Move to Jagran APP

MakeSmallStrong: ग्राहकों ने किया भरोसा तो सात साल में खड़े किए सात सैलून ग्राहक संतुष्टि से मिलता सुकून

बिहार के बांका जिले के रहने वाले राकेश कुमार की जीवन काफी संघर्ष पूर्ण रहा है। राकेश बताते है कि छोटी से ही उम्र में कुछ करने की ललक थी। बड़ा बनने व अपने स्वजन को एक छत के नीचे समेट कर रखने का सपना हमेशा से देखा करते थे।

By MritunjayEdited By: Published: Wed, 21 Oct 2020 09:04 AM (IST)Updated: Wed, 21 Oct 2020 09:04 AM (IST)
MakeSmallStrong: ग्राहकों ने किया भरोसा तो सात साल में खड़े किए सात सैलून ग्राहक संतुष्टि से मिलता सुकून
आर लाउंच का सैलून के क्षेत्र में धनबाद में एक अलग पहचान।

धनबाद, जेएनएन। अगर कुछ करने की ललक हो तो मंजिल तक पहुंचने का रास्ता आसान हो जाता है। जन्म के दो साल बाद ही पिता का सर से साया उठ गया। मां अकेली स्वजन का पालन पोषण किसी तरह से की। यह बातें आर लाउंच सैलून चालने वाले 31 वर्षीय राकेश कुमार ने बताई। घर की स्थिति ठीक नहीं होने के कारण पढ़ाई लिखाई भी तीसरी तक ही हो पायी। तीसरी तक पढ़ाई करने वाले राकेश आज फर्राटेदार अंग्रेजी अपने ग्राहकों से बोलते है।

prime article banner

बिहार के बांका जिले के रहने वाले राकेश कुमार की जीवन काफी संघर्ष पूर्ण रहा है। राकेश बताते है कि छोटी से ही उम्र में कुछ करने की ललक थी। बड़ा बनने व अपने स्वजन को एक छत के नीचे समेट कर रखने का सपना हमेशा से देखा करते थे। इसी सपने का लिए घर से जो निकाला उसके बाद बांका की ओर फिर घूम कर देखने का मौका ही नहीं मिला। गांव की याद आती है, समय नहीं मिलता। दो साल की उम्र में ही पिता का सर से साया उठ जाने के बाद घर की स्थिति को लेकर हमेशा चिंता लगी रहती थी। बड़े भाई भी अपनी पढ़ाई स्कूल तक ही कर पाए। उन्हें पढ़ने का मौका ही नहीं मिला। घर चलाने की जिम्मेवारी मां और उन पर ही थी। मुेझ कछ समझ आई तो फैंशन की दुनिया में हमेशा जाना चाहता था। सो फैंशन की दुनिया में कदम रखा। ट्रैनिंग ली। दोस्तो व सहयोगियों का पूरा सहयोग इसमें मिला। 2007 में जावेद हबीब के कोर्स का एक साल का ट्रैनिंग ली। उसके बाद तीन साल टोनीसन टी का भी प्रशिक्षण चेन्नाई में में करने के बाद 2013 में कोलकाता आ गया। वहां कैमिस्ट स्ट्रीट में काम करने लगा। इसी दौरान धनबाद के बैंक मोड़ निवासी विनय दक्षित व प्रदीप संथालिया से मुलाकात हुई। वे हमारे प्रिय ग्राहक में थे। काफी दिनों तक काम करने के बाद एक विश्वास हो गया।

प्रदीप संतालिया व विनय दक्षित ने धनबाद में सैलुन खोलने का ऑफर दिया। यहां कुछ दिन तक दूसरे के टनयोर हेड के नाम का सहारा लेकर काम किया। उसके बाद फिर आर लाउंच पार्रलर प्राइवेट लिमिटेड अपना बनाकर काम शुरू किया। इस दौरान उन्होंने बताया कि इस काम में उनके सहयोगी के रूप में रहिस खान, मो. साहिल ने काफी मदद की।

पत्नी, भैया, भाभी का पूरा सहयोग

राकेश कहते हैं कि इस काम में पत्नी प्रियंका, भाई महेंद्र यादव उनकी पत्नी सुशीला का पूरा सहयोग है। चारों मिलकर इस काम को पूरी तरह से करते है। पत्नी मैकअप का कोर्स किए हुए है। उसमें इस काम में काफी आनंद आता है। भाड़े के घर में है बसेरा : स्टील गेट में ही एक फ्लेट भाड़ा पर ले रखा है। हम सब परिवार एक साथ रहते हैं। मां है उसका पूरा सहयोग मिलता है। दिन भर काम को लेकर सारे लोग बाहर ही रहते है ऐसे में मां के समक्ष बड़ी जिम्मेवारी होती है।

सात सैलून के मालिक है राकेश

पांच लाख की लागत से धनबाद के बिग बाजार में आर लाउंच सैलुन की स्थापना की। वर्तमान समय में धनबाद में दो, देवघर, गिरीडीह, दुमका, कोलकाता, बेरमो फुसरो में सैलुन चल रहा है। प्रभातम में जल्द खोला जाएगा। इसके लिए तैयारी । हर साल दो नया सैलून खोलने का लक्ष्य : इनका सपना है कि झारखंड के रांची सहित कई बड़े शहरों में आर लाउंच सैलून खोला जाएगा। इसी दिशा में काम कर रहें है। उन्होंने बताया कि जरूरत पड़ी तो फ्राइंचाइजी भी देंगे, ताकि लोगों को इसका पूरा लाभ मिले।

ग्राहक संतुष्टि में मिलता सकुन

ग्राहक जब तक काम से संतुष्ट नहीं होते काम करने में मन ही नहीं लगता। इस लिए ग्राहक की जो फंसद होती है उसका पूरा ध्यान रखा जाता है। ताकि उन्हें किसी तरह की कोई परेशानी न हो। कहते है कि धनबाद के बिग बाजार सेंट्रर में लड़कियों व लड़कों को प्रशिक्षण भी दिया जाता है व उनके चाहने पर यहां रोजगार के अवसर होने पर रखा लिया जाता है। सात सेंट्रर मिलाकर करीब 90 लोग काम कर रहें है। इन्हें बेहतर वेतन भी दिया जाता है। हर सेंट्र में करीब 12 से 15 लोग है, इसमें लड़कियों की संख्या अधिक है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.