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धनबाद से लेकर झरिया तक लोहड़ी का जश्न आज, शाम 7 बजे जलेगी लोहड़ी Dhanbad News

नए साल का स्वागत हम चाहे कितने ही हर्ष और उल्लास से कर लें जब तक कोई त्योहार नहीं आता यह खुशी अधूरी सी लगती है। हमारी इसी कामना को पूर्ण करते हुए साल के शुरू में सबसे पहला पर्व आता है लोहड़ी का।

By Atul SinghEdited By: Published: Wed, 13 Jan 2021 11:40 AM (IST)Updated: Wed, 13 Jan 2021 11:40 AM (IST)
धनबाद से लेकर झरिया तक लोहड़ी का जश्न आज, शाम 7 बजे जलेगी लोहड़ी Dhanbad News
हमारी इसी कामना को पूर्ण करते हुए साल के शुरू में सबसे पहला पर्व आता है 'लोहड़ी' का। (जागरण)

धनबाद, जेएनएन : नए साल का स्वागत हम चाहे कितने ही हर्ष और उल्लास से कर लें, जब तक कोई त्योहार नहीं आता, यह खुशी अधूरी सी लगती है। हमारी इसी कामना को पूर्ण करते हुए साल के शुरू में सबसे पहला पर्व आता है 'लोहड़ी' का। पंजाब की खुशबू और ढोल के नगाड़ों से भरपूर यह त्योहार, हमारे दिल के कोने तक खुशियों की बौछार छोड़ जाता है। यह भारत में साल का पहला अहम पर्वमाना जाता है। लोहड़ी पंजाब तक सीमित नहीं है बल्कि इसका दायरा बढ़ गया है। धनबाद में भी पंजाबियों की अच्छी खासी तादात होने की वजह से यहां धूमधाम से लोहड़ी का पर्व मनाया जाता है। शक्ति मंदिर और झरिया में पंजाबी बिरादरी की ओर से हर साल बड़े स्तर पर आयोजन होता है, हालांकि इस दफा कोविड-19 की वजह से छोटे स्तर पर आयोजन किया जा रहा है। कोविड-19 निर्देशों का पालन करते हुए धनबाद-झरिया दोनों जगह शाम 7 बजे लोहड़ी प्रज्वलित की जाएगी। लोहड़ी का गीत दे दे माए लोहड़ी जीवे तेरी जोड़ी, इस दिन हर घर में सुनाई देता है। इसका अर्थ है कि आप हमें मूंगफली, रेवड़ी के रूप में लोहड़ी दीजिए और हम आपके सुखद सफल दांपत्य जीवन की कामना करेंगे। 

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वैसे तो मकर संक्रांति के एक दिन पहले मनाया जाने वाला यह त्योहार मूलत: पंजाब का है। आज यह पंजाब से बाहर निकलकर हिंदुस्तान के कोने-कोने तक पहुंच गया है। ज्यादातर इसका रंग आप उत्तर भारत में देख सकते हैं। लोहड़ी के दिन पंजाब में वर्षों से पतंगें उड़ाने की प्रथा भी चली आ रही है। इसे ढोल व नाच-गाने के साथ जश्न के रूप में मनाया जाता है। 

नवविवाहित जोड़ों के लिए होता है खास

लोहड़ी का पर्व उन जोड़ों और बच्चों के लिए बेहद अहम होता है, जिनकी पहली लोहड़ी होती है। ऐसे जोड़ों को लोहड़ी की पवित्र आग में तिल डालने के बाद घर के बुजुर्गों का आशीर्वाद लेना होता है। लोहड़ी की रात गन्ने के रस की खीर बनती है, अगले दिन माघी के दिन खायी जाती है। इस दिन कई जगह सामूहिक रूप से भी लोहड़ी के गीत भांगड़ा-गिद्धा आदि होते हैं।

लोहड़ी का गीत

सुंदर, मुंदरिये हो,

तेरा कौन विचारा हो,

दुल्ला भट्टी वाला हो,

दुल्ले दी धी (लड़की) व्याही हो,

सेर शक्कर पाई हो।


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