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बीसीकेयू व सीटू की स्टेयरिंग पर मासस का कब्जा, माकपा की जमीन खिसकी, दोस्ती टूटी तो अस्तित्व पर आएगा संकट

सेंट्रल ट्रेड यूनियन सीटू माकपा की मजदूर संगठन है। बिहार कोलियरी कामगार यूनियन (बीसीकेयू) सीटू से संबद्ध है जो कोयला क्षेत्र की मजबूत मजदूर संगठन है। झारखंड में सीटू एवं बीसीकेयू की ताकत माकपा एवं मासस संयुक्त रूप से रही है।

By Deepak Kumar PandeyEdited By: Published: Wed, 17 Aug 2022 04:12 PM (IST)Updated: Wed, 17 Aug 2022 04:12 PM (IST)
बीसीकेयू व सीटू की स्टेयरिंग पर मासस का कब्जा, माकपा की जमीन खिसकी, दोस्ती टूटी तो अस्तित्व पर आएगा संकट
मिथिलेश सिंह के कद का कोई नेता माकपा के पास नहीं है।

जागरण संवाददाता, धनबाद: सेंट्रल ट्रेड यूनियन सीटू माकपा की मजदूर संगठन है। बिहार कोलियरी कामगार यूनियन (बीसीकेयू) सीटू से संबद्ध है, जो कोयला क्षेत्र की मजबूत मजदूर संगठन है। झारखंड में सीटू एवं बीसीकेयू की ताकत माकपा एवं मासस संयुक्त रूप से रही है। झारखंड में सीटू की स्टेयरिंग पर शुरू से ही माकपा रही है, जबकि बीसीकेयू की स्टेयरिंग पर माकपा के एसके बक्शी एवं मासस के एके राय संयुक्त रूप से रहे हैं।

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मासस एवं माकपा के दशकों से संबंध इतने मधुर रहे हैं कि आप यह बता नहीं सकते थे कि बीसीकेयू का कौन नेता माकपा से जुड़ा है और कौन मासस से, लेकिन काॅमरेड एके राय एवं एसके बक्शी के दिवंगत होने के बाद बीसीकेयू को लेकर मासस एवं माकपा की दोस्ती टूट चुकी है। सीटू एवं बीसीकेयू दोनों की स्टेयरिंग पर माकपा को पीछे धकेलते हुए अब मासस बैठ चुकी है। माकपा के पास पीछे बैठने के अलावा अब कोई रास्ता नहीं है। माकपा की जमीन पूरी तरह से खिसक चुकी है। मजदूरों के बीच माकपा की पैठ नहीं है। बीसीकेयू में भी माकपा के गिनती के ही नेता हैं। यही वह नेता हैं, जो अध्यक्ष की कुर्सी माकपा को देने की मांग कर रहे थे। इन नेताओं ने मिथिलेश सिंह जैसे दिग्गज मजदूर नेता को अध्यक्ष बनाने का विरोध कर अपनी किरकिरी करा ली है। मिथिलेश सिंह बीसीकेयू के दिग्गज नेता हैं। उनकी गिनती एके राय, आनंद महतो एवं एसके बक्शी की पंक्ति में होती है। मिथिलेश सिंह के कद का कोई नेता माकपा के पास नहीं है। ऐसे में मिथिलेश सिंह का विरोध करने का दांव उलटा पड़ गया।

इसका पता इसी से चलता है कि बीसीकेयू के 16 केंद्रीय सदस्यों में से 13 ने मिथिलेश सिंह को रामगढ़ के अधिवेशन में अध्यक्ष चुन लिया। पूरी तरह से अलग-थलग पड़ चुके तीनों केंद्रीय सदस्य व माकपा नेता मानस चटर्जी, सुरेश प्रसाद गुप्ता एवं सुंदर लाल महतो ने अधिवेशन का बहिष्कार कर दिया और समानांतर कमेटी बनाने की घोषणा कर दी। इधर इसके दूसरे दिन से माकपा नेताओं का गुस्सा नरम पड़ गया है। माकपा के मानस चटर्जी ने कहा कि इस पूरे प्रकरण में न तो वह और न ही उनके पक्ष के कोई नेता कुछ बोलेंगे।

बीसीकेयू के अध्यक्ष व महामंत्री दोनों मासस के खाते में

रामगढ़ अधिवेशन में बीसीकेयू का अध्यक्ष मिथिलेश सिंह एवं महासचिव पूर्व विधायक अरूप चटर्जी को चुना गया है। मिथिलेश एवं अरूप दोनों मासस के नेता हैं। माकपा नेताओं का कहना है कि परंपरा के अनुसार अध्यक्ष की कुर्सी माकपा को देनी चाहिए।

सीटू के अध्यक्ष हैं मिथिलेश तो विप्लव महासचिव

झारखंड सीटू का अध्यक्ष बराबर माकपा का ही नेता रहा है। पहली बार मासस नेता मिथिलेश सिंह झारखंड सीटू के अध्यक्ष बने हैं। वैसे झारखंड सीटू के महासचिव माकपा के प्रकाश विप्लव हैं। इतना ही नहीं, झारखंड में सीटू से जेबीसीसीआइ के सदस्य भी मासस के ही अरूप चटर्जी हैं।

अरूप बोले- जल्‍द ही दूर हो जाएगी नाराजगी

इस संबंध में बीसीकेयू नवनिर्वाचित महामंत्री अरूप चटर्जी ने कहा कि संगठन में मिथिलेश सिंह का जो योगदान है, उसे देखते हुए उनके समक्ष किसी दूसरे नेता को खड़ा नहीं किया जा सकता है। आनंद महतो व मिथिलेश सिंह अभिभावक की श्रेणी में हैं। वहीं जहां तक माकपा नेताओं का सवाल है तो वह हमसे अलग नहीं हुए हैं। वह हमसे नाराज हो सकते हैं, लेकिन अलग नहीं हो सकते हैं। उनकी नाराजगी शीघ्र दूर हो जाएगी।


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