इस काले धंधे में पुलिस देती सिर्फ मरने की आजादी, जानिए क्यों रोना मना है
एसडीपीओ विजय कुमार ने दिनेश कुमार के परिजनों से बात की। दिनेश की मौत होने की बात कही जा रही है। दिनेश के परिजनों व आसपास के लोगों ने कहा कि हुजूर हम कुछ नहीं जानते।
धनबाद, जेएनएन। कोयले का काला धंधा। इस धंधे में ऊपर से नीचे तक सबकी हिस्सेदारी। सबकी राजी-खुशी के बाद ही पुलिस धंधे की इजाजत देती है। एक तरह से पुलिस रेफरी का काम करती है। इस धंधे में निचले स्तर पर काम करने में माैत की पूरी गारंटी है। कोयला काटने वाले कभी भी चाल धंसने से अकाल माैत के शिकार हो सकते हैं। सो, पुलिस माैत की आजादी देती है ! लेकिन, यहां माैत पर मातम और रोने-धोनेे की आजादी हरगिज नहीं। जैसा कि बुधवार को निरसा थाना क्षेत्र के कापासारा आउटसोर्सिंग में हुआ। अवैध खदान में कोयला काटने वाले चार मजदूरों माैत हो गई। सब कुछ जानते हुए मृतकों के परिजनों ने अपने कलेजे पर पत्थर रख लिया। अपनों की माैत पर कहीं से भी रोने और सिसकने की आवाज नहीं सुनाई दी। यही कोयले के काले धंधे का सबसे बड़ा सच है।
चार की माैत, परिजन मुंह खोलने को तैयार नहींः कापासारा आउटसोर्सिंग परियोजना में बुधवार सुबह करीब साढ़े पांच बजे अवैध खनन के दौरान चाल धंसने से चार लोगों की मौत हो गई। तीन लोग जख्मी हो गए। एक शव को मशक्कत के बाद निकाल लिया गया है। उसकी पहचान नहीं हो सकी है। मरने वाले में शिवडंगाल, मुगमा, तिलतोडिय़ा व कंचनडीह, हीराबांध के रहने वाले बताए जा रहे हैं। खदान में अवैध खनन कर रहे इनके अन्य साथी दो शवों व घायलों को लेकर भाग निकले। तीसरा शव रेस्क्यू टीम ने निकाला। टीम के जाने के बाद एक शव को बाद में उनके साथी निकाल ले गए। मरने वालों में शिवडंगाल के दिनेश कुमार, मुगमा के कांतो कुमार व दो अन्य शामिल हैं। एसडीपीओ विजय कुमार कुशवाहा ने दिनेश कुमार के परिजनों से बातचीत की। दिनेश की भी इस घटना में मौत होने की बात कही जा रही है। कुशवाहा जब उनके घर पहुंचे तो परिजनों व आसपास के लोगों ने कहा कि हुजूर हम कुछ नहीं जानते। हमलोग तो उसकी खोज कर रहे हैं। वह कहां है पता नहीं।
दो वक्त की रोटी के लिए हथेली पर जानः बुधवार को धनबाद जिले के निरसा थाना क्षेत्र के कापासारा में जो कुछ हुआ वह पहली घटना नहीं थी। इस तरह की घटना निरसा क्षेत्र और धनबाद जिले में सामान्य बात है। आए दिन हादसे हो रहे हैं बावजूद अवैध खनन रुक नहीं रहा है। लोग जान हथेली पर लेकर अवैध खनन कर रहे हैं। क्योंकि कोयला चोरी ही इनकी जीविका का साधन है। स्थानीय लोगों ने बताया कि अवैध उत्खनन स्थल से कोयला काट कर आसपास के क्षेत्रों में जमा किया जाता है। इसे कोयला माफिया बाद में साइकिल, स्कूटर व छोटे वाहनों की मदद से आसपास के क्षेत्रों के भट्ठों भेजते हैं। कालूबथान के नदी घाटों से कोयला बाहर भी भेजा जाता है। आसपास के क्षेत्रों के लोगों का अवैध उत्खनन मुख्य धंधा है। हालांकि इसमें माफिया ताकतें मालामाल होती हैं पर जान हथेली पर लेकर कोयला काटने वालों को महज कुछ रुपये मिलते हैं। जिनसे वे दो वक्त की रोटी की व्यवस्था करते हैं। वे जानते हैं कि इस काम में उनकी जान जा सकती है पर पेट की आग के आगे वे मजबूर हैं। सबसे बड़ी दुखद बात यह है कि माैत के बाद केस-मुकदमा से बचने के लिए परिजन सामने नहीं आते हैं। पुलिस का भी दबाव रहता है कि कोई मुंह नहीं खोले। दूसरी तरफ घटनास्थल पर मिला एक शव पोस्टमार्टम के बाद पीएमसीएच में पड़ा हुआ है। लेकिन, उसके परिजन डर से लेने के लिए सामने नहीं आ रहे हैं।
किसी पर कार्रवाई नहीं, अपनी खाल बचाने में जुटी पुलिसः कापासारा हादसे के बाद पुलिस-प्रशासन अपनी खाल बचाने में जुट गई है। वह सारा दोष ईसीएल प्रबंधन और आउटसोर्सिंग कंपनी पर मढ़ कर बच निकलना चाहते हैं। घटना के बाद उपायुक्त आंजनेयुलु दोड्डे, एसएसपी किशोर काैशल, ग्रामीण एसपी अमन कुमार ने दाैरा किया। उपायुक्त और एसएसपी के निर्देश पर इस मामले में खान निरीक्षक पिंटू कुमार ने ईसीएल प्रबंधन और आउटसोर्सिंग कंपनी पर निरसा थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराई है। लेकिन, घटना के लिए जिम्मेदार निरसा थाना के एक भी पुलिस अधिकारी पर अब तक कार्रवाई नहीं हुई है। आखिर कार्रवाई क्यों होगी? ऊपर से नीचे तक जब सबकी सहभागिता है तो कार्रवाई काैन करेगा?
6 घंटे बाद पुलिस और 7 घंटे बाद पहुंची रेस्क्यू टीम : घटना के करीब छह घंटे बाद मौके पर पुलिस पहुंची। सात घंटे बाद ईसीएल की रेस्क्यू टीम पहुंची। इससे व्यवस्था की खामियां उजागर होती हैं। रेस्क्यू कार्यालय घटनास्थल से कुछ किमी दूर ही है। बावजूद ईसीएल प्रबंधन ने सुस्ती दिखाई। रेस्क्यू टीम ने एक शव निकाला। इसके बाद कुछ देर टीम ने और खोजबीन की और चली गई। उसकेजाने के बाद ग्रामीण एक शव और निकाल कर ले गए। रेस्क्यू में दिलचस्पी न दिखा पुलिस-प्रबंधन ने एक तरह से शवों को ठिकाने लगाने का माैका दिया।राजनीतिक दलों के नेताओं ने जताया दुख: भाजपा नेता प्रशांत बनर्जी, भाकपा माले के उपेन्द्र सिंह, झामुमो के अशोक मंडल ने घटना के लिए प्रबंधन को दोषी ठहराया। अब इस तरह की कोई घटना न हो इसके लिए ईसीएल प्रबंधन व जिला प्रशासन को ध्यान देना चाहिए। भाकपा माले के उपेन्द्र सिंह कहा कि आउटसोर्सिंग कंपनी को ब्लैक लिस्टेड करना चाहिए। ईसीएल प्रबंधन कोऑपरेटिव के तहत खदान को स्थानीय मजदूरों को दे दे।
दो माह पूर्व राजापुर झरिया में हुई थी तीन की मौतः दो माह पूर्व नौ नवंबर 18 को बीसीसीएल के बस्ताकोला क्षेत्र अंतर्गत राजापुर डेको परियोजना के पास अवैध कोयला खनन के दौरान एक साथ तीन लोगों की मौत चाल गिरने से हो गई थी। मृतकों में लिलोरीपथरा झरिया के गरीब परिवार की 13 वर्षीय चंदा कुमारी, 15 वर्षीय पंकज कुमार व 25 वर्षीय नागेश्वर महतो थे। चंदा कुमारी अंतर्राष्ट्रीय टीवी सीरियल ऑन द वे टू स्कूल की नायिका थी।
धनबाद में हाल के वर्षों में अवैध कोयला खनन की प्रमुख घटनाएं
-मई 2017-अलकडीहा ओपी क्षेत्र के जीनागोरा बंद परियोजना में अवैध कोयला खनन के दौरान बलियापुर की एक महिला की मौत हुई थी। एक महिला गंभीर रूप से जख्मी हो गई थी।
-30 अक्टूबर 2017- लोदना क्षेत्र में कोयला चुनने दो महिलाएं पहुंची थीं। सीआइएसएफ के जवानों ने दोनों को दौड़ाया। मुकुंदा की एक महिला की मौत खाई में गिरकर हो गई थी।
-05 जनवरी 2016-लोदना कोक प्लांट की स्लरी में चोरी करने के दौरान को एक परिवार के दो बच्चे की मौत कोयला स्लरी में दबकर हो गई थी।
-12 जनवरी 2016- लोदना में स्लरी निकालने के दौरान सुराटांड़ झरिया की महिला मुन्नी देवी की मौत दबने से हो गई थी।
- 03 मार्च 2018 सुदामडीह कोल वाशरी में स्लरी खनन के दौरान सीतानाला व गौरीग्राम की दो महिलाओं की मौत स्लरी के दबने से हो गई थी।