कभी सौतेली बहन से ही करना चाहता था शादी..
(जागरण के अभियान 'गुड टच बैड टच' के लिए महिला अधिवक्ता सह काउंसलर लोपा मुद्रा का लेख)
(जागरण के अभियान 'गुड टच बैड टच' के लिए महिला अधिवक्ता सह काउंसलर लोपा मुद्रा का लेख)
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बात कई साल पुरानी है। मेरी बेटी की एक सहेली (उम्र 13 वर्ष) काफी परेशान थी। यह बात मेरी बेटी ने मुझे बताई। बताया कि उसका सौतेला भाई उसे परेशान करता है। अक्सर उसे गलत तरीके से टच करता है और कहता है उससे शादी करेगा। बेटी ये बात अपने घरवालों को नहीं बता पा रही है, आप ही कुछ कीजिए न। चूंकि मामला गंभीर था और बात ऐसी थी कि किसी के तरफ से कोई शिकायत भी नहीं थी। ऐसे में किसी को कुछ पूछना या चर्चा करना तक काफी मुश्किल था। लेकिन मैंने हिम्मत की और उस तेरह साल की मासूम लड़की को उसके सौतेले भाई की हरकतों से बचा लिया। भाई ने भी गलती स्वीकारी और बहन को फिर बहन की ही निगाह से देखने लगा। इस काम में उस लड़के की पूरे डेढ़ साल तक काउंसलिंग करनी पड़ी थी।
असल में ये कहानी कुछ ऐसी थी कि कोयला क्षेत्र के एक अधिकारी ने पहली पत्नी के मानसिक रूप से बीमार होने पर दूसरी शादी की थी। अधिकारी को पहली पत्नी से एक बेटा (उम्र 16) था और उनकी दूसरी पत्नी को भी पूर्व पति से एक बेटी थी। दोनों में विवाह होने के बाद अधिकारी की पत्नी अपनी पुत्री को लेकर उनके साथ आकर रहने लगी, जबकि अधिकारी ने बीमार पत्नी को उसके पैतृक गांव भेज दिया। हालांकि बेटा उनके साथ ही रहता था, लेकिन बेटे के दिल में इस बात की बेहद तकलीफ थी कि एक महिला के कारण उसकी मां को जाना पड़ा और उसे अपनी मां के बगैर रहना पड़ रहा है। इस बात की नाराजगी इस कदर थी कि उसने अपनी सौतेली बहन को ही निशाने पर ले लिया। अक्सर उसके साथ शरारत करने लगा। कुछ दिनों तक लड़की सहती रही, इसके बाद वह मानसिक तनाव में आ गई। पढ़ने-लिखने से लेकर हर काम से भागने लगी। उसके इस बदलाव को उसकी एक सहेली ने पकड़ लिया। काफी कुरेदने के बाद उसने अपनी सहेली को अपनी तकलीफ बता दी। दोनों ने मिलकर इस समस्या से बाहर निकलने के उपाय तलाशे, लेकिन जब वे लोग किसी हल तक नहीं पहुंच पाए और लड़के की बदमाशी बढ़ती गई तो सहेली ने अपनी मां से उक्त बात शेयर कर दी।
सुनते ही सदमे में आ गई किशोरी की मां: बेटी की सहेली की मां की हैसियत से एक दिन मैं उसके घर जा पहुंची। बातचीत के दौरान ही मैंने उसकी मां को यह जानकारी दे दी। पूरा माजरा सुनते ही वह भी सदमे में आ गई। उसे लगा कि अब क्या करेगी। तब मैंने उसे कहा कि सौतेले बेटे को वह कुछ नहीं कहेगी। फिर उसने अपने पति को इस बात की जानकारी दी। दोनों परेशान हो गए और फिर मुझे कहा कि आप ही कुछ कीजिए। तब मैंने बेटी के बर्थडे के बहाने उस लड़के को अपने घर पर बुलाया। वह मेरे घर आया और फिर मैंने उसके साथ बातचीत का सिलसिला शुरू किया। कई बार ऐसा हुआ कि वह भड़क गया।
जब वह मेरी मां नहीं तो उसकी बेटी बहन कैसे हुई: जब उसे कहा कि वह उसकी बहन है और उसके साथ इस तरह की हरकत कर रहा है तो उसने साफ कह दिया कि वह उसकी बहन नहीं है। उन दोनों के माता-पिता अलग हैं। इस कारण वह उसके साथ शादी कर सकता है। इसी बातचीत में ये बात भी सामने आ गई कि उसे अपनी मां को गांव भेजे जाने का भी काफी गुस्सा है। गुस्से के कारण को जानकर तब मैंने उसके पिता से बात की। उनकी काउंसलिंग कर तैयार कराया कि वह अपनी पहली पत्नी को गांव से लाकर धनबाद में ही रखेंगे। इसके बाद ही ये मसला खत्म हो सकता है।
इस तरह लड़के ने किशोरी को माना बहन: इस मसले को खत्म करने में लगभग डेढ़ साल लगे। डेढ़ साल में दर्जनों बार उस लड़के से और उसके माता-पिता से बातचीत की। बीच में ऐसा भी वक्त आया कि तनाव के कारण माता-पिता आत्महत्या तक करने की सोचने लगे थे। इसी बीच मुझे एक जानकारी हाथ लगी कि लड़के की बुआ उसे शह दे रही है। उसकी भी एक बेटी है, जो लड़के की हमउम्र है। तब मैंने लड़के को कहा कि वह उससे शादी क्यों नहीं करता है, तब उसने झट से कहा कि वह तो उसकी बहन है। तब मैंने कहा कि न उसकी मां तुम्हारी मां है और न ही उसके पिता तुम्हारे पिता हैं, तो फिर वह बहन कैसे लगेगी। इस सवाल ने उसको सोचने-समझने पर मजबूर कर दिया था।
मां के आने के बाद बदल गया लड़का: लड़के के पिता ने उसकी सगी मां को गांव से बुलाने के मशविरे को मान लिया। उसकी मां को धनबाद लाकर अलग मकान में रखने लगा। बेटा भी कभी मां के पास रहता तो कभी पिता के पास। कुछ दिनों में ही उसकी आदत में बदलाव दिखना शुरू हो गया। अंत में उसने सौतेली बहन से माफी भी मांगी और उससे आज भी राखी बंधवाता है।