HOLI-2020: हरि-हर मिलन को लेकर बाबा नगरी में उत्साह, भगवान बिष्णु संग होली खेलेंगे बाबा बैद्यनाथ
यह एक मात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है जहां होली के दिन हरि का हर से मिलन होता है। चैत्र कृष्ण प्रतिपदा पर होने वाले इस मिलन समारोह के बाद ही भक्त भगवान शिव पर गुलाल चढ़ाते हैं।
देवघर, जेएनएन। होली का त्योहार यूं तो पूरे देश में मनाया जाता है। देश के अलग-अलग जगहों पर इसके विविध रंग भी देखने को मिलते हैं। देवघर स्थित द्वादश ज्योतिर्लिंगों में सर्वश्रेष्ठ कामनालिंग बाबा बैद्यनाथ धाम की होली काफी अनूठी और अलग होती है। इस दिन यहां भगवान श्रीविष्णु (हरि) स्वयं आकर भगवान शिव (हर) के साथ होली खेलते हैं। इसे यहां हरि-हर मिलन के नाम से जाना जाता है। इसे लेकर बाबा नगरी देवघर में उत्साह चरम पर है।
बाबा मंदिर के गर्भगृह में होगा हरि व हर का मिलन
बाबाधाम में सोमवार को हरि-हर मिलन होगा, जिसे लेकर सभी आवश्यक तैयारी पूरी कर ली गई है। हरि-हर मिलन के दौरान बाबा मंदिर का पट सोमवार को सायं चार बजे ही बंद हो जाएगा। शाम छ: बजे के आसपास शृंगार पूजा होगी और पट खुला रहेगा। बाबा मंदिर का पट बंद होने के बाद शाम 4ः30 बजे प्रशासनिक भवन स्थित राधे-कृष्ण मंदिर से भगवान श्रीकृष्ण व राधा की प्रतिमा को पालकी में बिठाया जाएगा। पुरोहित सहित आम भक्त पालकी को उठाकर शहर के विभिन्न क्षेत्रों से आजाद चौक पहुंचते हैं। यहां इन्हें दोल मंच पर स्थापित किया जाता है और यहां राधा-कृष्ण को झूला झुलाने के लिए लोगों में होड़ मच जाती है। यहां अबीर-गुलाल भी अर्पित किया जाता है। इस बार मुहूर्त के अनुरूप रात आठ बजे होलिका दहन किया जाएगा। इसके पश्चात पुन: राधा-कृष्ण की पालकी बाबा मंदिर पहुंचती है, यहां बाबा मंदिर के गर्भगृह में हरि व हर का मिलन कराया जाता है। इस मिलन के साथ ही भक्त भी अबीर-गुलाल खेलते हैं और एक-दूसरे को लगाकर बधाई देते हैं।
यह है हरि-हर मिलन की पाैराणिक कथा
कहना न होगा कि यह एक मात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है, जहां होली के दिन हरि का हर से मिलन होता है। चैत्र कृष्ण प्रतिपदा पर होने वाले इस मिलन समारोह के बाद ही भक्त भगवान शिव पर गुलाल चढ़ाते हैं। इस मिलन के बाद बाबानगरी में होली शुरू हो जाती है। सदियों पुरानी परंपरा के अनुसार बाबा बैद्यनाथ मंदिर के गर्भगृह में ले जाकर बाबा बैद्यनाथ के शिवलिंग के ऊपर भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण को रखा जाता है। इस अनोखे होली मिलन को देखने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु हर साल देवघर आते हैं। हरि और हर के मिलन का संबंध देवघर के शिवलिंग की कहानी से जुड़ा माना जाता है। कहा जाता है कि रावण स्वयं भगवान शिव से वरदान में शिवलिंग लेकर लंका जा रहे था। रास्ते में जब रावण को लघुशंका लगी, तो उसने शिवलिंग को ब्राह्मण के वेष में आये भगवान विष्णु (हरि) को थमा दिया। भगवान विष्णु ने उस शिवलिंग को थोड़ी देर बाद वहीं जमीन पर रख दिया। शिवलिंग देते समय शिवजी ने रावण से कहा था कि शिवलिंग जहां भी एक बार भूमि पर रख दिया जायेगा, वह वहीं पर स्थापित हो जायेगा। इस तरह शिवलिंग को रावण अपने साथ लंका नहीं ले जा सका था। हर (शिव) के शिवलिंग की देवघर में स्थापित होने में हरि का साथ होने के कारण हर साल हरि और हर का मिलन देवघर में कराया जाता है।
बाबा बासुकीनाथ में मनाई जा रही रंगभरी पूर्णिमा
विश्व प्रसिद्ध बाबा बासुकीनाथ मंदिर में सोमवार को फाल्गुन पूर्णिमा जिसे रंगभरी पूर्णिमा भी कहते हैं, के अवसर पर प्रातः कालीन पूजा के दौरान सर्वप्रथम बासुकीनाथ मंदिर के पुजारी दिनेश झा एवं स्थानीय पंडा पुरोहितों ने बाबा बासुकीनाथ को अबीर-गुलाल अर्पित किया। इसके बाद बाबा बासुकीनाथ में होली शुरू हुई। रंगभरी पूर्णिमा को लेकर भक्तों में काफी उत्साह है।