महेंद्र हत्याकांड का अहम गवाह पलटा, नक्सलियों को पहचानने से इन्कार
धनबाद मैं एमसीसी का सदस्य नहीं था और ना ही नक्सली साकिन दा व रामचंद्र को जानता हूं।
धनबाद : मैं एमसीसी का सदस्य नहीं था और ना ही नक्सली साकिन दा व रामचंद्र को जानता हूं। मुझे विधायक महेंद्र सिंह का मोबाइल नहीं मिला था। सच है कि लखनऊ कोर्ट में मेरा धारा 164 के तहत बयान हुआ था, परंतु उसमें क्या लिखा था, यह नहीं जानता।
यह बातें सोमवार को बगोदर के विधायक महेन्द्र सिंह हत्याकाड के अहम गवाह प्रयाग महतो ने अपने पूर्व के बयान से यू-टर्न लेते हुए धनबाद सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश अरविंद कुमार पाडेय की अदालत में कही।
लखनऊ कोर्ट में दिया था बयान :
महेंद्र हत्याकाड की गुत्थी सुलझाने में प्रयाग महतो ही सीबीआइ की अहम कड़ी था। उसने ही सीबीआइ को हत्यारों के विषय में बताया था। इसी कारण 1 सितंबर 2007 को सीबीआइ ने प्रयाग महतो का धारा 164 के तहत लखनऊ सीबीआइ के विशेष दंडाधिकारी के न्यायालय में बयान करवाया था।
कोर्ट को दिए बयान में उस वक्त प्रयाग ने कहा था कि वह वर्ष 2001 से एमसीसी का सदस्य था। महेंद्र की हत्या की सूचना उसे पारसनाथ पहाड़ पर पार्टी की मीटिंग के दौरान मिली थी। केंद्रीय कमेटी के सदस्यों ने यह पता लगाने के लिए कहा था कि महेंद्र की हत्या किसने कराई थी। जिसमें चर्चा हुई थी कि महेंद्र सिंह की हत्या पार्टी के 38 वी प्लाटून ने किया था। वहीं पर केंद्रीय कमेटी में यह बात आई थी कि हत्यारे प्रमोद महतो उर्फ रामचंद्र महतो एवं साकिन दा थे। 2005 में उसे जंगल में सैमसंग का एक मोबाइल मिला था पर उसे जानकारी नहीं थी कि यह मोबाइल महेंद्र सिंह का है। सुनवाई के दौरान मुख्य आरोपित नक्सली जोनल कमाडर रमेश दा को वीसीएस द्वारा अदालत में पेश किया गया। सीबीआइ के वरीय अभियोजक कपिल मुंडा ने गवाह को पेश करने हेतु समय की प्रार्थना की। अदालत ने सीबीआइ को गवाह पेश करने का निर्देश देते हुए अगली तारीख निर्धारित कर दी है।
उल्लेखनीय है कि 6 फरवरी 05 को माले विधायक महेन्द्र सिंह की हत्या सभा कर लौटते समय दुर्गीधवैया गाव केसमीप मोटरसाइकिल सवार अपराधियों ने स्वचालित हथियार से गोली चलाकर कर दी थी। हत्या की गुत्थी सुलझाने का जिम्मा सीबीआइ की स्पेशल क्राइम ब्राच लखनऊ को सौंपी गई थी।