कोयला खदानों के पानी से बुझेगी प्यास, पीट वाटर जलापूर्ति योजना पर कैबिनेट की मुहर
धनबाद में बड़ी संख्या में खदान बंद पड़े हैं। ये खदान पानी से भरे हैं। इनमें सालोभर पानी रहता है। खदानों के पानी को फिल्टर कर पीने लायक बना घरों में आपूर्ति की जाएगी।
धनबाद, जेएनएन। झारखंड के सबसे बड़े क्षेत्रफल और आबादी की दृष्टि से नगर निगम क्षेत्र धनबाद में आने वाले दिनों में पेयजल की समस्या पूरी तरह से दूर हो जाएगी। इसके लिए बड़ी-बड़ी योजनाओं को धरातल पर उतराने की कवायद तेज हो गई है। इसी सिलसिले में झारखंड कैबिनेट ने बुधवार को धनबाद के लिए 296.94 करोड़ रुपये की पीट वाटर जलापूर्ति योजना पर मुहर लगा दी। इस योजना के तहत नगर निगम क्षेत्र के वार्ड नंबर 33 से 52 तक घर-घर टैप वाटर की सप्लाई की जाएगी।
झारखंड कैबिनेट से पीट वाटर जलापूर्ति योजना को मंजूरी मिलने पर धनबाद नगर निगम के मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल ने मुख्यमंत्री रघुवर दास को बधाई दी है। कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद अग्रवाल ने बुधवार को संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि आने वाले दो-तीन सालों में धनबाद में पेयजल संकट नाम की कोई चीज नहीं रह जाएगी। उन्होंने बताया कि इस योजना में 111 करोड़ रुपये डीएमएफटी और 195 करोड़ रुपये बाजार फीस से लगाए जाएंगे। योजना को धरातल पर उतारने के लिए शीघ्र ही टेंडर कर दिया जाएगा। गरीबों को मुफ्त में कनेक्शन दिया जाएगा। डीएमएफटी से मिलने वाली 111 करोड़ राशि में 55 करोड़ पीट वाटर और 56 करोड़ वितरण लाइन पर खर्च होंगे।
क्या है पीट वाटर जलापूर्ति योजनाः धनबाद में बड़ी संख्या में खदान बंद पड़े हैं। ये खदान पानी से भरे हैं। इनमें सालोभर पानी रहता है। खदानों के पानी को फिल्टर कर पीने लायक बना घरों में आपूर्ति की जाएगी। इसका नाम पीट वाटर जलापूर्ति योजना है। खदानों का पानी पीने लायक बनता है तो यह लाखों लोगों के लिए जीवन मिलने के समान होगा।
वार्ड- 1-13 के लिए हो चुका है टेंडरः मेयर ने बताया कि निगम के वार्ड संख्या- 1-13 में घर-घर टैप वाटर पहुंचाने के लिए 166 करोड़ रुपये की योजना का टेंडर हो चुका है। काम तेजी से चल रहा है।
शेष के लिए 560 करोड़ की योजनाः धनबाद नगर निगम के शेष बचे वार्ड- 14 से 32 और 53 से 55 के लिए 560 करोड़ रुपये की योजना तैयार की गई है। इसके तहत मैथन डैम से धनबाद पानी लाने के लिए समानांतर जलापूर्ति पाइप लाइन बिछाई जाएगी। नगर विकास विभाग से योजना की तकनीकी स्वीकृति मिल चुकी है।