Move to Jagran APP

भगवान किसी को राहुल जैसी जवानी और आडवाणी जैसा बुढ़ापा ना दे..

देश के नामचीन कवियों ने एक से बढ़कर एक हास्य, व्यंग्य, श्रृंगार व ओज रस की कविताएं सुनाकर कतरास-बाघमारा वासियों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 21 May 2018 10:21 AM (IST)Updated: Mon, 21 May 2018 10:21 AM (IST)
भगवान किसी को राहुल जैसी जवानी और आडवाणी जैसा बुढ़ापा ना दे..
भगवान किसी को राहुल जैसी जवानी और आडवाणी जैसा बुढ़ापा ना दे..

जागरण संवाददाता, धनबाद: देश के नामचीन कवियों ने एक से बढ़कर एक हास्य, व्यंग्य, श्रृंगार व ओज रस की कविताएं सुनाकर कतरास-बाघमारा वासियों को मंत्रमुग्ध कर दिया। मौका था दैनिक जागरण की ओर से सरस्वती शिशु मंदिर श्यामडीह में रविवार की शाम आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का। कार्यक्रम का शुभारंभ मा शारदे, दैनिक जागरण के संस्थापक स्व. पूर्णचंद्र गुप्त एवं पूर्व प्रधान संपादक नरेंद्र मोहन जी की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर किया गया।

loksabha election banner

कवि सम्मेलन में नामचीन कवियों ने कविता पाठ से देश की वर्तमान राजनीति व्यवस्था पर तो कड़ा प्रहार किया ही, व्यंग्य के भी खूब तीखे बाण छोड़े।

सुरेंद्र दुबे: राजनीति पर व्यंग्य

सुरेंद्र दुबे के मंच पर आते ही तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा हॉल गूंज उठा। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी ए फोर एप्पल से शुरू होती है और जेड फोर जेब्रा पे खत्म होती है मगर हिंदी अ से अनपढ़ से शुरू होकर ज्ञ से ज्ञानी में समाप्त होती है। राजनीति पर व्यंग्य करते हुए कहा कि जैसी स्थिति कर्नाटक में यदुरप्पा, दिल्ली में आडवाणी की हुई, भगवान ऐसी सजा किसी को मत देना। राहुल जैसी जवानी व आडवाणी जैसा बुढ़ापा मत देना।

राहुल अपनी मां सोनिया को बोलते हैं मम्मी मेरी शादी कब, सोनिया बोली दिग्विजय सिंह से बचेगी तब।

कविता के माध्यम से कहा कि बेटी से बड़ी कोई ताकत नहीं होती, फली फूली टहनिया झुकी होती हैं, बेटिया कहीं भी रहे मां-बाप से जुड़ी रहती है।

लालू यादव पर व्यंग्य करते हुए कहा कि टोपी लगा, कुर्ता पहन, मंत्री बन, घोटाला कर, जेल जा, लालू उठ, चारा खा, दूध दे, राबड़ी बना, जेल जा, राबड़ी को बैठा, फिर आ राबड़ी उठा, बैठ जा कुर्सी पर।

मदन मोहन समर

राष्ट्र की आराधना, आराधना करें सभी, ये राष्ट्र बने प्रबल सफल प्रार्थना करें सभी। सोच में नवीन से नवीनतम यह देश हो, व्यक्तिवाद से प्रबल राष्ट्रवाद हो, हम लड़ें तो शत्रु का गुरूर चूर-चूर हो।

डॉ अनु सपन : जिंदगी का फलसफा

धूप के आईने में संवर जाएंगे, जिंदगी जब तपेगी निखर जाएगी। इतनी नफरत दिलों में न पाला करो, हर खुशी घुट घुट कर मर जाएगी। दिल के कमरे में मैंने रखा है इसे, जिंदगी अब कहां रुठकर जाएगी। इस कदर सोहरतों पर न इतराएं, धूप है दोपहर की उतर जाएगी।

सनु सपन: देशभक्ति का जुनून

मेरी हर सांस में उपन्यास है कोई कतरन नहीं मैं अखबार की, नारी शक्ति है शोभा संसार की। इसके बाद अगली कविता उन्होंने पढ़ी- आज तिरंगा ऊंचा कर दो इंकलाब की बोली से, राष्ट्र की आराधना, आराधना करें सभी, ये राष्ट्र हो प्रबल-सबल, ये प्रार्थना करें सभी

उनकी अगली कविता ये वक्त बहुत ही नाजुक है, हम पर हमले दर हमले हैं, दुश्मन की चिंता ये ही है, हम हर हमले पर संभले हैं।

सैनिक सीमा साधे रहना, हम भीतर देश बचाएंगे, तुम कसम निभाना सरहद पर, हम नमक चुकाएंगे।

डॉ सुरेश अवस्थी : नोटबंदी की कसक

नोटबंदी की कसक भी कवि सम्मेलन में दिखी। कविता से माध्यम से कहा कि नोटबंदी के दूसरे दिन एक भिखारी ने कटोरा निकाला, मैंने 5 सौ का नोट जेब से निकाला, भिखारी को दिया, भिखारी को गुस्सा आ गया। पांच सौ का नोट मेरे मुंह पर फेंक दिया और हजार का नोट थमा दिया।

प्रधानमंत्री पर व्यंग्य कसते हुए कहा कि नासा का एक वैज्ञानिक मोदी के पास आया और बोला इसे छोड़ दो, मोदी बोले, मैं क्यों छोड़ूं। वैज्ञानिक ने कहा कि मैंने सुना है आप लंबी-लंबी छोड़ते हैं।

बाबा पर भी खूब व्यंग्य बाण चले। कहा, पत्नी किसी बात पर पति को थानेदार का नाम लेकर हड़काती है, पति मुस्कुराते हुए कहता है घर छोड़ कर बाबा बन जाऊंगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.