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MDR TB मरीजों को 156 इंजेक्शन से मिलेगी मुक्ति, 22 वर्षों बाद इलाज का पैटर्न बदला Dhanbad News

एमडीआर टीबी से ग्रसित मरीजों को 156 इंजेक्शन के झंझट से मुक्ति मिलनी शुरू हो गयी है। डब्ल्यूएचओ के निर्देश पर देश भर में अब मरीजों को सिर्फ 20 तरह की दवा खिलाई जाएगी।

By Sagar SinghEdited By: Published: Fri, 11 Oct 2019 01:00 PM (IST)Updated: Fri, 11 Oct 2019 01:00 PM (IST)
MDR TB मरीजों को 156 इंजेक्शन से मिलेगी मुक्ति, 22 वर्षों बाद इलाज का पैटर्न बदला Dhanbad News
MDR TB मरीजों को 156 इंजेक्शन से मिलेगी मुक्ति, 22 वर्षों बाद इलाज का पैटर्न बदला Dhanbad News

धनबाद, जेएनएन। केंदुआ निवासी बसंत कुमार (बदला हुआ नाम) जानलेवा एमडीआर टीबी से ग्रसित हैं। वाहन चालक बसंत का इलाज टीबी विभाग से चल रहा है, हर बार बसंत को इसके लिए इंजेक्शन लगवाना पड़ता है। उसे अभी तक 70 से ज्यादा इंजेक्शन लग चुका है। इस कारण शरीर पर कई जगहों पर भारी सूजन हो गया है, लेकिन अब बसंत जैसे दूसरे मरीजों को इंजेक्शन के झंझट से मुक्ति मिलनी शुरू हो गयी है।

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दरअसल, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के निर्देश पर देश भर में एमडीआर व एक्सडीआर टीबी के इलाज के पैटर्न में 22 वर्षो के बाद पहली बार बदलाव किया गया है। अब एमडीआर टीबी के तहत 156 इंजेक्शन की जगह इन मरीजों को दवा खिलाई जाएगी। धनबाद में भी नये पैर्टन के तहत इलाज शुरू हो गयी है। धनबाद में अभी लगभग 150 एमडीआर मरीज हैं। 22 वर्ष पूर्व वर्ष 1997 को संशोधित राष्ट्रीय क्षयरोग नियंत्रण कार्यक्रम (आरएनटीसीपी) के तहत एमडीआर का इलाज शुरू हुआ था।

156 इंजेक्शन के साथ 30 तरह की दवा खा रहे थे मरीज

एमडीआर टीबी के मरीज को दो वर्षो के अंदर 156 इंजेक्शन व 30 तरह की अलग-अलग दवाएं खानी पड़ती थी। एक्सडीआर के मरीजों को भी सुई व दवा लेनी पड़ती थी। लेकिन, अब नई व्यवस्था के तहत मात्र 20 तरह की दवा मरीजों को देना है। पिछले दिनों केंद्र सरकार ने इस दवा को भारत में लांच किया था। इस दवा को ऑन ओरल रेजीमिन कहते हैं। सरकार की कोशिश है कि वर्ष 2025 तक टीबी का देश से उन्मूलन कर दिया जाए।

क्या है एमडीआर और एक्सडीआर टीबी : एमडीआर टीबी को मल्टी ड्रग रेसिस्टेंट कहते हैं। सामान्य टीबी के मरीज जब दवा बीच में छोड़ देते हैं या बार-बार दवा बदलते हैं, तब टीबी के इस बैक्टीरिया पर दवा का असर प्रभावहीन हो जाता है। मरीज एमडीआर में चला जाता है। जबकि एमडीआर टीबी की दवा तब बेअसर हो जाती है, जब मरीज एक्सडीआर में चला जाता है। एक्सडीआर को (एक्सटेंसिवली ड्रग रेजिस्टेंट) कहते हैं। इसके मरीज की बचने की संभावना दस प्रतिशत से भी कम होती है।

धनबाद में नए पैटर्न पर दवाएं देना शुरू : सिविल सर्जन डॉ. गोपाल दास ने कहा कि एमडीआर व एक्सडीआर मरीजों को अब इंजेक्शन लेने की समस्या से मुक्ति मिलेगी। नए पैटर्न पर दवाएं शुरू कर दी गई हैं।

इंजेक्शन के हैं साइड इफेक्ट

दरअसल, एमडीआर टीबी के मरीजों को इंजेक्शन से कई तरह के साइड इफेक्ट्स होते थे। अधिकांश को कान से कम सुनाई देना, चक्कर आना, उल्टी-दस्त होना, बेहोश होना आदि समस्याएं हो रही थीं। मानसिक स्थिति भी खराब हो रही थी। इन्हीं समस्याओं को देखते हुए अब पैटर्न में बदलाव किया गया है।


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