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लोग समझ भी नहीं सके और रेजली बांध का पानी बन गया जहर..

भीषण जल संकट को देखते हुए अनुमंडलाधिकारी रिस्ले ने सरकार से तालाब निर्माण की अनुशसा की थी ।

By Edited By: Published: Thu, 21 Jun 2018 11:34 AM (IST)Updated: Fri, 22 Jun 2018 10:41 AM (IST)
लोग समझ भी नहीं सके और रेजली बांध का पानी बन गया जहर..
लोग समझ भी नहीं सके और रेजली बांध का पानी बन गया जहर..

संवाद सहयोगी, गोविंदपुर। गोविंदपुर-बलियापुर रोड किनारे स्थित ऐतिहासिक रेजली बांध पूरी तरह अपना अस्तित्व खो चुका है। इस ऐतिहासिक तालाब का निर्माण 1882-83 में गोविंदपुर के तत्कालीन अनुमंडलाधिकारी रिस्ले साहब कीअनुशसा पर करवाया गया था। भीषण जल संकट को देखते हुए अनुमंडलाधिकारी रिस्ले ने सरकार से तालाब निर्माण की अनुशसा की थी । स्वीकृति मिलने पर इस तालाब की खुदवाई कराई गई, जिसका नाम अनुमंडलाधिकारी के नाम पर रिस्ले बांध रखा गया जो रेजली बाध के नाम से प्रचलित हुआ। तालाब के बीच स्थित टापू पर विश्राम गृह व पार्क का भी निर्माण हुआ था।

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टापू तक आने-जाने के लिए पक्की पुलिया हुआ करती थी। अवकाश के दिनों में अंग्रेज अधिकारी अपने परिवार के साथ यहां सैर-सपाटे व विश्राम करने आते थे । यहां जलविहार का भी प्रबंध था । रंग-बिरंगी मछलियां तालाब की शोभा बढ़ाती थीं। यह तालाब जलसंकट के निदान के लिए वरदान साबित हुआ। जैप-3 के जवानों को तालाब से जलापूर्ति की जाती थी। करमाटाड़, बांधडीह, बड़ा नावाटाड़, गोविंदपुर, गायडहरा आदि गांव के लोगों के लिए यह लाइफ लाइन थी। इन गावों के लोग नहाने-धोने के अलावा खेतों में सिंचाई के लिए इस तालाब के पानी का उपयोग करते थे।

तालाब के उपरी भाग स्थित बंद केमिकल फैक्ट्री के अवशेष से तालाब का पानी धीरे-धीरे जहरीला होने लगा। इंसान ही नहीं जानवर भी उस पानी को पीते तो बीमार हो जाते। वर्तमान में जिला परिषद के अधीन स्थित यह तालाब पूरी तरह अस्तित्वहीन हो गया है। जीर्णोद्धार पर खर्च हुए 30 लाख, पर फायदा कोई नहीं: वर्ष 2008-09 में 30 लाख की लागत से मनरेगा के तहत तालाब के जीर्णोद्धार का काम शुरू किया गया। टापू के चारों ओर गार्डवाल बनाए गए। मोटी रकम से तालाब की अधूरी सफाई करवाई गई। नौका विहार के लिए कोलकाता से दर्जन भर वोट मंगवाए गए। लोगों को लगा कि अब इस बांध का दिन बहुरेंगे, लेकिन वैसा नहीं हो पाया।

तात्कालीन उपायुक्त अजय कुमार सिंह ने बांध की जमीन को सुरक्षित रखने के लिए पश्चिमी भाग में चहारदीवारी निर्माण भी करवाया। अब तो हाल यह है कि तालाब का पानी दिखता ही नहीं है। जलकुंभी ने तालाब को अपनी आगोश में ले लिया है। दोबारा जीर्णोद्धार से जिला परिषद झाड़ रहा पल्ला: रेजली बांध को बचाने के लिए ग्रामीणों ने जिला परिसद से गुहार लगाई। जिला परिषद अध्यक्ष रोबिन गोराई ने फंड नहीं होने की बात कह जीर्णोद्धार से पल्ला झाड़ लिया। रेजली बांध चारों ओर सिकुड़ता जा रहा है। चारों ओर कूड़ा-कचरा का अंबार लगा हुआ है।


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