Electrohomoeopathy को मान्यता क्यों नहीं? बाघमारा विधायक के सवाल पर झारखंड विधानसभा में सरकार ने दिया जवाब
Electrohomoeopathyःःः बाघमारा विधायक के सवाल पर झारखंड विधानसभा में सरकार ने इलेक्ट्रोहोम्योपैथी को मान्यता नहीं देने का कारण बताया। सरकार ने इस मुद्द ...और पढ़ें

बाघमारा के विधायक शत्रुघ्न महतो ने झारखंड विधानसभा में पूछा था सवाल।
जागरण संवाददाता, बरोरा (धनबाद)। Dझारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र में बाघमारा से भाजपा विधायक शत्रुघ्न महतो द्वारा राज्य में इलेक्ट्रोहोमियोपैथी पद्धति के प्रचार-प्रसार को लेकर पूछे गए अल्पसूचित प्रश्न का सरकार ने स्पष्ट जवाब दिया। स्वास्थ्य विभाग ने सदन को बताया कि इलेक्ट्रोहोमियोपैथी चिकित्सा पद्धति आयुष (आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी) के अंतर्गत शामिल नहीं है। केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय/आयुष मंत्रालय, नई दिल्ली द्वारा भी इस पद्धति को मान्यता प्रदान किए जाने संबंधी कोई सूचना राज्य को प्राप्त नहीं हुई है।
प्रश्न के दूसरे भाग में सरकार ने कहा कि इलेक्ट्रोहोमियोपैथी में उपयोग की जाने वाली दवाओं का स्वरूप आयुष की मान्य चिकित्सा पद्धतियों की औषधियों के बराबर नहीं माना गया है। केंद्र सरकार द्वारा इस संबंध में किसी प्रकार की मान्यता नहीं दी गई है।
सदन में यह भी स्पष्ट किया गया कि चूंकि इलेक्ट्रोहोमियोपैथी आयुष का हिस्सा नहीं है, इसलिए इसे मान्यता देने का प्रश्न ही नहीं उठता। इस विषय में केंद्र सरकार से राज्य को अब तक कोई दिशा-निर्देश प्राप्त नहीं हुआ है।
क्या है इलेक्ट्रोहोमियोपैथी
इलेक्ट्रोहोमियोपैथी (Electrohomoeopathy) एक वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति है, जिसकी शुरुआत 19वीं शताब्दी में इटली के काउंट सीज़र मत्ती (Count Cesare Mattei) ने की थी। यह पद्धति मुख्य रूप से पौधों से तैयार किए गए अर्क (herbal extracts) पर आधारित होती है जिन्हें electric fluids या electricities कहा जाता है।
इलेक्ट्रोहोमियोपैथी की मुख्य बातें
उद्गम :
इसे 1860 के आसपास इटली में विकसित किया गया।
इसका दावा है कि यह शरीर की "जीवन ऊर्जा" (vital force) को संतुलित कर रोगों का उपचार करती है।
उपचार सामग्री :
इसमें 60 से अधिक तरह के प्लांट-आधारित मेडिसिन उपयोग होती हैं।
इन्हें इलेक्ट्रिक फ़्लूइड्स, इलेक्ट्रिकिटी, ग्लोब्यूल्स आदि नाम दिया गया है।
उपचार क्षेत्र :
रक्त, लसिका (lymph), तंत्रिका तंत्र, तथा विभिन्न क्रॉनिक रोगों के उपचार का दावा।
दर्द, सूजन और इम्यून सिस्टम से जुड़े रोगों में उपयोग किया जाता है।
विद्युत (Electric) शब्द का अर्थ
इस पद्धति में "इलेक्ट्रो" शब्द का मतलब बिजली नहीं है;
इसका उपयोग प्रतीकात्मक रूप से “ऊर्जा” को दर्शाने के लिए किया गया है।
वैज्ञानिक मान्यता
आधुनिक चिकित्सा विज्ञान और WHO द्वारा इलेक्ट्रोहोमियोपैथी को मान्यता प्राप्त चिकित्सा पद्धति नहीं माना जाता।
इसकी प्रभावशीलता के लिए वैज्ञानिक प्रमाण सीमित हैं।
भारत में स्थिति
कई राज्यों में इसके संस्थान व चिकित्सक मौजूद हैं।
केंद्र सरकार ने इसे मुख्य चिकित्सा प्रणाली (AYUSH) में शामिल नहीं किया है, लेकिन कुछ राज्यों में यह सीमित रूप से प्रैक्टिस होती है।

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