Sharad Purnima 2020: Blue Moon के कारण अबकी शरद पूर्णिमा बहुत खास, जानें किन चीजों का भोग लगाने से बनी रहेगी लक्ष्मी की कृपा
शरद पूर्णिमा से ही हेमंत ऋतु का आरंभ अर्थात ठंड बढ़नी शुरू हो जाती है। इस बार पूर्णिमा भी खगोलीय दृष्टि से ऐतिहासिक होगी। क्योंकि यह ब्लू मून (BLUE MOON) की रात होगी। इसके बाद नीला चंद्र 19 साल बाद ही देखा जा सकता है।
धनबाद, जेएनएन। आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष शरद पूर्णिमा 30 अक्तूबर शुक्रवार के दिन मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यता के अनुसार, शरद पूर्णिमा सभी पूर्णिमा तिथि में से सबसे महत्वपूर्ण पूर्णिमा तिथि मानी जाती है। इस दिन धन वैभव और ऐश्वर्य की प्राप्ति के लिए मां लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है। इस पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा या कोजागरी लक्ष्मी पूजा भी कहते हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार, शरद पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी जी का अवतरण हुआ था। इस दिन खासतौर पर रात को चावल की खीर बनाकर चंद्रमा के नीचे रखी जाती है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन अमृतवर्षा होती है। इसलिए चंद्रमा के नीचे रखी खीर खाने से कई प्रकार की परेशानियां समाप्त हो जाती है। साथ ही जो लोग माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं और अपने घर में उनको आमंत्रित करते हैं, उनके यहां वर्ष भर धन वैभव की कोई कमी नहीं रहती है। बंगाली समुदाय में कोजागरी लक्खी पूजा के दिन दुर्गापूजा वाले स्थान पर मां लक्ष्मी की विशेष रूप से प्रतिमा स्थापित कर के पूजा की जाती है।
इस बारर शरद पूर्णिमा की रात खगोलीय दृष्टि से ऐतिहासिक घटना
शरद पूर्णिमा से ही हेमंत ऋतु का आरंभ अर्थात ठंड बढ़नी शुरू हो जाती है। इस बार पूर्णिमा भी खगोलीय दृष्टि से ऐतिहासिक होगी। क्योंकि यह ब्लू मून (BLUE MOON) की रात होगी। इसके बाद नीला चंद्र 19 साल बाद ही देखा जा सकता है।
शरद पूर्णिमा तिथि
पूर्णिमा तिथि का आरंभ - 30 अक्तूबर को शाम 5ः47 मिनट से 31अक्तूबर को रात के 8ः 21 मिनट तक। शरद पूर्णिमा आश्विन मास में आती है, इसलिए इसे आश्विन पूर्णिमा भी कहते हैं।
शरद पूर्णिमा का महत्व
खड़ेश्वरी मंदिर के पुजारी राकेश पांडे ने बताया कि वर्ष में एक बार शरद पूर्णिमा के दिन ही चंद्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है। ऐसी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत की बूंदें बरसती हैं, जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होती हैं। शरद पूर्णिमा का महत्व लक्ष्मी पूजा के लिए भी है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा को माता लक्ष्मी रातभर विचरण करती हैं।
पूजा विधि
इस दिन प्रात: काल में व्रत कर अपने इष्ट देव का पूजन करना चाहिए। इस पूर्णिमा को रात में ऐरावत हाथी पर चढे हुए इन्द्र और महालक्ष्मी जी का पूजन करके घी के दीपक जलाकर उसकी गन्ध पुष्प आदि से पूजा कर दीपावली की तरह रोशनी की जाती है। इस तरह दीपक जलाकर अगले दिन इन्द्र देव का पूजन किया जाता है। ब्राह्माणों को शक्कर में घी मिला हुआ, और खीर का भोजन कराए धोती, गमच्छा आदि वस्त्र और दीपक तथा दक्षिणा दान करें। लक्ष्मी प्राप्ति के लिए इस व्रत को विशेष रुप से किया जाता है।
इस व्रत को मुख्य रुप से स्त्रियों की ओर से किया जाता है।
पांच चीजों का भोग लगाने से माता लक्ष्मी की बरसती रहेगी कृपा
शरद पूर्णिमा की रात मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए खास है। ऐसी मान्यता है कि इस रात आसमान से मां लक्ष्मी की कृपा बरसती है। मान्यता है कि मखाना, बताशा, खीर और दही का भोग लगाने तथा पान चढ़ाने से मां लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहेगी।