शास्त्रीय संगीत ने दिया साथ और बन गई यूनिवर्सिटी की 'मल्लिका'
मल्लिका का कहना है कि टॉपर बनने के लिए 10 घंटे पढ़ने की बिलकुल जरूरत नहीं। कम पढ़े पर मन लगाकर पढ़ें।
धनबाद, जेएनएन। घरेलु काम के लिए कभी किसी ने दबाव नहीं दिया। न ही कभी पापा ने करियर को लेकर इंटरफेयर किया। बेटी होने के बाद भी अपनी जिंदगी चुनने और उसे संवारने की पूरी आजादी मिली। यह कहना है विनोबा भावे विश्वविद्यालय की कॉमर्स पीजी टॉपर मल्लिका का। राजकमल स्कूल से 12वीं और गुरुनानक कॉलेज से स्नातक के बाद पीके राय कॉलेज से पीजी कॉमर्स करने वाली छात्रा राजकमल सरस्वती विद्या मंदिर के शिक्षक कल्याण पाठक की पुत्री है।
मल्लिका का कहना है कि टॉपर बनने के लिए 10 घंटे पढ़ने की बिल्कुल जरूरत नहीं। जरूरत है तो बस अध्ययन की, क्योंकि ज्यादा देर तक पढ़ने से मन थक जाता है। इसलिए बेहतर है कि कम पढ़ें पर मन लगाकर पढ़ें।
अपनी हॉबी के बारे में वह कहती हैं कि उसकी पढ़ाई में शास्त्रीय संगीत का काफी साथ मिला। जब भी मानसिक तनाव होता था तो कुछ देर म्युजिक सुन लेती थी, जिसके बाद फिर से मन तरोताजा हो जाता था।
बड़ी बहन भी रह चुकी यूनिवर्सिटी टॉपर: बड़ी बहन केतकी भी पीजी बॉटनी में यूनिवर्सिटी टॉपर रह चुकी हैं। अपनी दीदी से प्रेरित मल्लिका ने भी यह ठान लिया था कि उसे भी यह उपलब्धि हासिल करनी है। वह कहती है कि वह प्रोफेसर बन कर न सिर्फ पढ़ाना बल्कि शोध के क्षेत्र में जाकर कुछ अलग करना चाहती है।
मां और शिक्षक बने प्रेरणा: मा प्रेमशीला पाठक गृहणी है जिसे मल्लिक रोल मॉडल मानती है। उनके साथ-साथ पीके राय कॉलेज के कॉमर्स के प्रोफेसर डॉ. एसबी ढाल को वह प्रेरणास्रोत मानती हैं।
नो नॉलेज, विदआउट कॉलेज: मल्लिका ने बताया कि वह कॉलेज रोज जाती थी। उसकी कोशिश यही थी कि एक दिन भी क्लास मिस न हो, क्योंकि उसका मानना है कि नो नॉलेज, विदआउट कॉलेज।