भूली में मानवता शर्मसार : मृत शरीर को कफन भी नहीं हुआ नसीब, लोगों ने ओढ़ाया आलू-प्याज का बोरा Dhanbad News
भूली के डी ब्लॉक में मजदूर हरीशचंद्र की लाल बोरे से ढंकी लाश मानवता को शर्मसार करती है। यह एक सभ्य समाज के मुंह पर कालिख है।
धनबाद, जेएनएन। भूली के बी ब्लॉक की इस तस्वीर को सेव करके रख लीजिए। क्योंकि जब भी इंसानों के इंसान के प्रति संवेदनहीन बनने का प्रसंग आएगा, तो यह तस्वीर रेफप्रेंस प्वाइंट होगा। इस तस्वीर में लाल बोरे से ढंका हुआ एक मृत इंसान है। जिसका नाम हरीशचंद्र ठाकुर है। हरीशचंद्र गुरुवार को सड़क के किनारे बीमारी से तड़पते हुए मर गया। लोग आते-जाते उसे देखते रहे, लेकिन उसके मृत शरीर को कफन भी नसीब नहीं हुआ। लोगों ने उसे आलू-प्याज के बोरे से ढंककर फुर्सत पा ली।
35 वर्षीय हरीशचंद्र मजदूर था। वो गरीब था। अकेला था। पर वो भी एक इंसान था। दरअसल, सुबह से यह मजदूर अचेत अवस्था में सड़क के किनारे तड़पता हुआ पड़ा था। आसपास के लोग और वहां से गुजरनेवाले लोग उसे देखकर आते-जाते रहे, पर किसी ने उसे अस्पताल पहुंचाने तक की कोशिश नहीं की। विडंबना है कि उसे कफन तक नसीब नहीं हो पाया था। वह भूली बी ब्लॉक में ही बीसीसीएल के पुराने खंडहरनुमा मकान में रहता था। वह मजदूरी कर अपना पेट भरता था। उसका शव बुधनी हटिया के पास पड़ा हुआ था।
इधर गांव-गांव नगर-नगर में विधानसभा चुनाव की सरगर्मी इन दिनों जोर पर है। चहल-पहल अपने शबाब पर है। चुनाव पर चर्चा के लिए जगह-जगह चौकड़ी जम रही है, पर गरीबी से हांफते इस गरीब मजदूर की बेबसी समझने वाला कोई नहीं था। हरीशचंद्र की सूचना एक एनजीओ के पदाधिकारी को मिली। वह मौके पर पहुंचे। लेकिन तब तक हरीशचंद्र की मौत हो चुकी थी। इसके बाद एनजीओ के पदाधिकारियों ने उसके शरीर पर पड़े बोरे को हटाकर कफन ओढ़ाया।
दुकानदारों के अनुसार, लोगों की संवेदनहीनता के कारण हरीशचंद्र की जान चली गई। बताते हैं कि सुबह से वह सड़क किनारे पड़ा था और दोपहर तक उसकी सांसें चल रही थी। आसपास के इलाके के कई गणमान्य लोगों की नजर उसपर पड़ी, लेकिन किसी ने उसकी ओर ध्यान नहीं दिया। लोग यह कहते हुए वहां से निकल गए कि पुलिस को खबर कर देते हैं। शायद पुलिस को भी समय पर सूचना नहीं दी गई। घंटों बाद जब पुलिस वहां पहुंची, तो वह मौत की आगोश में समा चुका था। शव को कब्जे में लेकर पुलिस कार्रवाई में जुट गई है।