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म‍िल‍िए धनबाद के इस कबीर पंथी से घर-प‍र‍िवार छोड़ नशा के प्रत‍ि लोगों को कर रहे जागरूक

इसे ज़ुनून कहिए या फिर समाज के लिए कुछ कर गुजरने की तमन्ना । नशामुक्त समाज निर्माण के लिए सहदेव दास बैरागी घर परिवार को छोड़कर कबीर पंथी बन गए। महंत सहदेव दास बैरागी वर्ष 1981 में कबीर पंथी बने और इस आश्रम से जुड़ गए।

By Atul SinghEdited By: Published: Sat, 15 Jan 2022 01:46 PM (IST)Updated: Sat, 15 Jan 2022 01:46 PM (IST)
म‍िल‍िए धनबाद के इस कबीर पंथी से घर-प‍र‍िवार छोड़ नशा के प्रत‍ि लोगों को कर रहे जागरूक
इसे ज़ुनून कहिए या फिर समाज के लिए कुछ कर गुजरने की तमन्ना ।

अमृत कुमार बाउरी , निचितपुर ( धनबाद ) : इसे ज़ुनून कहिए या फिर समाज के लिए कुछ कर गुजरने की तमन्ना । नशामुक्त समाज निर्माण के लिए सहदेव दास बैरागी घर परिवार को छोड़कर कबीर पंथी बन गए। धनबाद जिले के ईस्ट बसुरिया कोल डम्प कालोनी स्थित कबीर आश्रम के महंत सहदेव दास बैरागी वर्ष 1981 में कबीर पंथी बने और इस आश्रम से जुड़ गए।

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इसके बाद से ही उन्होंने नशा छोड़ो अभियान की मुहिम छेड़ रखी है। महंत जागरूकता अभियान चलाकर इस बुराई को त्याग करने के लिए लोगों से अपील करते हैं। इसका सार्थक परिणाम भी सामने आया। कई लोगों ने शराब का सेवन करना छोड़ दिया। शराब का सेवन करना छोड़ने वाले लोगों ने बताया कि महंत के संपर्क में आने के बाद ही जिंदगी में यह बदलाव आया है। महंत के इस अभियान में उनका पूरा सहयोग भी करते हैं। महंत का दावा है कि अब तक एक सौ से ज्यादा लोगों को नशाखोरी से मुक्त करा चुके हैं।

1971 में स्थापित किया गया आश्रम

महंत महावीर दास ने वर्ष 1971 में समाज में फैली कुरीतियों को दूर करने के उद्देश्य से इस आश्रम की स्थापना की थी। लगभग 11 वर्ष पूर्व उनका निधन हो गया। उनके निधन के बाद सहदेव दास बैरागी इस आश्रम के महंत बनाए गए। वर्तमान समय में लगभग एक सौ अधिक लोग इस आश्रम से जुड़कर कबीर पंथी बने हैं।

महंत की बोल

महंत ने बताया कि विभिन्न क्षेत्रो में जा जाकर नशाखोरी

के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाया गया। जागरूकता अभियान के माध्यम से वे लोगों को नशाखोरी से होने वाले नुकसान से अवगत कराते हैं। कहा कि जब तक लोग पूरी तरह से नशे आदत से मुक्त नहीं हो जाता , तब तक नशाखोरी के खिलाफ अभियान चलता रहेगा।

वर्जन

गुरू जी के संपर्क में आने के बाद मैंने वर्ष 2016 से शराब का सेवन करना हमेशा के लिए छोड़ दिया हूं। शराब का सेवन करने के कारण मेरे बाल बच्चों की पढ़ाई लिखाई में बहुत दिक्कत होती थी। शराब का सेवन करना छोड़ने के बाद मेरे बाल बच्चे अच्छे से पढ़ाई लिखाई करते हैं।

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शराब के सेवन करने से स्वास्थय पर बुरा असर पड़ता था। घर और बाहर में लड़ाई झगड़ा भी होता था। जब से शराब का सेवन करना छोड़ दिये हैं तब से मेरे साथ लड़ाई झगड़ नहीं होता हेै। गुरू जी के नशाखोरी के खिलाफ अभियान से सीख लेकर मैंने वर्षों पहले शराब का सेवन करना छाेड़ दिया हूं।

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नशा का सेवन करने से घर में हमेशा कलह कचकच होता था। गुरू जी के संपर्क में आने के बाद मैंने वर्ष 2009 से शराब का सेवन करना छोड़ दिया हूं। मेरे घर में अब कलह कच कच नहीं होता है।

उमेश , छोटकी बौआ मुहल्ला


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