Move to Jagran APP

Weekly News Roundup Dhanbad: मैडम, आप भी तो बेटी हैं... मुख्यमंत्री सुकन्यादान योजना पर नजर इनायत कीजिए

टुंडी प्रखंड के पीएचडी विभाग की क्या बताएं दास्तां। खैर एक बार चलते हैं शायद साहब को कुछ दया आ जाए। दरअसल यह दर्द प्रखंड के उन बेरोजगारों का है जिन्होंने लोगों की प्यास बुझाई।

By MritunjayEdited By: Published: Fri, 10 Jul 2020 10:36 AM (IST)Updated: Fri, 10 Jul 2020 10:36 AM (IST)
Weekly News Roundup Dhanbad: मैडम, आप भी तो बेटी हैं... मुख्यमंत्री सुकन्यादान योजना पर नजर इनायत कीजिए
Weekly News Roundup Dhanbad: मैडम, आप भी तो बेटी हैं... मुख्यमंत्री सुकन्यादान योजना पर नजर इनायत कीजिए

धनबाद [ चरणजीत सिंह ]। धनबाद का टुंडी प्रखंड। यहां का सीडीपीओ ऑफिस। सब ठीक नहीं चल रहा। मुख्यमंत्री सुकन्यादान योजना के लिए सैकड़ों आवेदन लटके पड़े हैं, स्वीकृति नहीं मिल रही। उग्रवाद प्रभावित प्रखंड की 17 पंचायतों के ग्रामीणों ने आवेदन दिया था कि उनकी लाडली जब बड़ी हो जाए तो शादी की चिंता न रहे, आराम से कन्यादान करेंगे। यह सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में शुमार है, मगर विभाग की लापरवाही देखिए। कंप्यूटर ऑपरेटर व बाबुओं की गलती से आवेदन रद्दी बन गए। बैंक खाता और कोड भी गलत कर दिया गया। यहां बीडीओ पायल राज सीडीपीओ के चार्ज में भी हैं। अब लोग उनके चक्कर लगा रहे हैं, मगर हो कुछ नहीं रहा। बस आश्वासन मिल रहा है। इधर लोगों में बेचैनी है कि सरकारी योजना का लाभ जल्द से जल्द मिल जाए। वे कहने लगे हैं- मैडम, आप भी बेटी हैं। अब तो गौर फरमाइए।

साहब, अब तो कर दीजिए भुगतान

टुंडी प्रखंड के पीएचडी विभाग की क्या बताएं दास्तां। खैर, एक बार चलते हैं, शायद साहब को कुछ दया आ जाए। दरअसल, यह दर्द प्रखंड के उन बेरोजगारों का है जिन्होंने लोगों की प्यास बुझाई। विभाग की ओर से साल में तीन महीने के लिए खराब चापानलों को दुरुस्त करवाया जाता है। उसके लिए गांव के बेरोजगारों को काम दिया जाता है। वे इस कार्य में वाहनों को भी किराए पर लेते हैं, लेकिन जब पेमेंट की बारी आती है तो एग्जीक्यूटिव की मिन्नत करने के सिवा कुछ नहीं मिलता। एक वर्ष का भुगतान करने के लिए पैसे आ चुके हैं, लेकिन साहब की उदासीनता के कारण बेरोजगार अपनी मेहनत की कमाई से वंचित हैं। उन्हें लगातार टरकाया जा रहा है। कोरोना के कारण स्थिति विकट है, उनको परिवार का भरण पोषण करना मुश्किल हो गया है, लेकिन साहब को कोई फिक्र नहीं है।

एसडीओ ऑफिस में इनका जलवा
एसडीओ कार्यालय में एक उम्मीदवार (दैनिक पारा श्रमिक) का जलवा इन दिनों खूब दिख रहा है। वैसे तो सुॢखयों में बने रहने के लिए उनकी जितनी तारीफ की जाए कम है, लेकिन इन दिनों बोलबाला कुछ ज्यादा ही है। दरअसल, हाल ही में समाहरणालय में वर्षों से जमे बाबुओं का तबादला हुआ था। एसडीओ कार्यालय से भी कुछ सरकारी सेवक पलट दिए गए। अब उनकी महत्वपूर्ण कुर्सी पर किसे बैठाना है, यह उम्मीदवार पर टिका हुआ है। वह जिसे चाहेंगे, उसे कुर्सी दी जाएगी। उनके लिए सीनियर-जूनियर मायने नहीं रखते। एसडीओ साहब के पेशकार गए तो वहां एक जूनियर को कुर्सी थमा दी। साहब ने जबकि कार्य बंटवारा नहीं किया है। इसके अलावा भी कार्यालय की कई महत्वपूर्ण डील उनके हाथों ही होती है। इसलिए लोग उन्हें खोजते हैं, ताकि काम मिनटों में हो जाए। इसके पीछे की वजह क्या है, समझ ही सकते हैं।

कोल वाशरी में तो रामराज है
बीसीसीएल का सुदामडीह कोल वाशरी कार्यालय। अगर ये कहा जाए कि यहां रामराज है तो बिल्कुल गलत नहीं होगा। जी हां, साहब कब आएंगे, यह तय नहीं। वैसे हर रोज साढ़े 11 बजे के बाद ही आगमन होता है। अब जैसा मर्ज, वैसी दवा। अधीनस्थ भी उनकी राह पकड़े हैं। साहब पहुंचे नहीं कि पीछे-पीछे उनके भी दर्शन होने लगते हैं। कुछ ऐसे बाबू जरूर हैं जो समय से हाजिरी दे देते हैं। साहब की इस चाल की चर्चा खूब है कि उनका ध्यान परियोजना पदाधिकारी कार्यालय से ज्यादा पाथरडीह पर रहता है। कारण भी सब समझ रहे हैं। पहले सुदामडीह कार्यालय में नियम था कि सुबह सात बजे अफसर हाजिर हो जाते थे। उत्पादन से लेकर अन्य चीजों की रूपरेखा बनाते थे, लेकिन पुराना ढर्रा अब बंद है। अरे हां, एक कर्मचारी भी हैं, जिन पर पीओ की मेहरबानी की खासा चर्चा है।

loksabha election banner

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.