Jharkhand Congress Politics: कांग्रेसियों ने घेरा राजभवन, झरिया विधायक-जिलाध्यक्ष ने बुलंद की आवाज
शुक्रवार को झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के आह्वान पर किसान अधिकार दिवस का आयोजन किया गया। राज्य मुख्यालय रांची में रैली और प्रदर्शन हुआ। कांग्रेसियों ने राजभवन का घेराव भी किया। इस प्रदर्शन में धनबाद के कांग्रेसी भी बड़ी संख्या में शामिल हुए।
धनबाद, जेएनएन : शुक्रवार को झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के आह्वान पर किसान अधिकार दिवस का आयोजन किया गया। राज्य मुख्यालय रांची में रैली और प्रदर्शन हुआ। कांग्रेसियों ने राजभवन का घेराव भी किया। इस प्रदर्शन में धनबाद के कांग्रेसी भी बड़ी संख्या में शामिल हुए।
झरिया विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह, कांग्रेस जिलाध्यक्ष ब्रजेंद्र प्रसाद सिंह, कार्यकारी अध्यक्ष रवींद्र वर्मा, उपाध्यक्ष राशिद रजा अंसारी समेत बड़ी संख्या में शामिल कांग्रेसियों ने किसानों के अधिकार के लिए आवाज बुलंद की। इस दौरान कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारियों, पार्टी के सांसद और विधायकों ने स्पीकअप अभियान में भाग लेते हुए इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म यानी फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब के माध्यम से लाइव वीडियो पोस्ट अपलोड कर किसान विरोधी कानूनों एवं ईंधन की मूल्य वृद्धि को वापस लेने की मांग की।
पूर्णिमा सिंह ने कहा कि उत्तर भारत में लगभग 60 किसानों ने शीतलहर और बेमौसम बारिश के कारण अपना जीवन खो दिया। लाखों किसान 40 दिन से दिल्ली की सीमा पर आंदोलन कर रहे हैं। इसके बावजूद तानाशाही भाजपा सरकार अन्नदाताओं की पीड़ा से बेखबर है। पेट्रोल और डीजल की कीमतें पिछले 73 वर्षों में सबसे अधिक है। सरकार इस पर लगाम नहीं लगा पा रही है।
प्रोफेशनल्स कांग्रेस के कार्यकर्ता भी हुए शामिल
झारखंड प्रदेश प्रोफेशनल्स कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष आदित्य विक्रम जायसवाल की अगुवाई में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के साथ धनबाद जिला प्रोफेशनल्स कांग्रेस आयोजित किसान अधिकार रैली व राजभवन धरना कार्यक्रम में राज्य भर से बड़ी संख्या में प्रोफेशनल कांग्रेस के नेता व कार्यकर्ता शामिल हुए। प्रोफेशनल कांग्रेस ने सामूहिक रूप से मोरहाबादी मैदान से लेकर राजभवन मार्च तक किया। प्रदर्शन में तीन नए कृषि कानून, बढ़ती महंगाई और पेट्रोल-डीजल कानून के खिलाफ अपने हाथों में बैनर और तख्तियां लिए हुए थे।
डाॅ. डीके सिंह ने कहा कि देश के किसान आंदोलनरत हैं। तीनों काले कानून को वापस लिया जाना ही इसका समाधान है। उन्होंने कहा कि बार-बार किसान प्रतिनिधियों के साथ केंद्र सरकार बातचीत कर रही है, लेकिन इसका कोई फलाफल नहीं मिल पा रहा है। इसलिए पार्टी भी यह मांग करती है कि जल्द से जल्द तीनों नये कृषि कानून को वापस ले लिया जाए।