Municipal Corporation Elections: दलीय आधार पर नहीं होंगे धनबाद, चास और देवघर नगर निगम के चुनाव, जानें हेमंत सरकार की तैयारी
धनबाद देवघर और चास नगर निगम चुनाव तैयारी चल रही है। 2018 में झारखंड में दलीय आधार पर नगर निकाय चुनाव कराने का निर्णय लिया गया था। अब झारखंड की हेमंत सोरेन की सोच कुछ और है। सरकार ने गैर दलीय आधार पर चुनाव कराने का प्रस्ताव तैयार किया है।
धनबाद, जेएनएन। धनबाद, देवघर और चास नगर निगम समेत 14 नगर निकाय चुनाव की तैयारी में जुटे राजनीतिक दलों को झटका लग सकता है। झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने गैर दलीय आधार पर चुनाव कराने का प्रस्ताव तैयार किया है। अगर यह प्रस्ताव पास होता है तो नगर निकाय चुनावों में राजनीतिक दलों की भूमिका सीमित हो जाएगी। साल 2018 के पहले की तरह नगर निकाय चुनाव में प्रत्याशी निर्दल खड़े होंगे। चुनाव परिणाम आने के बाद राजनीतिक दलों के लिए न तो कुछ उछलने के लिए होगा और न ही हतोत्साहित होने का कारण। शायद यही कारण है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पूर्व की रघुवर दास सरकार के फैसले को पलटने का मन बना लिया है।
14 नगर निकाय में होने हैं चुनाव
धनबाद, चास और देवघर नगर निगम समेत 14 नगर निकायों में चुनाव लंबित है। यहां 2020 में ही चुनाव होना था, पर कोरोना के कारण टल गया। निकायों के कार्यपालक पदाधिकारियों को निर्वाचित पदाधिकारियों के दायित्व की जिम्मेदारी दे दी गई। 14 में 6 नगर निकाय वैसे हैं, जो हाल में बने हैं और वहां पहली बार चुनाव होने हैं। नवसृजित नगर निकायों के नाम हैं-गोमिया, बड़की सरिया, धनवार, हरिहरगंज, बचरा और महागामा।
नगरपालिका अधिनियम-2018 में फिर होगा संशोधन
झारखंड में नगर निकायों के चुनाव दलीय आधार पर नहीं होंगे। हेमंत सोरेन सरकार ने इसका सैद्धांतिक फैसला कर लिया है। सरकार के शीर्ष स्तर पर सहमति बनने के बाद नगर विकास एवं आवास विभाग ने झारखंड नगरपालिका संशोधन अधिनियम-2018 में फिर संशोधन का प्रस्ताव तैयार कर लिया है। इसके तहत अब नगर निगम के मेयर-डिप्टी मेयर व पार्षद, नगर पंचायतों के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का चुनाव गैर दलीय आधार पर होंगे। अभी झारखंड विधानसभा का सत्र होने वाला नहीं है, इसलिए नगरपालिका अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव अध्यादेश के माध्यम से राज्यपाल को भेजा जाएगा। राज्यपाल की अनुमति मिलते ही राज्य में गैर दलीय आधार पर नगर निकाय चुनाव का रास्ता साफ हो जाएगा। निर्वाचन आयोग ने सितंबर-अक्टूबर में चुनाव कराने की इच्छा जताई है। इसी को देखते हुए संशोधन प्रस्ताव लाया जा रहा है।
2018 में 34 निकायों के हुए थे चुनाव, 20 में भाजपा की जीत
रांची, मेदिनीनगर, हजारीबाग, गिरिडीह और आदित्यपुर में सभी मेयर-डिप्टी मेयर भाजपा के
कांग्रेस और झामुमो ने तीन-तीन निकायों में जमाया था कब्जा। झाविमो को दो अलग-अलग निकायों में दो सीटें मिली थीं, अन्य निकायों पर निर्दलीय विजयी हुए थे।
रघुवर सरकार ने दलीय आधार पर चुनाव का किया था फैसला
राज्य में 2018 से पहले नगर निकायों के चुनाव गैर दलीय आधार पर ही होते थे। रघुवर सरकार के दौरान 2018 में नगरपालिका अधिनियम में संशोधन कर यह चुनाव दलीय आधार पर कराने का फैसला लिया गया। इसके तहत नगर निगम के मेयर-डिप्टी मेयर, नगर परिषद के अध्यक्ष-उपाध्यक्ष और नगर पंचायत के अध्यक्ष-उपाध्यक्ष पद का चुनाव दलीय आधार पर कराने का प्रावधान था। सरकार की मंशा थी कि राज्य के शहरी क्षेत्रों में भाजपा का दबदबा है, इसलिए नगर निकाय चुनाव में भाजपा का कब्जा दिखाकर पार्टी के प्रति लोगों का रुझान दर्शाया जाए। और ऐसा हुआ भी। 34 नगर निकायों के चुनाव हुए और 20 पर भाजपा का कब्जा हो गया। कांग्रेस ने तीन, झामुमो ने तीन, आजसू ने दो निकायों पर कब्जा जमाया। वहीं झाविमो को दो निकायों में दो सीटें मिलीं। दिलचस्प यह रहा कि रांची, मेदिनीनगर, हजारीबाग, गिरिडीह और आदित्यपुर नगर निगम चुनाव में मेयर-डिप्टी मेयर के सभी पदों पर भाजपा का कब्जा हो गया।
कोरोना के कारण चुनाव लंबित
8 नगर निकायों का कार्यकाल मई, 2020 में पूरा हो चुका है। उनमें धनबाद, देवघर, चास, चक्रधरपुर, झुमरी तिलैया, विश्रामपुर, कोडरमा और मझियांव नगर निकाय शामिल हैं। कोरोना की पहली लहर के कारण मई 2020 में चुनाव स्थगित कर दिया गया था।