गरबा एक्सप्रेस में सफर कर रही दादी की नहीं खुली नींद, गया के बदले पहुंच गई धनबाद, पोता करता रहा इंतजार
ट्रेनों में बेफिक्र होकर चैन की नींद लेना कभी कभी परेशानियों का सबब बन जाता है। आप सोए रह जाते हैं और ट्रेन आगे निकल जाती है। फिर शुरू होती हैं दुश्वारियां। कभी कभी तो नए शहर में पहुंच कर भीड़ में गुम होने का भी खतरा रहता है।
जागरण संवाददाता, धनबाद: ट्रेनों में बेफिक्र होकर चैन की नींद लेना कभी कभी परेशानियों का सबब बन जाता है। आप सोए रह जाते हैं और ट्रेन आगे निकल जाती है। फिर शुरू होती हैं दुश्वारियां। कभी कभी तो नए शहर में पहुंच कर भीड़ में गुम होने का भी खतरा रहता है।
गुजरात से पश्चिम बंगाल जानेवाली ट्रेन में अकेली सफर कर रही महिला के साथ भी ऐसा हुआ। वह सोती रहीं और ट्रेन आगे निकल गई। उनका पोता बिहार के गया स्टेशन पर इंतजार करता रह गया। भगवान का शुक्र है कि रेलवे सुरक्षा बल ने तत्काल सक्रियता दिखाई और उन्हें सुरक्षित घर भेज दिया।
जानें पूरा मामला
62 साल की महिला मनकी देवी गुजरात के गांधीधाम से हावड़ा जा रही गरबा एक्सप्रेस के स्लीपर एस-वन कोच की 28 नंबर बर्थ पर सवार थीं। आगरा फोर्ट स्टेशन से उन्हें गया तक जाना था। बुजुर्ग महिला आराम से अपनी सीट पर चैन की नींद ले रही थीं। गरबा एक्सप्रेस भोर 5:10 पर ही गया पहुंचती है। ट्रेन गया पहुंची और वहां से खुल भी गई। जब महिला की नींद खुली तो उन्होंने सहयात्रियों को गया में उतरने की बात कही। साथ सफर कर रहे यात्रियों ने जब बताया कि गया स्टेशन गुजर चुका है तो बुजुर्ग महिला के पांवों तले जमीन खिसक गई। बेचैन होकर मदद मांगनी शुरू कर दी। यात्रियों ने बताया कि गया के बाद अब अगला ठहराव धनबाद है और उन्हें धनबाद में उतरना होगा। इस बीच गया स्टेशन पर इंतजार कर रहे उनके पोते ने रेलवे से दादी को ढूंढ़ निकालने को मदद मांगी।
आरपीएफ कंट्रोल को खबर मिलते ही धनबाद आरपीएफ की सब इंस्पेक्टर मनीषा कुमारी और उनके सहयोगी छोटे लाल महतो सक्रिय हुए। ट्रेन के धनबाद पहुंचने पर बुजुर्ग महिला को उतार लिया गया। घरवालों से संपर्क करने पर पता चला कि वह बिहार के नवादा के बैरी थाना के बासे चौधरी की पत्नी है। बाद में धनबाद से सटे पश्चिम बंगाल के आसनसोल में रहने वाले उनके गांव के अकबर नाम के व्यक्ति को संपर्क कर बुलाया गया। घरवालों की रजामंदी के बाद उन्हें अकबर के साथ भेज दिया गया।