माली में फंसे झारखंड के मजदूरों की वतन वापसी अधर में, समझौते के बाद कंपनी ने न भुगतान किया और न ही दिया टिकट
Jharkhand LaboursTrapped In MALI Crisis अफ्रीकी देश माली में फंसे झारखंड के मजदूरों की समय-सीमा के अंदर वापसी नहीं हो पाई है। भारतीय दूतावास के हस्तक्षेप के बाद कंस्ट्रक्शन कंपनी ने शनिवार तक मजदूरों का बकाया भुगतान करते हुए टिकट देना का वादा किया था।
जागरण संवाददाता, गिरिडीह। अफ्रीकी देश के माली में फंसे गिरिडीह और हजारीबाग के 33 मजदूरों की वतन वापसी की राह की मुश्किलें अब तक खत्म नहीं हुई है।समझौते के तहत के एंड पी कंपनी से अब तक भारत लौटन के लिए न एयर टिकट दिया और न ढाई महीने का बकाया मजदूरी उन्हें मिल पाई। जबकि भारतीय दूतावास की पहल पर माली में मजदूरों व कंपनी अधिकारियों के बीच पांच दिनों के अंदर टिकट और भुगतान की सहमति बनी थी। अब पांच दिनों की मियाद शनिवार को खत्म हो गई। रविवार सुबह तक कंपनी ने कोई पहल नही की तो मजदूरों ने वीडियो वायरल कर राज्य व केंद्र सरकार से मदद की गुहार लगाई है।
गिरिडीह और हजारीबाग के मजदूर
प्रवासी मजदूरों के हित मे काम करनेववाले स्थानीय सिकंदर अली ने दैनिक जागरण को बताया कि 33 मजदूरों की वतन वापसी में फिर गतिरोध उत्पन्न हो गया है। 14 श्रमिक गिरिडीह के है। पांच दिनों में कंपनी ने न बकाया उनके बैंक खाता में डाला, न भारत आने को टिकट ही दिया है। सरकार को मजदूरों की परेशानी पर फिर से ध्यान देना चशिये। भारतीय दूतावास की पहल पर 18 जनवरी को माली में मजदूरों और कंपनी की बैठक हुई। बैठक में दोनों पक्षों के बीच समझौता हुआ था। समझौता में कंपनी ने मजदूरों को बकाया वेतन देने पर सहमति जताई थी।
शनिवार तक बकाया का भुगतान करना था
32 मजदूरों को अक्टूबर से ढाई माह का बकाया -व शेष डेढ़ माह की बकाया राशि से एयर टिकट खरीदकर मजदूरों को देना था। कंपनी पांच दिनों के अंदर सभी मजदूरों के भारतीय बैंक खाता में भारतीय मुद्रा में वेतन की राशि हस्तांतरित करती। पर, अब तक नहीं की। समझौता पत्र में के एंड पी कंस्ट्रक्शन, के सहायक प्रबंधक दुर्गा प्रसाद, मजदूर पक्ष से रूपलाल महतो, आइएनडीएल वी. विजय पांडे, एचओसी राकेश कुमार एसीओ भारतीय दूतावास दिवाकर आदि के हस्ताक्षर हैं ।