेल्पलाइन नंबर पर कॉल रिसीव नहीं हो रहा है। यहां खाने-पीने की व्यवस्था भी नहीं है।

By Sagar SinghEdited By: Published: Wed, 13 May 2020 03:10 PM (IST)Updated: Wed, 13 May 2020 03:10 PM (IST)
CM को ट्वीट के बाद भी नहीं मिली प्रवासी मजदूरों को मदद; कहा- 1.6 लाख देखा नहीं तो किराया कैसे दें Dhanbad News
CM को ट्वीट के बाद भी नहीं मिली प्रवासी मजदूरों को मदद; कहा- 1.6 लाख देखा नहीं तो किराया कैसे दें Dhanbad News

धनबाद, जेएनएन। फरवरी में काम को आए और लॉकडाउन में फंस गए। अब न हेल्पलाइन नंबर हेल्प कर रहा है न स्थानीय सरकार और प्रशासन। करें तो करें क्या? जेब में न पैसे हैैं न ही घर में खाना बचा है। पैदल गांव लौटना ही मजबूरी है। रोजगार की तलाश में अन्य राज्यों को गए अधिकांश मजदूरों की यही स्थिति है। वे अपना आपा खो रहे हैं। ट्रेनें मिल नहीं रहीं और बस का किराया वे वहन नहीं कर सकते। लिहाजा ओडिशा, महाराष्ट्र, तेलंगाना, तमिलनाडु, कर्नाटक में फंसे मजदूर पैदल ही घर लौटने को बेताब हो रहे हैं।

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रतनपुर टुंडी के मजदूरों ने 1.6 लाख देखा भी नहीं, किराया कैसे दें : रतनपुर पंचायत टुंडी के आफताब अंसारी गांव के 14 लोगों के साथ फरवरी में कर्नाटक के चित्रदुर्ग काम की तलाश में पहुंचे। मार्च में लॉकडाउन हो गया। मात्र फरवरी माह का ही पैसा मिला था जो अब खत्म हो चुका है। घर में अनाज भी नहीं बचा है। स्थानीय सरकार व प्रशासन कोई मदद नहीं कर रही। अब ये मार्च की मजदूरी भी छोड़कर घर लौटना चाहते हैं। मुसीबत ये कि शनिवार को ही ट्रेन का रजिस्ट्रेशन करवाए लेकिन जवाब नहीं आ रहा। प्रशासन से वाहन उपलब्ध कराने को कहा तो जवाब मिला कि खर्च उन्हें ही देना होगा। कितना एक सीट पर एक व्यक्ति के हिसाब से एक मिनी बस चाहिए जिसका खर्च 1.60 लाख रुपये मांगा जा रहा। आफताब कहते हैं कि इतना पैसा तो हमने देखा भी नहीं किराया कहां से दें। झारखंड सरकार भी मदद नहीं कर रही।

गादी टुंडी के मजदूरों की हालत खराब : गादी टुंडी के शोएब अंसारी के साथ इलाके के 19 मजदूर ओडिशा के बलांगीर में फंसे हैैं। उनकी टीम की स्थिति भी दयनीय है। दूरभाष पर बताया कि घर लौटने के लिए यात्री पंजीकरण कराया है। कोई जवाब नहीं मिला। जिस कांट्रैक्टर के मातहत काम कर रहे थे वह कभी खाना देता है कभी नहीं। प्रशासन सुन नहीं रहा। झारखंड सरकार के हेल्पलाइन नंबर पर तो कोई जवाब ही नहीं मिलता। ये सब मार्च में ही गए थे और फंस गए।

कलियासोल के मजदूर एक सप्ताह का अनाज कितने दिन चलाएं : कलियासोल के आठ मजदूरों की टोली मुंबई के आनंद नगर में फंसी है। ये खुशनसीब थे कि झारखंड सरकार के हेल्पलाइन नंबर ने इनकी बात सुनी। एक सप्ताह का अनाज भी पहुंचाया फिर भूल गए। अब फोन भी नहीं उठाते। हालांकि इन्हें स्थानीय प्रशासन खाने की सुविधा दे रही है। बावजूद पेमेंट नहीं होने से तंगी है। मुंबई से ट्रेन भी नहीं खुली कि ये लौटें। अब पैदल चलने की योजना बना रहे।

यहां भी फंसे हैैं मजदूर : मुंबई के अंधेरी वेस्ट में टुंडी के दो दर्जन से अधिक मजदूर फंसे हैं। सेंट्रल चेन्नई में गोविंदपुर के रहने वाले 29 मजदूर मकरू महतो, निताई रजवार के साथ फंसे हैं। तेलंगाना के नलगोडा जिला में धनबाद व लातेहार के 200 से अधिक मजदूर फंसे हुए हैं। इन्हें खाने के लाले पड़े हुए हैं। बावजूद इन्हें न झारखंड के हेल्पलाइन नंबर से मदद मिल रही न ही स्थानीय सरकार से ही।

मुख्यमंत्री को ट्वीट का भी असर नहीं : मजदूरों की दुरावस्था के प्रति पीएमओ, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, उपायुक्त धनबाद, झारखंड पुलिस को भी अवगत कराया जा रहा है। भारतीय मजदूर संघ के विशाल भारद्वाज के मुताबिक वे अब तक 2000 मजदूरों की जानकारी ट्विटर के जरिए दे चुके हैं, लेकिन किसी में भी जवाब नहीं आया।


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