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भगवान बुद्ध ने 25 सौ वर्ष पहले इलाज की जिस पद्धति की शुरुआत की, अब उसका भी ज्ञान लेंगे MBBS के छात्र

वह दिन दूर हो गए जब एमबीबीएस छात्रों को केवल एलोपैथ की पढ़ाई कराई जाती थी। अब एमबीबीएस की पढ़ाई के दौरान इंटर्नशिप करने वाले छात्रों को तिब्बत की पद्धति सोवा रिग्पा भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद होम्योपैथ यूनानी योग की वैकल्पिक शिक्षा पद्धति के बारे में भी पढ़ाया जाएगा।

By Deepak Kumar PandeyEdited By: Published: Fri, 20 May 2022 09:59 AM (IST)Updated: Fri, 20 May 2022 09:59 AM (IST)
भगवान बुद्ध ने 25 सौ वर्ष पहले इलाज की जिस पद्धति की शुरुआत की, अब उसका भी ज्ञान लेंगे MBBS के छात्र
धनबाद स्थित मेडिकल काॅलेज प्रबंधन ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है।

मोहन गोप, धनबाद: वह दिन दूर हो गए, जब एमबीबीएस छात्रों को केवल एलोपैथ की पढ़ाई कराई जाती थी। अब एमबीबीएस की पढ़ाई के दौरान इंटर्नशिप करने वाले छात्रों को तिब्बत की पद्धति सोवा रिग्पा, भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद, होम्योपैथ, यूनानी, योग की वैकल्पिक शिक्षा पद्धति के बारे में भी पढ़ाया जाएगा। एसएनएमएमसीएच में गुरुवार को 48 एमबीबीएस छात्रों का इंटर्नशिप में नामांकन हुआ है। अब एक वर्ष के इंटर्नशिप की पढ़ाई में इन छात्रों को एक-एक सप्ताह के लिए इन चिकित्सा पद्धति की पढ़ाई करनी होगी। इसे लेकर मेडिकल काॅलेज प्रबंधन ने तैयारी शुरू कर दी है।

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नेशनल मेडिकल कमीशन ने सिलेबस ने किया बदलाव: मेडिकल काॅलेज को पहले मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया नियंत्रित करता था। केंद्र सरकार ने इसकी जगह नेशनल मेडिकल कमीशन बनाया है। इस कमीशन में विभिन्न प्रकार के सर्वे और मंथन करने के बाद एमबीबीएस के पाठ्यक्रम में नया बदलाव किया है। इंटर्नशिप करने वाले छात्रों को अब वैकल्पिक व अनिवार्य विषय के तहत भारतीय और दूसरे जगहों के चिकित्सा पद्धति के बारे में भी जानकारी रखनी होगी।

सभी चिकित्सा पद्धतियों की जानकारी रखनी अनिवार्य: नेशनल मेडिकल कमीशन का मानना है एमबीबीएस छात्रों को दूसरे चिकित्सा पद्धति के बारे में भी जानकारी रखनी चाहिए। जिससे भविष्य में जरूरत पड़ने पर मरीज को इसका लाभ मिल पाए। दरअसल एमबीबीएस के छात्रों को केवल एलोपैथ की पढ़ाई की जाती थी। वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं होती थी। सोवा रिग्पा, आयुर्वेद और योग की फिलहाल पूरी दुनिया में पसंद किया जा रहा है। इससे बीमारी भी दूर हो रही है। डिप्रेशन को कम करने में इन चिकित्सा पद्धति का भी अहम रोल माना जा रहा है।

भारत में ही हुआ सोव रिग्‍पा का उद्भव, हिमालय रिजन में आज भी इसी पद्धति से होता लोगों का इलाज: बताया जाता है कि सोवा रिग्‍पा शब्‍द को भाेती भाषा से लिया गया है, जिसका अर्थ है उपचार का ज्ञान। माना जाता है कि आज से करीब 25 सौ वर्ष पूर्व भगवान बुद्ध ने इलाज की इस पद्धति की नींव रखी थी। भारत के हिमालयन रिजन में आज भी इस विधि का इस्‍तेमाल लोगों के इलाज में प्रमुखता से किया जाता है। भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने भी इलाज की इस विधि को मान्‍यता दी हुई है। अब इसी विद्या का ज्ञान एमबीबीएस के छात्र भी लेंगे।

सिलेबस में इन विषयों को जोड़ा गया

एलोपैथ में-

रेस्पिरेट्री मेडिसिन, ट्यूबरकुलोसिस (डाट्स प्लस), रेडियो डायग्नोस्टिक्स, लैबोरेट्री मेडिसिन व जिरियाट्रिक (वृद्ध) मेडिसिन।

वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति में-

तिब्बत की सोवा रिग्पा, आयुर्वेद, योगा, यूनानी, होम्योपैथी व सिद्धा।

इस संबंध में शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एवं अस्‍पताल के प्राचार्य डॉक्‍टर ज्‍योति रंजन ने बताया कि इंटर्नशिप के छात्रों को वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति के बारे में अनिवार्य रूप से पढ़ाई करनी होगी। इसकी पढ़ाई के लिए बाहर से करार किया जाएगा। नए सिलेबस के अनुसार एमबीबीएस के पढ़ाई में नए विषय जोड़े गए हैं।


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