Move to Jagran APP

आइटीआइ करने के बाद फेरी लगाकर कपड़ा बेचा, अब महिलाओं को बना रहे स्वावलंबी

निरसा महिला सशक्तीकरण व उन्हें रोजगार से जोड़ने की मुहिम में दो वर्ष पांड्रा निवासी काजल रवानी लगे हुए हैं। यह महिलाओं को सिलाई-कढ़ाई में दक्ष बनाकर उन्हें स्वावलंबी बनाने में सहयोग कर रहे हैं। तकरीबन एक दर्जन महिलाएं प्रतिमाह दो से तीन हजार रुपए की आमदनी कमा रही हैं। काजल रवानी निरसा के पांड्रा में अपना ब्लाउज सेंटर चलाते हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 09 May 2021 06:27 AM (IST)Updated: Sun, 09 May 2021 06:27 AM (IST)
आइटीआइ करने के बाद फेरी लगाकर कपड़ा बेचा, अब महिलाओं को बना रहे स्वावलंबी
आइटीआइ करने के बाद फेरी लगाकर कपड़ा बेचा, अब महिलाओं को बना रहे स्वावलंबी

संवाद सहयोगी, निरसा : महिला सशक्तीकरण व उन्हें रोजगार से जोड़ने की मुहिम में दो वर्ष पांड्रा निवासी काजल रवानी लगे हुए हैं। यह महिलाओं को सिलाई-कढ़ाई में दक्ष बनाकर उन्हें स्वावलंबी बनाने में सहयोग कर रहे हैं। तकरीबन एक दर्जन महिलाएं प्रतिमाह दो से तीन हजार रुपए की आमदनी कमा रही हैं। काजल रवानी निरसा के पांड्रा में अपना ब्लाउज सेंटर चलाते हैं। इन्होंने इंटर की परीक्षा पास करने के बाद आईटीआई किया। रोजगार नहीं मिलने की वजह से फेरी लगाकर गांव-गांव में कपड़े बेचते थे। दो वर्ष पूर्व अचानक दिमाग में आया कि गांव की महिलाओं को ट्रेंड कर उन्हें रोजगार भी उपलब्ध करवा सकते हैं। साथ ही उन्हें भी रोजगार मिलता रहेगा। काजल पूर्व से ही टेलरिग का काम जानते थे । दो वर्ष पूर्व अपने गांव के बीच महिलाओं को टेलरिग का ट्रेनिग देने के बाद उन्हें ब्लाउज व पेटीकोट निर्माण के लिए प्रेरित किया। ब्लाउज व पेटीकोट निर्माण में लगने वाली सारी सामग्री भी काजल महिलाओं को उपलब्ध करवाने लगे। सिर्फ महिलाओं को ब्लाउज एवं पेटीकोट सिलाई कर काजल को देना था। इसके एवज में एक ब्लाउज की सिलाई पर महिलाओं को 25 रुपए व एक पेटीकोट सिलाई पर पांच रुपये मिलता है। प्रतिमाह 300 पीस ब्लाउज व 500 पीस पेटीकोट की सिलाई व बिक्री हो जाती है। इन ब्लाउज व पेटीकोट को काजल ने स्वयं व अपने अन्य फेरी करने वाले दोस्तों के माध्यम से उसे मार्केट में बेचना शुरू किया। बाद में रेडीमेड कपड़े के कई दुकानदारों से संपर्क किया। दुकानदार भी सिलाई की गई कपड़े खरीद कर बेचने लगे। महिलाओं को सिलाई के एवज में पैसा मिलने लगा। जय बाबा कपिलेश्वर आजीविका सखी मंडल का मिला साथ :

loksabha election banner

काजल रवानी द्वारा शुरू किए गए इस कार्य में जय बाबा कपिलेश्वर आजीविका सखी मंडल की सारुवाला रवानी का सहयोग मिला। लगभग एक वर्ष पूर्व से आजीविका मंडल की महिलाएं भी इस कार्य में जुड़ गईं । वे लोग अपने घरों में रोजमर्रा के कार्य करने के बाद मिलने वाले समय में सिलाई कर अपना आय बढ़ाने लगी। आजीविका मंडल से जुड़ी कई महिलाओं ने सिलाई का ट्रेनिग भी ली। छात्राएं व गृहिणी ले रही सिलाई का प्रशिक्षण :

वर्तमान समय में आधा दर्जन से अधिक छात्राएं व गृहिणी सिलाई का प्रशिक्षण ले रही हैं। काजल रवानी ने बताया कि छह माह का सिलाई प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रशिक्षण प्राप्त करने वालों में मैट्रिक पास देकर छात्रा निशा रवानी, अल्पना रवानी, बबली दास का कहना है कि खाली समय में हम लोग सिलाई का प्रशिक्षण ले रहे हैं। प्रशिक्षण लेने के बाद हम लोग सिलाई का काम कर अपनी पढ़ाई का खर्च स्वयं उपार्जित कर लेंगे। वहीं गृहिणी सारोबाला देवी, रिया गोराई का कहना है कि हम लोग प्रशिक्षण लेकर सिलाई का काम कर अपना एवं परिवार का आर्थिक स्थिति मजबूत करेंगे। पैसा कमाने से हम लोग आत्मनिर्भर बनेंगे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.