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पेट्रोल और डीजल गाडि़यों की ही तरह अब रेंज की चिंता किए बिना भागेगी EV, सड़क पर चलते-चलते खुद होगी चार्ज

लोग इलेक्ट्रिक वाहन खरीदना तो चाहते हैं पर सबसे बड़ी जो समस्‍या होती है वह है उसके रेंज की। ऊपर से कीमतें भी कुछ कम नहीं होतीं! बहरहाल अब इन दोनों समस्‍याओं का तोड़ ढूंढ़ निकाला है धनबाद स्थि‍त आइआइटी आइएसएम ने।

By Ashish SinghEdited By: Deepak Kumar PandeyPublished: Mon, 26 Sep 2022 03:20 PM (IST)Updated: Mon, 26 Sep 2022 03:20 PM (IST)
पेट्रोल और डीजल गाडि़यों की ही तरह अब रेंज की चिंता किए बिना भागेगी EV, सड़क पर चलते-चलते खुद होगी चार्ज
नई तकनीक की वर्किंग के बारे में बताते प्रोफेसर पीके साधु (दाएं)।

धनबाद [आशीष सिंह]: लोग इलेक्ट्रिक वाहन खरीदना तो चाहते हैं, पर सबसे बड़ी जो समस्‍या होती है, वह है उसके रेंज की। ऊपर से कीमतें भी कुछ कम नहीं होतीं! बहरहाल, अब इन दोनों समस्‍याओं का तोड़ ढूंढ़ निकाला है धनबाद स्थि‍त आइआइटी आइएसएम ने। इंडियन इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाॅजी (इंडियन स्कूल आफ माइंस) धनबाद के विज्ञानियों ने ऐसी तकनीक विकसित की है, जिससे गाड़ी सड़क पर दौड़ती रहेगी और चार्ज भी हो जाएगी। खड़ी होगी, तब भी चार्ज हो सकेगी।

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दरअसल यहां के विज्ञानियों ने ई-वाहनों के लिए वायरलेस हाइब्रिड चार्जिंग सिस्टम बनाया है। यह केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उस परिकल्पना को साकार करेगा, जिसमें 2030 तक देश की सड़कों पर पूर्णरूप से इलेक्ट्रिकल वाहन चलने की बात कही जा रही है। आइआइटी आइएसएम धनबाद के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के सात विज्ञानियों की टीम ने इसे विकसित किया है। इसका प्रयोगशाला में सफल परीक्षण हो चुका है। सौर ऊर्जा से दिन में वाहनों को चार्ज किया जा सकेगा। रात में ग्रिड से मिली विद्युत से वाहनों की बैटरी चार्ज होगी। पवन ऊर्जा से भी ग्रिड को बिजली दी जा सकेगी।

टीम लीडर प्रोफेसर पीके साधु ने बताया कि यह आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस की एडवांस तकनीक है, इसमें सड़क पर दौड़ते समय यदि बैट्री खत्म होने की स्थिति में आएगी तो गाड़ी खुद-ब-खुद कीप इन लेन सिस्टम के तहत चार्जिंग लेन में आ जाएगी। इस तकनीक के अनुसार, सड़क की दो-तीन लेन में से कोई एक चार्जिंग लेन होगी, जिसके ऊपर चलने से गाड़ी चार्ज होती रहेगी। आइआइटी ने इस तकनीक का पेटेंट भी करा लिया है। वाहनों की लंबाई व चौड़ाई को ध्यान में रखते हुए यह सिस्टम तैयार होगा। ऊंचाई के साथ इसे संतुलित किया जा सकेगा। टीम में एसोसिएट प्रोफेसर निताई पाल, कार्तिक चंद्र जाना और अरिजीत बराल के अलावा सहायक प्रो अनिर्बान घोषाल एवं रिसर्च स्कालर अनिक गोस्वामी और पूर्व एमटेक छात्र सोनल मिश्रा शामिल हैं।

चुंबकीय क्षेत्र देगा इलेक्ट्रिक वाहनों को ताकत

इस चार्जिंग लेन में इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज करते समय उसकी बैट्री को किसी तार के जरिए विद्युत स्रोत से नहीं जोड़ना होगा। इस तकनीक में चार्जिंग लेन में जगह जगह तार के क्वायल प्लेट विशेष विधि से स्थापित किए जाएंगे। इनका संयोजन ऊपर से जा रही ग्रिड से किया जाएगा, ताकि उनको बिजली मिलती रहे। इससे चुंबकीय क्षेत्र बनेगा। कार में भी ऐसी ही विशेष प्लेट लगी होगी, जो चुंबकीय क्षेत्र के कारण तैयार विद्युत ऊर्जा को ले लेगी। इससे बैट्री चार्ज होने लगेगी।

चार्जिंग सिस्टम व लेन का तैयार हो गया प्रोटोटाइप

ढाई साल के शोध के बाद संस्थान की टीम ने इस सिस्टम व लेन का प्रोटोटाइप तैयार किया है। इस सिस्टम से कारों से लेकर बस व ट्रकों तक की बैट्री चार्ज हो सकेगी। चार्जिंग के शुल्क की गणना की भी व्यवस्था कर ली गई है।


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