पुरानी दोस्ती को इस नई ताकत से ना तौलो ..
विनीत के बाद श्रृंगार के कवि डॉ. कुमार विश्वास की बारी आयी।
धनबाद, जेएनएन। हिन्दी साहित्य विकास परिषद के 39वें स्थापना दिवस सह हिन्दी दिवस समारोह पर रविवार की शाम कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन में मुख्य रूप से श्रृंगार रस के कवि डॉ. कुमार विश्वास ने जहां अपने गीतों से लोगों को प्रेम, सौंदर्य, भक्ति और देशी छवि का बखान किया, वहीं वीर रस के कवि विनीत चौहान ने देशभक्ति और वीरता के सौर्य का गुणगान किया।
कवि सम्मेलन की शुरुआत विनीत चौहान ने की और सिखों की वीरता का बखान करते हुए कहा कि 'देश धर्म के वास्ते वार दिए सूत चार, चार मरे तो क्या हुआ जीवित कई हजार।' चौहान ने कश्मीर के हालात पर चर्चा करते हुए कहा कि 'किसका खून नहीं खौलेगा पढ़-सुन के अखबारों में, शेरों की गर्दन कटवा दी कुत्तों के दरबारों में, बहुत हो चुका मोदी जी इनको समझाना बंद करो, आस्तीन के सांपों को दूध पिलाना बंद करो।' शौर्य और देश भक्ति से भी विनीत चौहान की कविताओं ने सभी में देश भक्ति का जोश भर दिया। उन्होंने देश की वर्तमान राजनीतिक स्थिति पर चर्चा करते हुए कहा कि राजनीति समाज से जुड़ी हुई है, यदि समाज में गिरावट आयी है, तो राजनीति भी गिरी है। चौहान के अनुसार सभी राजनीतिक दल अंदर से एक जैसे हैं। केवल बाहर का चोला अलग-अलग है।
विनीत के बाद श्रृंगार के कवि डॉ. कुमार विश्वास की बारी आयी। उन्होंने अपनी कविता पाठ अपने चीर परिचित अंदाज में किया और कहा कि 'मैं अपने गीत गजलों से उसे पैगाम करता हूं, उसी की दी दौलत उसी के नाम करता हूं, हवा का काम है चलना दिए के काम है जलना, वो अपना काम करती है मैं अपना काम करता हूं।' राजनीति पर कटाक्ष करते हुए कुमार विश्वास ने कहा कि 'पुरानी दोस्ती को इस नई ताकत से ना तौलो, ये संबंधों की तुरपाई है षडयंत्रों से मत खोलो, मेरे लहजों की छेनी से गढ़े जो देवता जो कल मेरे लफ्जों पे जो मरते थे अब वो कहते हैं मत बोला।' कुमार विश्वास ने अपनी विश्व प्रसिद्ध गीत 'कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है' और 'मोहब्बत एक एहसासों की पावन सी कहानी है, कभी कबीरा दीवाना था, कभी मीरा दीवानी है' समेत अन्य कई गीत पेश किए। कुमार विश्वास ने अपने हास्य व्यंग्य से भी मौजूद लोगों को खूब गुदगुदाया।