JBCCI 11: प्रबंधन और यूनियन में तकरार, यूनियन प्रतिनिधियों ने बीच में छोड़ी वेतन समझौते की सातवीं बैठक
कोल इंडिया के मुख्यालय में चल रही जेबीसीसीआइ 11 की सातवीं बैठक भी बेनतीजा साबित हो चुकी है। कोयला वेतन समझौते को लेकर बुधवार को शुरू हुई इस बैठक में एक बार फिर मिनिमम गारंटी बेनिफिट (एमजीबी) को लेकर बात अटक गई।
जागरण संवाददाता, धनबाद: कोल इंडिया के मुख्यालय में चल रही जेबीसीसीआइ 11 की सातवीं बैठक भी बेनतीजा साबित हुई। कोयला वेतन समझौते को लेकर बुधवार को शुरू हुई इस बैठक में एक बार फिर मिनिमम गारंटी बेनिफिट (एमजीबी) को लेकर बात अटक गई। बैठक में यूनियन व प्रबंधन के बीच काफी खींचतान हुई। दो बार बैठक से यूनियन ने प्रबंधन बीच में उठकर रणनीति भी तय की लेकिन कोई हल नहीं निकला। इसके बाद बैठक से यूनियन प्रतिनिधियों ने वकआउट कर आंदोलन की घोषणा कर दी। गौरतलब है कि कोयला वेतन समझौता एक जुलाई 2021 से लंबित है।
एमजीबी पर ठनी रार
सातवीं बैठक में यूनियनें पिछली मांग से 2 फीसदी नीचे आकर 28 फीसद मिनिमम गारंटीड बेनिफिट (एमजीबी) पर आ चुकी थीं, लेकिन कोल इंडिया प्रबंधन मुश्किल से 10 से 10.50 फीसद पर पहुंचा और इस आंकड़े पर आकर हाथ खड़े कर दिए। लिहाजा चारों यूनियनों ने आंदोलन का बिगुल फूंकने का निर्णय लिया। बीएमएस के जेबीसीसीआइ सदस्य के. लक्ष्मा रेड्डी ने कहा कि प्रबंधन की मंशा साफ नहीं है। इस तरह की बैठक बुलाने का कोई मतलब नहीं है। जब कोल इंडिया बेहतर कर रही हो तो इसका लाभ मजदूरों को मिलना चाहिए।
डीपीई गाइडलाइन पर भी हंगामा
हंगामे की दूसरी वजह डीपीई गाइडलाइन भी है। वेतन समझौता से पूर्व ही अधिकारियों के संगठनों ने इस बात पर रोष जताया था कि कर्मचारियों का वेतन किसी सूरत में अधिकारियों से अधिक न हो। इस मसले पर डिपार्टमेंट ऑफ पब्लिक इंटरप्राइजेज के गाइडलाइन का हवाला भी दिया गया था। कोल इंडिया प्रबंधन इसी गाइडलाइन को आधार बात रही है। हालांकि यूनियनें इसमें छूट चाहती हैं। कोल इंडिया प्रबंधन ने इसे मानने से इन्कार कर दिया और यह साफ किया कि यूनियन जितनी एमजीबी की मांग कर रही है, डीपीई के ऑफिस मेमोरेंडम में संशोधन के बगैर वह देना संभव नहीं। यह कोल इंडिया के वश के बाहर है। इसके बाद यूनियनों ने हंगामा कर दिया।
मालूम हो कि कोलकाता स्थित कोल इंडिया के मुख्यालय में कोयला कामगारों के 11वें वेतन समझौते के लिए गठित जेबीसीसीआइ की सातवीं बैठक बुधवार को तय समय पर शुरू हुई। इस दौरान पिछली बैठक की तरह ही सीआइएल प्रबंधन ने 10 प्रतिशत मिनिमम गारंटी बेनिफिट देने का प्रस्ताव यूनियनों के समक्ष रखा, जबकि यूनियन प्रतिनिधि न्यूनतम 30 फीसद मिनिमम गारंटी बेनिफिट की मांग पर अड़े रहे। इस वजह से यूनियन प्रतिनिधियों ने बैठक बीच में ही छोड़ दी। इससे पहले जेबीसीसीआइ की छठी बैठक में भी कोल इंडिया प्रबंधन ने अधिकतम 10 फीसद एमजीबी देने की बात कही थी, जबकि यूनियनों ने 30 प्रतिशत एमजीबी की मांग की थी।
बैठक की अध्यक्षता कोल इंडिया के चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल कर रहे थे। इनके अलावा कोल इंडिया डीपी विनय रंजन, बीसीसीएल सीएमडी समीरन दत्ता, सीसीएल सीएमडी पीएम प्रसाद, एसईसीएल सीएमडी पीएस मिश्रा, कार्यकारी निदेशक वित्त सुनील मेहता, कार्यकारी निदेशक कार्मिक अजय कुमार चौधरी सहित एटक, बीएमएस, सीटू व एचएमएस यूनियन के प्रमुख प्रतिनिधियों में रमेंद्र कुमार, के लक्ष्मा रेड्डी, सुधीर घुर्डे, केपी गुप्ता, डीडी रामानंदन, सिद्धार्थ गौतम, अरूप चटर्जी, सुजीत भट्टाचार्य, लखन लाल महतो आदि थे।
एक घंटे तक रणनीति बनाकर फिर मीटिंग हॉल में लौटे
सीआइएल प्रबंधन के 10 फीसद एमजीबी के प्रस्ताव को यूनियनों ने रिजेक्ट कर दिया। चारों यूनियन से जुड़े जेबीसीसीआइ सदस्यों ने बीच में ही बैठक से बाहर आकर करीब एक घंटे तक आपस में चर्चा कर रणनीति तैयार की। यह तय हुआ है पिछली बार से कम एमजीबी किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं करेंगे। एक घंटे के बाद यूनियनों के प्रतिनिधि मीटिंग हॉल में लौटे, लेकिन इसके बाद भी कोई नतीजा नहीं निकल सका।
अब आंदोलन पर बनेगी रणनीति
वेतन समझौते पर बात आगे नहीं बढ़ने के विरोध में नौ दिसंबर को कोल इंडिया और अनुषांगिक कंपनियों के सभी क्षेत्रों में विरोध दिवस मनाया जाएगा। सात जनवरी, 2023 को रांची में चारों यूनियन द्वारा संयुक्त कन्वेंशन किया जाना तय किया है। इस कन्वेंशन में हड़ताल की रणनीति तय की जाएगी। चारों यूनियन ने एक समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किया। इसमें बीएमएस से सुधीर घु्र्डे, एचएमएस से सिद्धार्थ गौतम, सीटू से डीडी रामानंदन, एटक से रमेंद्र कुमार शामिल थे।