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विधानसभा में शिक्षा मंत्री ने दिया जवाब- सितंबर में चालू होगी झारखंड टेट परीक्षा की प्रक्रिया Dhanbad News

सिंदरी विधायक फूलचंद मंडल ने मंगलवार को विधानसभा में झारखंड शिक्षक पात्रता परीक्षा का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि झारखंड टेट की परीक्षा नियमित नहीं हो रही है।

By Deepak Kumar PandeyEdited By: Published: Wed, 24 Jul 2019 01:49 PM (IST)Updated: Wed, 24 Jul 2019 01:49 PM (IST)
विधानसभा में शिक्षा मंत्री ने दिया जवाब- सितंबर में चालू होगी झारखंड टेट परीक्षा की प्रक्रिया Dhanbad News
विधानसभा में शिक्षा मंत्री ने दिया जवाब- सितंबर में चालू होगी झारखंड टेट परीक्षा की प्रक्रिया Dhanbad News

जागरण संवाददाता, गोविंदपुर: विधायक फूलचंद मंडल ने विधानसभा में झारखंड शिक्षक पात्रता परीक्षा का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि झारखंड टेट की परीक्षा नियमित नहीं हो रही है। इस कारण प्राथमिक व माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षक नियुक्ति की योग्यता रखने वाले अभ्यर्थी शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया में भाग नहीं ले पा रहे हैं। विधायक ने सवाल उठाया कि झारखंड टेट परीक्षा 2019 का आयोजन कब होगा।

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इसपर शिक्षा मंत्री नीरा यादव ने विधानसभा में कहा कि वर्ष 2013 एवं 2016 में झारखंड टेट का आयोजन सरकार ने किया था। सरकार ने टेट उत्तीर्णता की अवधि 5 वर्ष से बढ़ाकर 7 वर्ष कर दी है। वर्ष 2013 में 66984 और वर्ष 2016 में 52837 अभ्यर्थी टेट परीक्षा में सफल हुए थे। इनमें वर्ष 15-16 में सफल 17564 अभ्यर्थी शिक्षक पद पर बहाल हुए। मंत्री ने कहा कि माध्यमिक स्कूल में बहाली के लिए झारखंड टेट जरूरी नहीं है। झारखंड टेट 2019 की प्रक्रिया सितंबर में चालू की जाएगी ।

सरकार ने माना शिवपुर सुरक्षित वन क्षेत्र अधिसूचित: सिंदरी विधायक ने बलियापुर प्रखंड के शिवपुर गांव को वन विभाग द्वारा वन भूमि घोषित किए जाने, 1932 के सर्वे सेटलमेंट के समय से रहे लोगों को अब तक भूमि का पट्टा नहीं मिलने और वहां विकास काम नहीं होने का मामला उठाया । इसके जवाब में सरकार की ओर से कहा गया कि बिहार सरकार की अधिसूचना 22/5/1947 के तहत शिवपुर मौजा की 7116 एकड़ भूमि को प्राइवेट प्रोटेक्टेड फॉरेस्ट घोषित किया गया था। इसी क्रम स्थानीय ग्रामीणों द्वारा वन भूमि पर सिर्फ मवेशियों की चराई के अधिकार का दावा किया गया था । इसके बाद बिहार सरकार द्वारा 23/9/1964 को शिवपुर को सुरक्षित वन के रूप में अधिसूचित किया गया है, इसलिए 1932 के सर्वे सेटेलमेंट के समय से ग्रामीणों के रहने की बात गलत है। वर्ष 2016-17 में दो और वर्ष 2018-19 में एक प्रधानमंत्री आवास की स्वीकृति दी गई है। ग्रामीणों द्वारा वन अधिकार की मान्यता का आवेदन करने पर अधिनियम की प्रक्रिया के तहत विधि सम्मत कार्रवाई करने का आश्वासन सरकार ने दिया है।


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