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Solar Eclipse 2021: साल का दूसरा ग्रहण व पहला सूर्य ग्रहण 10 को, जानें समय और सूतक प्रभाव

Solar Eclipse 2021 खड़ेश्वरी मंदिर के पुजारी राकेश पांडेय के अनुसार सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण एक खगोलीय घटना है। मगर भारत में इसे धार्मिक पहलू के हिसाब से देखा जाता है। यह ग्रहण अशुभ माने गए हैं। इसीलिए ग्रहण काल में शुभ कार्य करना वर्जित माना गया है। ग्

By MritunjayEdited By: Published: Sun, 06 Jun 2021 03:23 PM (IST)Updated: Mon, 07 Jun 2021 05:38 AM (IST)
Solar Eclipse 2021: साल का दूसरा ग्रहण व पहला सूर्य ग्रहण 10 को, जानें समय और सूतक प्रभाव
10 जून को सूर्य ग्रहण लगेगा ( फाइल फोटो)।

धनबाद, जेएनएन। Surya Grahan 2021 साल 2021 का दूसरा ग्रहण और पहला सूर्य ग्रहण 10 जून को लगाने वाला है। ये ग्रहण ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को लग रहा है। खास बात यह है कि इस दिन वट सावित्री व्रत और शनि जयंती भी है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ग्रहण के दौरान शुभ कार्य वर्जित है। इस दौरान पूजा-पाठ आदि की भी मनाही होती है। ग्रहण के दौरान मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। यह साल का दूसरा ओर पहला सूर्य ग्रहण है। आंशिक सूर्य ग्रहण के कारण धनबाद और झारखंड के लोगों को ज्यादा चिंतित होने की जरूरत नहीं है। इसके सूतक नहीं लगेंगे। सीधे कहें तो सूतक के नियम लागू नहीं होंगे। इसके बाद इस साल का दूसरा सूर्य ग्रहण 4 दिसंबर को लगेगा। हालांकि दूसरे ग्रहण में भी भारत में सूर्य ग्रहण का असर शून्य होगा। ऐसे स्थिति से भारत में सूतक काल भी मान्य नहीं होगा। साल का पहला चंद्र ग्रहण 26 मई को लगा था। इसका भी सूतक नहीं था। क्योंकि चंद्रग्रहण भी भारत में नहीं लगा था।

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आंशिक के कारण नहीं लगेगा सूतक

साल का प्रथम सूर्य ग्रहण भारत में आंशिक होने के कारण सूतक के नियम लागू नहीं होंगे। सूर्य ग्रहण के 12 घंटे पूर्व सूतक काल शुरू हो जाता है। सूतक काल में शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं।  जिस कारण मंदिरों के कपाट भी बंद नहीं होंगे। पर इन दोनों शहर में कोरोना के कारण मंंदिरों के पट भक्तों के लिए बंद किए गए हैं।

 

कितने बजे से लगेगा सूर्य ग्रहण:  सूर्य ग्रहण 10 जून 2021, गुरुवार को दोपहर 1:42 बजे से शुरू होगा और शाम 06:41 बजे पर समाप्त होगा। 

सूर्य ग्रहण की क्या है मान्यताएं

गोल्फ ग्राउंड स्थित खड़ेश्वरी मंदिर के पुजारी राकेश पांडेय के अनुसार सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण एक खगोलीय घटना है। मगर भारत में इसे धार्मिक पहलू के हिसाब से देखा जाता है। यह ग्रहण अशुभ माने गए हैं। इसीलिए ग्रहण काल में शुभ कार्य करना वर्जित माना गया है। ग्रहण काल में मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं तथा इस समय खाना और पीना भी वर्जित होता है। ग्रहण काल में गर्भवती महिलाओं को खास ध्यान रखने के लिए कहा जाता है। इस दौरान लोग बचे हुए खाने पर या बचे हुए खाने की वस्तुओं पर तुलसी के पत्ते रख देते हैं। मान्यताओं के अनुसार, जब ग्रहण काल समाप्त हो जाता है तब घर को साफ-सुथरा करके गंगाजल छिड़कर या स्नान करना चाहिए।


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