साध्वी समीक्षा भारती बोलीं-पंडाल या टीवी पर सुनना सत्संग नहीं Dhanbad News
जीवन में संगति की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। मनुष्य जैसी संगत करता है वैसा ही उस पर रंग चढ़ता है।
धनबाद, जेएनएन। जीवन में संगति की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। मनुष्य जैसी संगत करता है वैसा ही उस पर रंग चढ़ता है। दुर्योधन शकुनि का संग पाकर आजीवन दुखी व पराजित हुआ एवं अर्जुन ने भगवान श्रीकृष्ण का संग पाकर विजयश्री हासिल की। झारखंड मैदान में दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से आयोजित पाच दिवसीय श्रीरामचरितमानस एवं गीता ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन साध्वी समीक्षा भारती ने यह बात कही।
सत्संग के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि संत सहजोबाई ने एक पंक्ति का उल्लेख किया है कि सहजो साधु संग से काग हंस हो जाए। तज के भक्ष अभक्ष को मोती चुग चुग खाए। बुरी संगत प्राप्त कर मनुष्य बिगड़ जाता है, लेकिन कितना भी बिगड़ा हुआ मनुष्य क्यों न हो, अगर साधु की संगति प्राप्त कर ले तो उसके जीवन में सुपरिवर्तन आता है। अंगुलीमाल के जीवन का उदाहरण देते हुए कहा कि उसके जैसे डाकू का भी गौतम बुद्ध का सानिध्य पाकर जीवन बदल गया। अंगुलीमाल के जीवन में सत्संग हुआ। हम कथा पंडाल या टेलीविजन में सुनते हैं, यह सत्संग नहीं है। अपितु सत्संग दो शब्दों के मेल से बना है, सत्य और संग। सत्य यानि परमात्मा का संग करना ही सत्संग है। मनुष्य के जीवन में जब एक पूर्ण सद्गुरु का पदार्पण होता है तो वे ही हमें दिव्य चक्षु प्रदान कर हमारे अंदर ही उस ईश्वर के साक्षात रूप का साक्षात्कार कराते हैं।
कार्यक्रम के अंत में स्वामी धनंजयानंद जी ने कहा कि सत्संग मनुष्य के जीवन की एक अहम घटना है। इसके घटित हुए बिना मनुष्य दिखावे का कुशल व्यवहार कर तो सकता है, लेकिन आतरिक परिवर्तन कदापि संभव नहीं है। जीवन में वास्तविक सत्संग हुए बिना आपके मोह का नाश संभव नहीं है। कार्यक्रम में प्रीति भारती, सरिता भारती, गुरु भाई रामचंद्र ने सुमधुर भजनों का गायन कर भक्तों को मंत्रमुग्ध कर दिया।