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Jamtara Hotbed of Cyber Crime -2: साइबर अपराधियों की तरकश में इतने तीर कि तोड़ निकालने में हांफ रही पुलिस

Jamtara Hotbed of Cyber Crime -2 आम लोग जब तक किसी एक तरीके को समझ कर सतर्क होते हैं शातिर दूसरा तरीका ढूंढ़ लेते हैं। कोई नई तकनीक आते ही अपराधियों की बाकायदा ट्रेनिंग होती है।

By MritunjayEdited By: Published: Mon, 31 Aug 2020 01:29 PM (IST)Updated: Mon, 31 Aug 2020 01:29 PM (IST)
Jamtara Hotbed of Cyber Crime -2: साइबर अपराधियों की तरकश में इतने तीर कि तोड़ निकालने में हांफ रही पुलिस
Jamtara Hotbed of Cyber Crime -2: साइबर अपराधियों की तरकश में इतने तीर कि तोड़ निकालने में हांफ रही पुलिस

जामताड़ा [ प्रमोद चौधरी ]। Jamtara Hotbed of Cyber Crime -2 साइबर क्राइम की दुनिया में वर्ष 2013 में पहली बार जामताड़ा का नाम दर्ज हुआ। तब से सैकड़ों अपराधी यहां से गिरफ्तार किए जा चुके हैं। 23 राज्यों की पुलिस यहां से गिरफ्तार शातिरों से उनके अपराध के तरीकों पर सवाल-जवाब कर चुकी, उन्हें रोकने के लिए साइबर सेल और एथिकल हैकरों तक को लगाया, लेकिन...।

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ठगी के नए तरीके ढूंढ़कर बरकरार रखा अपना साम्राज्य

जामताड़ा के साइबर अपराधी नित नए तरीके ढूंढ़कर सबको चौंका रहे हैं। फर्जी बैंक अपराधी बनकर खाते की जानकारी, एसएमएस और फर्जी वेबसाइटों की लिंक, एटीएम कार्ड क्लोनिंग, कस्टमर केयर, फर्जी फेसबुक आइडी, ई सिम जैसे हथियारों से लैस यहां के साइबर अपराधी नए हथकंडों से आम से खास तक के खातों पर निशाना लगाते हैं। आम लोग जब तक किसी एक तरीके को समझ कर सतर्क होते हैं, शातिर दूसरा तरीका ढूंढ़ लेते हैं। कोई नई तकनीक आते ही अपराधियों की बाकायदा ट्रेनिंग होती है और तकनीक की बारीकियां ऊपर से नीचे तक पहुंचा दी जाती हैं।

  • ये तरीका अपनाते हैं साइबर ठग

हेलो मास्टर : साइबर ठग खाताधारकों को फोन कर अपना परिचय बैंक शाखा या मुंबई शाखा के अधिकारी होने का देते हैैं। खाताधारकों को कहा जाता है कि उनका एटीएम कार्ड एक्सपायर होने वाला है। इसे सक्रिय रखना चाहते हैैं तो कार्ड नंबर बताएं, फिर पासवर्ड मांगा जाता है। सूचना मिलते ही खाते से रुपये उड़ा लिए जाते हैं।

कार्ड क्लोनिंग : एटीएम स्कीमिंग डिवाइस यानी स्कीमर को ऐसी एटीएम में लगाया जाता है जहां सुरक्षा के इंतजाम नहीं होते। ऐसी मशीनों में जैसे ही उपभोक्ता अपना कार्ड डालता है, उसकी सारी जानकारी स्कीमर में आ जाती है। इसके बाद ठग कार्ड का क्लोन तैयार कर लेते हैं। अप्रैल 2019 में करमाटांड़ के व्यवसायी राजेश मंडल के खाते से एक लाख रुपये बंगाल के वर्दमान में एटीएम से निकाल लिए गए। जांच में खुलासा हुआ कि कार्ड की क्लोनिंग की गई। करमाटांड़ में छापेमारी में स्कीमर और क्लोन कार्ड बरामद किए गए। 

कस्टमर केयर : साइबर ठग कस्टमर सर्विस के लिए गूगल पर फर्जी नंबर व लिंक डाल देते हैं। ऐसी लिंक पर क्लिक करते ही सारी जानकारी उन तक पहुंच जाती है। यहां दिए गए नंबरों पर फोन करने पर भी अपराधी सक्रिय हो जाते हैं।

फर्जी फेसबुक आइडी : फेसबुक प्रोफाइल से फोटो डाउनलोड कर संबंधित व्यक्ति के नाम से नई फेसबुक प्रोफाइल तैयार कर लेते हैं। इससे यूजर के दोस्तों को मार्मिक संदेश भेजा जाता है। फेसबुक मैसेंजर के जरिए उनसे निजी चैटिंग कर परिवार के लोग, सगे-संबंधियों के बीमार होने का संदेश भेजकर सहयोग की गुहार लगाते हैैं। रुपये की मांग की जाती है।

पेटीएम कर्मी को ही मिला लिया

जामताड़ा के शातिरों ने मुंबई के एक पेटीएम कर्मी से साठगांठ कर कंपनी के उपभोक्ताओं की लिस्ट मंगा ली। इसके बाद कंपनी का लिंक भेजकर उनसे ठगी शुरू कर दी। जनवरी 2020 में एसपी अंशुमान कुमार ने झिलुवा से जीतेंद्र मंडल और उसके दो सहयोगियों को दबोचा था। इन लोगों ने कबूल किया था कि लिस्ट मंगाकर उन लोगों ने दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद और दक्षिण भारत के कई बड़े शहरों के पेटीएम खाताधारकों को चपत लगाई।

हाल में साइबर ठग लिंक का अधिक इस्तेमाल कर रहे हैं। इन लोगों ने पेटीएम कर्मी को अपने साथ मिला लिया था, जिसमें कार्रवाई की गई।

  -अंशुमान कुमार, एसपी, जामताड़ा


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