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LIC IPO: आईपीओ को किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगा बीमा संघ

पूरे देश में जीवन बीमा व्यवसाय के राष्ट्रीयकरण की 65 वी वर्षगांठ मनाई जा रही है।ज्ञातव्य है कि 1 9 जनवरी 1946 को तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री सी डी देशमुख द्वारा भारत में जीवन बीमा व्यवसाय के राष्ट्रीयकरण की घोषणा की गई थी।

By Atul SinghEdited By: Published: Wed, 20 Jan 2021 04:24 PM (IST)Updated: Wed, 20 Jan 2021 04:24 PM (IST)
LIC IPO:  आईपीओ को किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगा बीमा संघ
पूरे देश में जीवन बीमा व्यवसाय के राष्ट्रीयकरण की 65 वी वर्षगांठ मनाई जा रही है। (प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर)

धनबाद, जेएनएन:  पूरे देश में जीवन बीमा व्यवसाय के राष्ट्रीयकरण की 65 वी वर्षगांठ मनाई जा रही है।ज्ञातव्य है कि 1  9 जनवरी 1946 को तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री सी डी देशमुख द्वारा भारत में जीवन बीमा व्यवसाय के राष्ट्रीयकरण की घोषणा की गई थी। और एक सितंबर 1946  लगभग 245 निजी बीमा कंपनी को मिला कर भारतीय जीवन बीमा निगम का गठन किया गया था। पांच करोड़ रुपए से एलआईसी 1946 में जीवन बीमा व्यवसाय का काम शुरू किया था।  संघ के संजुक्त सचिव हेमंत मिश्रा ने कहा कि 2011 में नियामक प्रावधानों के तहत एलआईसी की पूंजी 100 करोड़ की गई। 1956 से लेकर लगभग 64 बर्ष में एलआईसी ने शानदार उपलब्धि हासिल की है। 

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आज एलआईसी की कुल परिसंपत्ति 32 लाख करोड़ रुपए की है। एलआईसी की कुल परिसंपत्ति दुनिया के 75 देशों की जीडीपी से भी अधिक है।इसके बावजूद केंद्रीय सरकार आईपीओ के माध्यम से एलआईसी की निजीकरण के रास्ते पर ले जाना चाहती है। बीमा कर्मचारी संघ एलआईसी में आईपीओ का जोरदार विरोध करेगा जिसकी शुरुआत मानव श्रृंखला से की गई है। उन्होंने कहा  की आईपीओ को किसी भी कीमत में लागू नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि  इसके लिए  रणनीति तैयार की जा रही है  जिसके तहत चरणबद्ध तरीके से विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। संघ के नीरज कुमार ने बताया कि बीमा कर्मचारी संघ एलआईसी में आईपीओ का जोरदार विरोध कर रहा है। एलआईसी में आईपीओ आना देश हित में नहीं है।

इस मौके पर शाखा एक, धनबाद शाखा दो, झरिया शाखा, धनबाद शाखा  चार, वेतन बचत योजना शाखा, एवं गोविंदपुर शाखा के सेंकड़ों सदस्यों ने भाग लिया। कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए हेमंत मिश्रा, नीरज कुमार, सुरेश कुमार, अमित कुमार, अमरजीत रजबंगशी, सुबीर राम, बीरेंद्र बोराट, कैलाश दास, देबू चौधरी, अलगू बीसी प्रशाद, आदि उपस्थित थे।


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