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आइएसएम की तकनीक से सुरक्षित होंगी खदानें, बढ़ेगा उत्पादन

सेल्फ एडवासिंग गोफ एज सपोर्ट सिस्टम से न केवल भूमिगत खदानों में काम करनेवाले मजदूरों के जानमाल को सुरक्षित किया जा सकेगा बल्कि उत्पादन को भी कई गुणा बढ़ाया जा सकेगा।

By Edited By: Published: Wed, 16 May 2018 08:46 AM (IST)Updated: Wed, 16 May 2018 08:46 AM (IST)
आइएसएम की तकनीक से सुरक्षित होंगी खदानें, बढ़ेगा उत्पादन
आइएसएम की तकनीक से सुरक्षित होंगी खदानें, बढ़ेगा उत्पादन
धनबाद : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना मेक इन इंडिया में 'सेल्फ एडवासिंग गोफ एज सपोर्ट' को शामिल कर आइआइटी आइएसएम ने अपना योगदान दिया है। आइएसएम का गोफ एज सपोर्ट सिस्टम भूमिगत खदानों के लिए संजीवनी का काम करेगा। बतौर मॉडल के रूप में सिंगरैनी कोलफील्ड की भूमिगत खदान आरके-7 तथा बीसीसीएल के बस्ताकोला में इसको उपयोग में लाया जा रहा है। सेल्फ एडवासिंग गोफ एज सपोर्ट सिस्टम से न केवल भूमिगत खदानों में काम करनेवाले मजदूरों के जानमाल को सुरक्षित किया जा सकेगा बल्कि उत्पादन को भी कई गुणा बढ़ाया जा सकेगा। ------------------ कैसे काम करेगा उपकरण आइएसएम माइनिंग इंजीनिय¨रग के प्रो. यूके सिंह ने बताया कि आइआइटी आइएसएम और हैदराबाद की कंपनी जय भारत इक्यूपमेंट प्राइवेट लिमिटेड ने मिलकर सेल्फ एडवासिंग गोफ एज सपोर्ट बनाया है। पूर्व में खदान के अंदर कोयले या लकड़ी का पिलर दिया जाता था। इससे हादसों की न केवल आंशका बनी रहती थी बल्कि कई बार हादसों में मजदूरों को अपनी जान तक गंवानी पड़ी है। उन्होंने बताया कि यह उपकरण न केवल प्रभावी है बल्कि सुरक्षित और किफायती भी है। यह उपकरण कोल ही नहीं बल्कि मेटल माइंस के लिए भी काफी कारगर होगा। रिमोट द्वारा संचालित होनेवाले इस उपकरण का वजन कम होने से इसे आसानी से एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है। उपकरण में डिजिटल डिस्प्ले सिस्टम होने के कारण इसकी मॉनीट¨रग आसान है। ------------------ कोल मंत्रालय ने दिया था प्रोजेक्ट प्रो. यूके सिंह ने बताया कि सेल्फ एडवासिंग गोफ एज सपोर्ट का प्रोजेक्ट कोल मंत्रालय ने दिया था। एक उपकरण में 40 से 50 लाख रुपये खर्च होंगे। आनेवाले समय में इसका व्यावसायिक उपयोग भी किया जाएगा ताकि दूसरी खदानों में भी इसे उपयोग में लाया जा सके।

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