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Dhanbad News: मुसलमानों की शादी में अब नहीं होगी आतिशबाजी, नाच-गाने पर भी लगी रोक

मसूद अख्तर ने बताया कि फैशन के दौर में शादी-विवाह में लोग दिखावे के लिए जरूरत से ज्यादा खर्च करते हैं। हमारा इस्लाम यह कभी नहीं कहता है कि शादी-विवाह में गाजे बाजे व आतिशबाजी में फिजूलखर्च करें। ऐसा करने से लोगों को परेशानी भी होती है।

By Ramjee YadavEdited By: Mohammed AmmarPublished: Sun, 27 Nov 2022 09:56 PM (IST)Updated: Sun, 27 Nov 2022 11:41 PM (IST)
Dhanbad News: मुसलमानों की शादी में अब नहीं होगी आतिशबाजी, नाच-गाने पर भी लगी रोक
मुसलमानों की शादी में अब नहीं होगी आतिशबाजी, नाच- गाने पर भी लगी रोक

कुमारधुबी, जागरण टीम : निरसा विधानसभा क्षेत्र के इमामों ने शादी में फिजूलखर्ची रोकने के लिए बड़ा कदम उठाया है। फैसला लिया गया कि इस्लाम धर्म के अनुसार जो भी निकाह होगा उसमें न तो बाजा बजेगा न आतिशबाजी होगी। नाच-गाना भी नहीं होगा। हर हाल में रात 11 बजे तक निकाह कर लेना होगा। किसी कारणवश देरी हुई तो निकाह के अगले दिन सुबह फजर की नमाज के बाद होगी। अगर कोई व्यक्ति रात 11 बजे के बाद निकाह करता या कराता है तो उस पर 5100 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। उसे कमेटी में लिखित माफीनामा देना होगा। यह निर्णय रविवार को शिवलीबाड़ी स्थित जामा मस्जिद में सुबह करीब 10:30 बजे निरसा-चिरकुंडा क्षेत्र के सभी इमामों, सदर व अवाम की बैठक में लिया गया।

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बैठक शिवलीबाड़ी स्थित जामा मस्जिद की पहल पर आयोजित की गई थी। शिवलीबाड़ी जामा मस्जिद के इमाम मौलाना मसूद अख्तर ने बताया कि फैशन के दौर में शादी-विवाह में लोग दिखावे के लिए जरूरत से ज्यादा खर्च करते हैं। हमारा इस्लाम यह कभी नहीं कहता है कि शादी-विवाह में गाजे बाजे व आतिशबाजी में फिजूलखर्च करें। ऐसा करने से लोगों को परेशानी भी होती है। उन्होंने बताया कि यह नियम दो दिसंबर जुम्मे के दिन से पूरे निरसा विधानसभा क्षेत्र में लागू हो जाएगा। जिनके भी लड़के या लड़की का निकाह हो वे अपने रिश्तदारों को इस फैसले के बारे में सूचित कर दें।

मौलाना अख्तर ने बताया कि अक्सर देखा गया है कि शादी के दौरान बरातियों की ओर से उदंडता की जाती है। इस फैसले से उदंड़ता पर रोक भी लगेगी और निकाह में फिजूलखर्ची से बचा भी जा सकेगा। बैठक में हाफिज सरफराज़ क़ादरी, हाफिज नासिर अज़ीज़ी, हाफिज ख़ुशनूद, मौलाना मुस्तफा, मौलाना एकरामुल हक़, हाफिज सुभानी, मौलाना तौहीद, मौलाना दिलकश, मौलाना खुश्तर सैती, मौलाना हयात हुसैनी, मौलाना गुलाम मुस्तफ़ा अशर्फी, मौलाना सुल्तान रज़ा, हाफिज निजामुद्दीन, मुख़्तार अली, अफज़ाल हुसैन, गुलाम क़ुरैशी, मुखिया तनवीर आलम, मुस्तकीम (शिवलीबाड़ी), हाजी अफ़रोज़, हाशिम (निरसा), अब्दुल क़ादिर, शमीम (चिरकुंडा), तल्हा, सनौव्वर, अनवर हुसैन, शौकत, फिरोज़, इरशाद, सज्जाद, ज़िआउल हुसैन, कासीम समेत निरसा क्षेत्र की 14 मस्जिदों के इमाम व सदर सहित सैकड़ों की संख्या में उपस्थित थे।

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