भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने के लिए करें उत्पन्ना एकादशी का व्रत, जानिए महात्म व जुड़ी पौराणिक कथाएं
हिंदू पंचांग के मुताबिक मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के दिन उत्पन्ना एकादशी व्रत मनाया जाएगा। इस वर्ष यह व्रत 11 दिसंबर शुक्रवार को है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार उत्पन्ना एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित माना गया है। ऐसी
जासं, धनबादः हिंदू पंचांग के मुताबिक मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के दिन उत्पन्ना एकादशी व्रत मनाया जाएगा। इस वर्ष यह व्रत 11 दिसंबर, शुक्रवार को है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार उत्पन्ना एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित माना गया है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन विधि विधान के साथ भगवान विष्णु की आराधना करने से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है। और मृत्यु के बाद विष्णू धाम की प्राप्ति होती है। खड़ेश्वरी मंदिर के पुजारी राकेश पांडे के अनुसार एकादशी की तिथि माह में दो बार पड़ती है। बताया गया कि पूर्णिमा के बाद आने वाली एकादशी को कृष्ण पक्ष की एकादशी कहते है। और अमावस्या के बाद आने वाली एकादशी को शुक्ल पक्ष की एकादशी कहते हैं। भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए इस दिन उत्पन्ना एकादशी व्रत को पूरी श्रद्धा के साथ भक्त करते हैं। इस व्रत को रखने से भगवान विष्णु की असीम कृपा प्राप्त होती है। इसलिए भगवान विष्णु के भक्त वैष्णव यानी उत्पन्ना एकादशी का व्रत जरूर रखते है।
उत्पन्ना एकादशी का महत्व
ऐसा माना गया है कि उत्पन्ना एकादशी का व्रत करने से लोगों के पाप नष्ट हो जाते हैं। ऐसा भी कहा गया है कि अगर कोई व्यक्ति एकादशी व्रत शुरू करना चाहते हैं तो उत्पन्ना एकादशी से शुरू कर सकते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार एक वर्ष में 24 एकादशी आती हैं। इसी तरह एक महीने में दो एकादशी पड़ती हैं। यह सभी एकादशी भगवान श्रीहरि और श्रीकृष्ण को समर्पित होती हैं। मान्यता है कि एकादशी का पर्व भगवान श्री कृष्ण और एकादशी माता की राक्षसों के ऊपर जीत की खुशी में मनाई जाता है। इस दिन अगर विधि-विधान से पूजा की जाए तो व्यक्ति की मनोकामना पूरी होती हैं।
उत्पन्ना एकादशी की शुभ मुहूर्तः
सुबह का पूूूजा मुहूर्तः 11 दिसंबर, शुक्रवार – सुबह 5ः 15 मिनट से सुबह 6ः 5 मिनट तक।
संधया पूजा का मुहूर्त – 11 दिसंबर, शुक्रवार –
शाम 05:43 से 07:03 तक।
पारण समय – 12 दिसंबर, शनिवार – सुबह 6ः 58 से सुबह 7ः 02 तक।