GIS के जरिए बनेगा शहर का मास्टर प्लान, DMC को मिला IIT-ISM का साथ Dhanbad News
IIT-ISM सेटेलाइट इमेज से मास्टर प्लान तैयार करेगी। इसमें उन्हीं स्थानों को चिन्हित किया जाएगा जहां पर रिक्त भूमि होगी। NRCC हैदराबाद द्वारा सेटेलाइट इमेज तैयार की जाएगी।
धनबाद, जेएनएन। शहर की बढ़ती आबादी बसाने के साथ ही उनकी जरूरतें पूरी करने के लिए नए शहर की जरूरत होगी। इसके लिए बेहतर प्लानिंग की दरकार है। लगभग 100 साल पुराने आइआइटी-आइएसएम ने धनबाद का बेहतर खाका खींचने के लिए कदम बढ़ाया है। धनबाद नगर निगम (DMC) के साथ मिलकर आइआइटी आइएसएम शहर के लिए जियोग्राफिकल इन्फार्मेशन सिस्टम (जीआइएस) के जरिए मास्टर प्लान बनाएगा। इसके लिए भारतीय अनुसंधान अंतरिक्ष संगठन (इसरो) से संबद्ध संस्था नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर की भी मदद ली जाएगी।
IIT-ISM सेटेलाइट इमेज से मास्टर प्लान तैयार करेगी। इसमें उन्हीं स्थानों को चिन्हित किया जाएगा, जहां पर रिक्त भूमि होगी। नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर हैदराबाद द्वारा सेटेलाइट इमेज तैयार की जाएगी। इसके तहत सेटेलाइट इमेज यानी जियोग्राफिक इन्फॉर्मेशन सिस्टम मैपिंग के आधार पर प्लान तैयार करने का काम किया जाएगा। सेटेलाइट इमेज से प्लान में शहर का सही आकार भी पता चल सकेगा। किस तरीके से विकास कार्य होंगे, इसका खाका आसानी से बनाया जा सकेगा। इसको लेकर 16 को आइआइटी आइएसएम के एडमिन ब्लॉक में आइआइटी के निदेशक प्रो.राजीव शेखर, मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल, डीन आर एंड डी और प्रो.धीरज कुमार समेत अन्य पदाधिकारियों के साथ इस प्लानिंग पर विशेष चर्चा होगी। सबकुछ सही रहा तो आइआइटी आइएसएम नया शहर बसाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
ऐसे काम करेगा जीआइएसः इस बार मास्टर प्लान जीआइएस बेस्ड होगा। जियोग्राफिक इंफॉर्मेशन सिस्टम (जीआइएस) बेस्ड सेंट्रलाइज्ड मास्टर प्लान पूरी तरह से नवीनतम तकनीक से लैस है। लोग घर बैठे ऑनलाइन जमीन का प्रकार और इसका प्रयोग जांच सकेंगे। जमीन की जानकारी के लिए नगर निगम का चक्कर नहीं काटना पड़ेगा। नया मास्टर प्लान सेटेलाइट इमेजिंग सर्वे पर आधार होगा। इसके लिए केंद्र की ओर से इसरो की सहायक नेशनल रिमोट सेंसिंग एजेंसी (एनआरएसए) से आंकड़ा लिया जाएगा। मास्टर प्लान में आवासीय, इंडस्ट्रियल एरिया, ग्रीन बेल्ट के साथ अन्य सभी क्षेत्रों को चिह्नित किया जाएगा। सिर्फ यही नहीं संबंधित जमीन के नीचे माइंस है या नहीं, आवागमन का साधन, पानी की स्थिति आदि भी इससे पता चल सकेगा।
मनमानी पर लगेगी लगाम, लोगों को राहतः सरकार निजी एजेंसी के जरिए मास्टर प्लान का खाका तैयार करती है। कई दफा इसमें खामियां रह जाती हैं। एजेंसी की ओर किसी क्षेत्र का व्यावसायिक लैंड यूज को ग्रीन मार्क कर उसकी वेल्यू कम करने के मामले भी सामने आते रहे हैं। इसके साथ ही अन्य तकनीकी दिक्कतों और जानकारी लेने के लिए भी लोगों को विभाग और अधिकारियों के पास बार-बार चक्कर काटना पड़ता है। तमाम दिक्कतों को देखते हुए लोगों को राहत देने के लिए सेंट्रलाइज्ड जीआइएस बेस्ड मास्टर प्लान तैयार करने की योजना कारगर साबित हो सकती है।
आइआइटी आइएसएम का भी फर्ज है अपने शहर के लिए कुछ करे। यही सोच कर नगर निगम की मदद करने की योजना बनाई है। जीआइएस के जरिए निगम क्षेत्र का मास्टर प्लान बनाने की योजना है। शुक्रवार को आइआइटी परिसर में सुबह 11 बजे मेयर, निगम के पदाधिकारियों और आइआइटी निदेशक के साथ इसको लेकर विशेष बैठक होगी। इसके बाद आगे की योजना बनेगी।
- प्रो.धीरज कुमार, डिपार्टमेंट ऑफ माइनिंग इंजीनियरिंग
आइएसएम में भूगोल, गणित, सांख्यिकी जैसे विषयों के अलावा कंप्यूटर ग्राफिक्स, कंप्यूटर, प्रोग्रामिंग, डाटा प्रोसेसिंग व संग्रहण तथा मैपिंग के लिए कंप्यूटर कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी का प्राथमिकता से प्रयोग किया जाता है। मानचित्रों तथा कार्टोग्राफी के अतिरिक्त भी अन्य कई क्षेत्रों में जियोग्राफिकल इन्फॉर्मेशन सिस्टम का उपयोग किया जा रहा है। आइआइटी की पहल सराहनीय है, बैठक के बाद आगे की योजना बनाएंगे।
- चंद्रशेखर अग्रवाल, मेयर