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DLSA: वैवाहिक विवादों के वास्तविक समाधान को प्रोत्साहित करना न्यायालय का कर्तव्य

कुटुंब न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश सत्य प्रकाश ने कहा कि जहां नारी का सम्मान होता है वहां देवता वास करते हैं। पत्नि अपने पति से भरण पोषण पाने की अधिकारी है।

By mritunjayEdited By: Published: Wed, 24 Apr 2019 03:08 PM (IST)Updated: Wed, 24 Apr 2019 03:08 PM (IST)
DLSA: वैवाहिक विवादों के वास्तविक समाधान को प्रोत्साहित करना न्यायालय का कर्तव्य
DLSA: वैवाहिक विवादों के वास्तविक समाधान को प्रोत्साहित करना न्यायालय का कर्तव्य

धनबाद, जेएनएन। प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह चेयरमैन डालसा बसंत कुमार गोस्वामी का मानना है कि जरूरतमंदों को त्वरित,स्वस्थ एवं सुलभ न्याय मिलना चाहिए। उन्होंने कहा है कि जरूतमंदों की मदद करने के बड़े उद्देश्य को लेकर ही जिला विधिक सेवा प्राधिकार (डालसा) काम कर रहा है।

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डालसा के के पैनल अधिवक्ताओं के लिए बुधवार को धनबाद कोर्ट में तीन दिवसीय एडवांस ट्रेनिंग कैंप शुरू हुआ। उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने कहा कि त्वरित, स्वस्थ एवं सुलभ न्याय दिलाने के उद्देश्य को लेकर ही समय-समय पर हम अपने पैनल अधिवक्ताओं के लिए प्रशिक्षण शिविर का आयोजन करते हैं। उन्होंने कहा कि समय-समय पर सर्वोच्च न्यायालय व उच्च न्यायालय कानून मे वर्णित तथ्यों के संबध मे आदेश पारित करते रहते हैं जिसे जानकर ही हम वादकारियों को संपूर्ण न्याय दिलवा सकते हैं। प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश, प्रधान न्यायाधीश कुटुंब न्यायालय, अवर न्यायाधीश अविनाश कुमार दूबे, अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी शशिभूषण शर्मा ने दीप प्रज्जवलित कर शिविर का उद्घाटन किया।

कुटुंब न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश सत्य प्रकाश ने कहा कि जहां नारी का सम्मान होता है वहां देवता वास करते हैं। पत्नि अपने पति से भरण पोषण पाने की अधिकारी है। उन्होने कहा की परित्याग एक प्रकार की क्रूरता है। वैवाहिक विवादों के वास्तविक समाधान को प्रोत्साहित करना न्यायालय का कर्तव्य है। दैनिक जीवन की छोटी-मोटी घटनाएं क्रूरता नही है। सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 16 मे पारित एक निर्णय मे कहा है कि पति अपने विवाहिता पत्नि का स्वास्थ ,सुरक्षा और देखभाल के लिए बाध्य है। अधिवक्ता जेपी दसौंधी ने कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम के तहत  न्यायिक पृथककरण की डिक्री विवाह को समाप्त नही करती।

प्राधिकार के सचिव सह अवर न्यायाधीश अविनाश कुमार दूबे ने बताया कि झारखंड विधिक सेवा प्राधिकार के निर्देश पर 24 से 26  अप्रैल तक तीन दिवसीय एडवांस ट्रेनिंग कार्यक्रम का आयोजन किया गया है जिसमें पैनल अधिवक्ताओं को हिंदू विवाह अधिनियम, विशेष विवाह अधिनियम , मुस्लिम लॉ के अलावे इसाई ,पारसी ,यहूदी विशेष विवाह अधिनियम ,भरण पोषण से संबधित कानून, संपत्ति अधिनियम ,उपभोक्त्ता संरक्षण अधिनियम , एसटी-एससी एक्ट और इनसे संबधित सर्वोच्च न्यायालय व विभिन्न उच्च न्यायालयों द्वारा पारित किए गए निर्णयों के संबध मे बताया जाएगा।


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