Move to Jagran APP

MakeSmallStrong: गहने की शुद्धता एवं ग्राहकों के विश्वास ने धंधे को कभी नहीं होने दिया मंदा, 5 दशक पहले आए थे बोकारो

MakeSmallStrong उत्पाद की शुद्धता ईमानदारी और ग्राहकों का विश्वास। ये तीनों चीज एक साथ मिल जाएं तो यह धंधा कभी मंदा नहीं होता। जी हां बिहारशरीफ से धनबाद और बोकारो में बड़े आउटलेट तक का सफर तय करने वाला जौहरी बजार अपने इसी सिद्धांतों के लिए जाना जाता है।

By Sagar SinghEdited By: Published: Sun, 18 Oct 2020 12:35 AM (IST)Updated: Sun, 18 Oct 2020 04:49 PM (IST)
MakeSmallStrong: गहने की शुद्धता एवं ग्राहकों के विश्वास ने धंधे को कभी नहीं होने दिया मंदा, 5 दशक पहले आए थे बोकारो
MakeSmallStrong: न्यू जौहरी बजार धनबाद के आउटलेट में ग्राहकों को गहने दिखाते स्टाफ।

धनबाद, जेएनएन। MakeSmallStrong गहना कारोबार में जरूरी है उत्पाद की शुद्धता, दुकानदार की ईमानदारी और ग्राहकों का विश्वास। ये तीनों चीज एक साथ मिल जाएं तो यह धंधा कभी मंदा नहीं होता। जी हां, बिहारशरीफ जैसे कस्बा से निकलकर धनबाद और बोकारो में बड़े आउटलेट तक का सफर तय करने वाला जौहरी बजार अपने इसी सिद्धांतों के लिए जाना जाता है। आने वाले दिनों में इनका एक शोरूम सरायढेला बिग बाजार के पास खुलने जा रहा है। प्रतिष्ठान के संचालक विशाल रस्तोगी और विकास रस्तोगी बताते हैं कि मेहनत, स्टाफ के प्रति निष्ठा, परिवार की एकता और धंधे को बड़ा बनाने के विजन को लेकर आगे बढ़ रहे हैं। पांच दशक से भी अधिक के इस सफर में मुश्किलें तो आई, लेकिन ग्राहकों से अपने संबंधों को मजबूत करने के संकल्प ने उनके कारोबार को अब तक आगे बढ़ाया है।

loksabha election banner

छोटी दुकान से तीन मंजिला शोरूम तक का सफर : विशाल रस्तोगी ने बताया कि पिता सुनीलचंद्र रस्तोगी की गहने की एक दुकान बिहार के बिहारशरीफ में थी। वहां से वर्ष 1975 में पिता बोकारो आए और एक दुकान खोली। धीरे-धीरे इस दुकान को भव्य रूप मिला। इसके बाद वर्ष 2005 में धनबाद में भी आउटलेट खोली। अब इनका नया तीन मंजिला शोरूम का निर्माण कार्य चल रहा है। यहां तक के सफर में जरूरी था कि ग्राहकों का भरोसा हो। ग्राहकों ने जो मांग रखी उसे पूरा किया। मसलन गहनों की डीजाइन एक मुख्य मांग थी। यही कारण है कि आज जेवर के क्षेत्र में उतर चुकी बड़ी कंपनियों के बावजूद भी उनका कारोबार तरक्की कर रहा है।

वचनबद्धता ने ग्राहकों को जोड़ा : जौहरी बजार ग्राहकों को सही गुणवत्ता की ज्वेलरी उचित दाम पर उपलब्ध कराने के लिए वचनबद्ध है। इसके लिए एक लक्ष्य निर्धारित किया गया और इस पर अमल किया जाने लगा। लॉकडाउन के दौरान भी ग्राहाकों से संपर्क कर उनकी आवश्यकताओं को देखा गया। सेल्स आफ्टर सर्विस (Sales After Service) के मंत्र को अपनाया गया। एक छत के नीचे सभी तरह के डिजाइन को रखा गया। तभी लॉकडाउन के बाद ग्राहक उनके यहां लगातार पहुंच रहे हैं। 

तकनीक व कारोबार के नए आइडिया भी सीखे : पारंपरिक गहनों से डिजाइनर गहनों तक के सफर में तकनीक एवं नए आइडिया बहुत कारगर साबित हुए। इसके लिए जौहरी बजार ने हैदराबाद की एक टीम को हायर किया। इस टीम ने संचालक के साथ यहां के स्टाफ को भी सेल्स, व्यवहार, ग्राहक और उत्पाद को समझने तथा समझाने की जानकारी दी। इससे जहां कारोबार बढ़ा, वहीं स्टाफ भी ग्राहकों की पसंद या ना पसंद को समझने लगे। इसके अलावा दूर दराज के ग्राहकों को ऑनलाइन खरीदारी की सुविधा दी गई। उन्हें वीडियो कॉल के माध्यम से डिजाइन गहने दिखाई गई और उनके खरीदे हुए सामान को घर तक भी पहुंचाया गया।

ग्राहक के लिए बैक ऑफिस की सुविधा : कोरोना संक्रमण काल में हुए लॉकडाउन ने कारोबार को पूरी तरह से बैठा दिया था। डर था की लॉकडाउन के बाद ग्राहक कैसा व्यवहार करेंगे। ऐसे में एक बैक ऑफिस शुरू किया गया। इसके लिए दो स्टाफ प्रतिदिन ग्राहकों से फोन, वाट्सएप, मेल, वीडियो कॉलिंग समेत अन्य संचार माध्यमों से ग्राहकों को संपर्क करते है और उनका फीडबैक लिया जाता है। ग्राहकों के फीडबैक को लॉकडाउन के बाद तत्काल शोरूम में लागू किया गया।

नई स्कीम की खूब हुई चर्चा : जौहरी बजार में काफी समय पहले एक स्कीम शुरू की गई थी। ग्राहक 11 माह तक एक निर्धारित राशि जमा करते और बारह माह के बाद उन्हें उस राशि का जेवर उपलब्ध कराया जाता है। इसमें एक माह की राशि प्रतिष्ठान देती है। इसी प्रकार से ग्राहकों का पुराना सोना भी खरीदा गया। वैसे ग्राहक जिन्हें लॉकडाउन के दौरान आर्थिक संकट उत्पन्न हुई, उन्हें यह सुविधा दी गई। राशि का भुगतान चेक से किया गया। ग्राहकों के गहनों की मरम्मती कार्य को आसान बनाया गया। इसके लिए अलग व्यवस्था की गई।

स्टाफ को की मदद : विकास रस्तोगी ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान ना तो किसी स्टाफ को हटाया और ना ही किसी का वेतन काटा। इस दौरान यदि कोई बीमार भी हुआ तो उसे हर सुविधा उपलब्ध कराया गया। इतना ही नहीं, इस दौरान वे स्वयं भी अपने स्टाफ से संपर्क में रहे ताकि उनके मनोदशा को समझकर उनकी मदद की जा सके।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.