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नींबू के छिलके से शौचालय चमकाने को ISM छात्र ने बनाया Bio Enzyme Toilet Cleaner, आप भी बना सकते; जानिए

सौरव ने बताया कि जेएनएसी (जमशेदपुर नोटीफाइड एरिया कमेटी) के स्वच्छ भारत अभियान में हमारा स्टार्टअप साथ है। वहां हम अपनी इकाई में दस प्लास्टिक ड्रम के सहारे इसे तैयार करते हैं।

By MritunjayEdited By: Published: Tue, 25 Feb 2020 08:43 AM (IST)Updated: Tue, 25 Feb 2020 08:43 AM (IST)
नींबू के छिलके से शौचालय चमकाने को ISM छात्र ने बनाया Bio Enzyme Toilet Cleaner, आप भी बना सकते; जानिए
नींबू के छिलके से शौचालय चमकाने को ISM छात्र ने बनाया Bio Enzyme Toilet Cleaner, आप भी बना सकते; जानिए

धनबाद [आशीष सिंह ]। जी हां, भारतीय युवा वैज्ञानिक के स्टार्टअप टोवेसो ने सस्ता और कारगर स्वदेशी पर्याहितैषी टॉयलेट क्लीनर विकसित किया है। इसे बनाने में संतरा, नींबू और नारंगी जैसे खट्टे फलों के अपशिष्ट का प्रयोग हुआ है, जिन्हें हम कूड़ेदान में फेंक देते हैं। ये सामुदायिक शौचालयों को दमका रहा है।

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धनबाद के आइआइटी-आइएसएम (इंडियन स्कूल ऑफ माइंस) से 2018 में पर्यावरण विज्ञान से एमटेक कर चुके सौरव कुमार ने इसे कई परीक्षणों के बाद तैयार किया है। अमूमन शौचालय को साफ करने में तेजाब का उपयोग होता है। इससे जैव पदार्थों को सड़ा कर छोटे घटकों में तोडऩे वाले पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण सूक्ष्मजीव मर जाते हैं। वहीं इस टॉयलेट क्लीनर के प्रयोग से उनके जीवन को आंच नहीं आती। इसका नाम बॉयो एंजाइम टॉयलेट क्लीनर रखा गया है। 

सौरव तीन साल पहले एक जूस की दुकान पर गए थे। यहां देखा कि दुकानदार ने फलों का कचरा यूं ही फेंक दिया। तब ख्याल आया कि खट्टे फलों में एसिटिक एसिड समेत कई प्रकार के रसायन होते हैं जो पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाते। ये सफाई में काम आ सकते हंै। यहीं से कचरा प्रबंधन पर स्टार्टअप शुरू करने विचार आया। स्टार्टअप टोवेसो (टोटल सॉलिड वेस्ट सॉल्यूशन) शुरू किया। साथ पढ़ाई भी करते रहे।  

ऐसे बनता है बॉयो एंजाइम टॉयलेट क्लीनर

सौरव ने बताया कि खट्टे फलों के अपशिष्ट को ड्राम में इकट्ठा करते हैं।  इस अपशिष्ट में जीवाणु लैक्टो बैसिलस, कवक यीस्ट का मिश्रण डालते हैं। ये जटिल कार्बनिक यौगिकों को सरल कार्बनिक यौगिकों में तोड़ते हैं। तीन से चार सप्ताह में हाइड्रोलिसिस समेत कई प्रकार की रसायनिक अभिक्रियाओं से एसिटिक एसिड समेत अन्य रसायनों से युक्त बॉयो एंजाइम टॉयलेट क्लीनर बनता है। इसका पीएच 2.2 से 2.4 तक होता है। इसका उपयोग शौचालय, फर्श व दीवारों को साफ करने में होता है। मकसद है कि कचरे का सही प्रबंधन हो और शौचालय में एसिड का प्रयोग न हो। तीन माह में 600 किलो फलों के कचरे से 5400 लीटर सॉल्यूशन बनाया है। 

जमशेदपुर व जुगसलाई में हो रहा प्रयोग

सौरव ने बताया कि जेएनएसी (जमशेदपुर नोटीफाइड एरिया कमेटी) के स्वच्छ भारत अभियान में हमारा स्टार्टअप साथ है। वहां टाउन हॉल के पास हम अपनी इकाई में दस प्लास्टिक ड्रम के सहारे इसे तैयार कर रहे हैं। 20 हजार रुपये में इसकी शुरुआत की थी। इसका प्रयोग जमशेदपुर और जुगसलाई में हो रहा है। इसे व्यावसायिक रूप से बाजार में जल्द उतारेंगे। 


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